"शक्सियतें"
** ** ** **
श्कसियतें यूँ ही नहीं बनती कुछ तो होता है ।** ख़ास ** दीपक का प्रकाश माना की श्रेष्टतम होता है ।
पर जो सितारा है ,वो चाहे कितना भी दबा रह अंधियारे में जब उजागर होता है तो प्रकाश ही देता है । उसे कौन बुझा सकता है ,जो स्वयम ही शोला हो ।
यूँ तो सभी नेता भाषण के जरिये बड़ी-बड़ी बातें करते आये हैं ,बड़ी-बड़ी योजनाएं हमें ये करना है ।हम ये करेंगे ।फलाँ -फलाँ योजना के लिये लाखों करोड़ों के बजट बिल पास करना इत्यादि ।माना की पैसे से बड़े से बड़े काम होते हैं ,पैसा प्रत्येक मानव की जीविकोपार्जन की प्रथम आवयश्कता भी है ।
परन्तु आज मोदी जी के भाषण की एक बात बहुत सटीक लगी कि "स्वछता अभियान" के लिये किसी बड़े बजट की आव्य्शाकता नहीं ।यह बात बिलकुल सटीक है ।
जिस तरह हम लोग अपने -अपने घरों को साफ़ करते है और अपने घरों का कूड़ा घरों के बहार इस तरह फेंकते हैं जैसे देश तो हमारा कुछ हो ही ना ।
अरे अगर अपने देश की अपनी स्वयम की तरक्की चाहते हो तो यह देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेवारी है कि अपने -अपने घरों की तरह अपने देश को भी स्वच्छ रखें ।
घर हमारा है तो देश भी हमारा ही है .......
** ** ** **
श्कसियतें यूँ ही नहीं बनती कुछ तो होता है ।** ख़ास ** दीपक का प्रकाश माना की श्रेष्टतम होता है ।
पर जो सितारा है ,वो चाहे कितना भी दबा रह अंधियारे में जब उजागर होता है तो प्रकाश ही देता है । उसे कौन बुझा सकता है ,जो स्वयम ही शोला हो ।
यूँ तो सभी नेता भाषण के जरिये बड़ी-बड़ी बातें करते आये हैं ,बड़ी-बड़ी योजनाएं हमें ये करना है ।हम ये करेंगे ।फलाँ -फलाँ योजना के लिये लाखों करोड़ों के बजट बिल पास करना इत्यादि ।माना की पैसे से बड़े से बड़े काम होते हैं ,पैसा प्रत्येक मानव की जीविकोपार्जन की प्रथम आवयश्कता भी है ।
परन्तु आज मोदी जी के भाषण की एक बात बहुत सटीक लगी कि "स्वछता अभियान" के लिये किसी बड़े बजट की आव्य्शाकता नहीं ।यह बात बिलकुल सटीक है ।
जिस तरह हम लोग अपने -अपने घरों को साफ़ करते है और अपने घरों का कूड़ा घरों के बहार इस तरह फेंकते हैं जैसे देश तो हमारा कुछ हो ही ना ।
अरे अगर अपने देश की अपनी स्वयम की तरक्की चाहते हो तो यह देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेवारी है कि अपने -अपने घरों की तरह अपने देश को भी स्वच्छ रखें ।
घर हमारा है तो देश भी हमारा ही है .......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें