डरते हैं, ना जाने क्यों एक
अनजाना डर से हम
मनुष्य ग्रसित रहते हैं
आवयशक है ,यह डर भी
किन्तु डर से डरने की नहीं
सचेत रहने की आवश्यकता है
हर परिस्थिति से लडने में सक्षम
बनिए, डरिए नहीं, ऐसे बनिए की डर
भी आपको देखकर नम्र हो जाए।
अपना आज खराब क्यों करना
वर्तमान को संवारिए ,भविष्य
स्वयं संवर जायेगा ।
जो बीत गया लौट कर नहीं आने वाला
बीते हुए कल के दर्दों को कुरेदना भी
बहुत भाता है मनुष्य को
तभी तो मनुष्य अपनी जिंदगी के
सौ प्रतिशत में से कुछ प्रतिशत ही
वर्तमान में जीता है, बाकी सब
भूत और भविष्य की चिंता में बीता देता है
वर्तमान को बेहतर दें,भविष्य सुन्दर होगा
आत्मविश्वास ,साहस,और
धैर्य की पूंजी संग रखिए ।
डर कुछ नहीं ,डर हम मनुष्यों
की सबसे बड़ी कमजोरी है
कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाईए
डर कुछ नहीं हमारी सोच है इसे बदलकर
अपना जीवन खुशहाल बनाइए।
अनजाना डर से हम
मनुष्य ग्रसित रहते हैं
आवयशक है ,यह डर भी
किन्तु डर से डरने की नहीं
सचेत रहने की आवश्यकता है
हर परिस्थिति से लडने में सक्षम
बनिए, डरिए नहीं, ऐसे बनिए की डर
भी आपको देखकर नम्र हो जाए।
अपना आज खराब क्यों करना
वर्तमान को संवारिए ,भविष्य
स्वयं संवर जायेगा ।
जो बीत गया लौट कर नहीं आने वाला
बीते हुए कल के दर्दों को कुरेदना भी
बहुत भाता है मनुष्य को
तभी तो मनुष्य अपनी जिंदगी के
सौ प्रतिशत में से कुछ प्रतिशत ही
वर्तमान में जीता है, बाकी सब
भूत और भविष्य की चिंता में बीता देता है
वर्तमान को बेहतर दें,भविष्य सुन्दर होगा
आत्मविश्वास ,साहस,और
धैर्य की पूंजी संग रखिए ।
डर कुछ नहीं ,डर हम मनुष्यों
की सबसे बड़ी कमजोरी है
कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाईए
डर कुछ नहीं हमारी सोच है इसे बदलकर
अपना जीवन खुशहाल बनाइए।