प्रेम की महक

प्रेम की महक
भी होती है
प्रेमियों के चेहरों पर
मुस्कराहट के रूप
में खिलती है
लब ख़ामोश
ख़ामोश निगाहें
बोलती हैं
ख़ामोश अदाएं
बहुत की वफ़ायें
कभी तो बोलो
कुछ तो राज खोलो
लबों को थोड़ा हिलाओ
लबों की पंखुड़ियों से
कुछ तो पुष्प ए गुलाब
बिखराओ ,जो दिल में
है उसे कभी तो जुबान पर लाओ
यूं नहीं ख़ामोश रहा करते
दिल के राज नहीं छुपाया करते
ये जो गंभीरता की छवि
बनाए बैठे हो दर्दे दिल को
दबाए बैठे हो  इसपर से
पर्दा हटाओ थोड़ा मुस्कराओ
दिल में जो पर परवाह के रूप में
प्रेम छिपाए   बैठे हो
उसमें थोड़ी मिश्री मिलाओ
प्रेम के इत्र से माहौल को
मेहकाओ .....






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