“ ये धरती अपनी है , नीला आसमान भी अपना है “
खेलने को खुला मैदान है ,आओ मित्रों खेल खेलें
हम बन्द कमरों में नहीं रहते , हमारे खेल बड़े-बड़े हैं
हमें रहने को खुला मैदान चाहिए , सपने देखने को
चाँद , सितारों का जहाँ चाहिये ।
खेलने को खुला मैदान है ,आओ मित्रों खेल खेलें
हम बन्द कमरों में नहीं रहते , हमारे खेल बड़े-बड़े हैं
हमें रहने को खुला मैदान चाहिए , सपने देखने को
चाँद , सितारों का जहाँ चाहिये ।
बेहतरीन रचना 👌
जवाब देंहटाएंआभार सखी
हटाएंआभार सखी
जवाब देंहटाएंजी खुला आसमान जहाँ सपने देख सकें ...
जवाब देंहटाएंबहुर सुन्दर शब्द ...
जी दिगम्बर जी , वरना आजकल तो बच्चों के खेल video games में सीमट कर रह गये हैं
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