"मेघ मल्हार "
मेघों ने मल्हार है गया
रिम-झिम,रिम-झिम वर्षा
से सिंचित हो गया प्रकृति
का श्रृंगार निराला ।
मौसम भी क्या खूब है ,आया
कभी धूप ,कभी छाया,तो
कभी पल भर मे छा जाते,
नील गगन में हर्षोल्लास
के बादल।
और भीग जाते पल भर मे
वर्षा से सबके आँगन
वसुन्धरा हुयी प्रफुल्लित
वृक्षों पर नयी कोपलें पुलकित।
फल फूलों से समृद्ध
प्रकृति हो रही है हर्षित।
वसुन्धरा पर समृद्ध हर कंधरा।
मोर मोरनी निर्त्य कर रहे
पक्षी भी चहक लगे हैं अब तो
आओ हम सब मिल मंगल गान गायें
गीत ख़ुशी के गुनगुनायें
झुला झूलें ,नाचे गायें ।।
मेघों ने मल्हार है गया
रिम-झिम,रिम-झिम वर्षा
से सिंचित हो गया प्रकृति
का श्रृंगार निराला ।
मौसम भी क्या खूब है ,आया
कभी धूप ,कभी छाया,तो
कभी पल भर मे छा जाते,
नील गगन में हर्षोल्लास
के बादल।
और भीग जाते पल भर मे
वर्षा से सबके आँगन
वसुन्धरा हुयी प्रफुल्लित
वृक्षों पर नयी कोपलें पुलकित।
फल फूलों से समृद्ध
प्रकृति हो रही है हर्षित।
वसुन्धरा पर समृद्ध हर कंधरा।
मोर मोरनी निर्त्य कर रहे
पक्षी भी चहक लगे हैं अब तो
आओ हम सब मिल मंगल गान गायें
गीत ख़ुशी के गुनगुनायें
झुला झूलें ,नाचे गायें ।।