अमृत रस


नए युग का नया सवेरा
स्वर्णिम सपनों का
अद्भुत मेला
मन अलबेला
देखे स्वर्णिम युग का
नित्य नूतन सवेरा।

मन में भावनाओं
का गहरा समुंदर
जिसमे विचारों का
अद्वितीय खजाना
जीवन का तराना
सरगम की धुन पर
जीवन के उतार-चढ़ाव का
आना जाना ।

जीवन के हर राग
पर मधुर संगीत बजाना
अनुभूतियों के प्रवाह मध्य
बहती नदिया बीच मझधार
विवेक ज्ञान ही जिसका आधार

विचारों की कश्मकश का सागर
सागर में लहरों का उठना
कुछ अनकहा उछाल जाना।

गागर में जो सागर
छलक-छलक जाए
कभी गद्य कभी पद्य
विचारों के मंथन का अमृत रस
काव्य रस का अद्वितीय खजाना
मेरे सपनों में
स्वर्ग से सुन्दर
समाज का सपना
सत्यता की मशाल
लिए विचारों के द्वंद
से नित -प्रतिदिन युद्ध करना
हे परमात्मा मुझमें मेरी प्रतिज्ञा को
बुद्ध करना ,विचारों को नित्य शुद्ध करना ।








2 टिप्‍पणियां:

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