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मीठी -मीठी सी शीतल हवाओं का झोंका
सर्दी के मौसम को अलविदा कहती
सूर्य की तेज़ ,तपिश का एहसास
प्रातःक़ालीन शांत वातावरण में
प्रकृति का आनंद लेता मन
हरी-भरी घास का श्रृंगार
करती ओस की बूँदे
शांत वातावरण
पक्षियों के चहकने
की मीठी आवाज
मानों वातावरण में
गूँजती संगीत की मधुर तान
प्रकृति स्वयं में ही सम्पूर्ण
स्वयं का शृंगार करती 🎉🎉
दिल कहे बस यहीं ठहर जाये पग
भागती-दौड़ती ज़िन्दगी से अब थक गया है मन
हरी -भरी घास पर बैठ कर यूँ ही बीत जाए जीवन
जाने क्यों भगता -दौड़ता रहता है मन
प्रकृति में निहित है जीवन का सम्पूर्ण आनंद
प्रकृति से ना छेड़-छाड़ करो
उसमें ना ज़हर घोलो
प्रकृति है अमुल्य सम्पदा
अनमोल धरोहर प्रकृति का संरक्षण करो ।🌸🌹🥀🥀☘️🍀
वाह !!! बहुत खूब ..सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंThanks
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