“ आऊँगा बहुत याद आऊँगा
सफ़र में कुचैले निशान छोड़ जाऊँगा “
सफ़र में कुचैले निशान छोड़ जाऊँगा “
सफ़र हो तो ऐसा ,
राह भी अपनी है,
मंज़िल भी अपनी
कारवाँ की तलाश भी अपनी
तलाश में चाह भी अपनी
आह भी अपनी .....
वाह भी अपनी ........
जब बहारों के जश्न भी अपने
तो पतझड़ और तूफ़ान भी अपने
जज़्बातों के हालात भी अपने
सफ़र भी अपना ।।
“ सफ़र करते -करते मुसाफ़िर हूँ
भूल गया हूँ , अपने कारवाँ में
घुल - मिल गया हूँ
बेशक ये सफ़र है
मैं मुसाफ़िर हूँ जाने से पहले
अपने निशान छोड़ जाऊँगा
आऊँगा बहुत याद आऊँगा
सफ़र में कूछ ऐसे निशान छोड़ जाऊँगा ।।
राह भी अपनी है,
मंज़िल भी अपनी
कारवाँ की तलाश भी अपनी
तलाश में चाह भी अपनी
आह भी अपनी .....
वाह भी अपनी ........
जब बहारों के जश्न भी अपने
तो पतझड़ और तूफ़ान भी अपने
जज़्बातों के हालात भी अपने
सफ़र भी अपना ।।
“ सफ़र करते -करते मुसाफ़िर हूँ
भूल गया हूँ , अपने कारवाँ में
घुल - मिल गया हूँ
बेशक ये सफ़र है
मैं मुसाफ़िर हूँ जाने से पहले
अपने निशान छोड़ जाऊँगा
आऊँगा बहुत याद आऊँगा
सफ़र में कूछ ऐसे निशान छोड़ जाऊँगा ।।
निशान ही यादों को पुनः वापस लाते हैं ... सफ़र की यादों मुसाफ़िर का कारवाँ होती हैं ... लाजवाब रचना है ...
जवाब देंहटाएंआभार दिगम्बर जी
हटाएंमैं मुसाफ़िर हूँ जाने से पहले
जवाब देंहटाएंअपने निशान छोड़ जाऊँगा
आऊँगा बहुत याद आऊँगा
सफ़र में कूछ ऐसे निशान छोड़ जाऊँगा
बहुत सुंदर।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/06/75.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राकेश जी मेरी लिखी रचना को मित्र मंडली में शामिल लेने हेतु
हटाएंवाहः बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंआह भी अपनी .....
जवाब देंहटाएंवाह भी अपनी ........
जब बहारों के जश्न भी अपने
तो पतझड़ और तूफ़ान भी अपने
जज़्बातों के हालात भी अपने---
वाह !!! आदरनीय ऋतू जी -- बहुत बेहतरीन लिखा आपने | किसी के जाने के बाद उसके सार्थक कार्य ही उसके अस्तित्व का बोध करवाते हैं| सस्नेह --
सफ़र भी अपना ।।
वाह ! आदरणीय ऋतू जी बहुत बेहतरीन लिखा आपने | सचमुच हमारे किये
Thanks Renu ji
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