"महत्वकांशाये"

 * महत्वकांशाएँ*   आकांक्षाएं तो बहुत होती हैं,
   परन्तु जो "महत्व" की "आकांशाएँ" होती हैं
   वो "महत्वकांशाएँ "होती हैं ।

* मैं जानता हूँ, कि तू बहुत महत्वकांशी
 है, ए मानव,तेरी काबलियत पर मुझे
 यकीन है *
"अभी तो तू कदम,दो क़दम चला है,
मैं नहीं चाहता तेरे क़दम रुक जायें।
तू जीत का जशन मनाना चाहता है ,
बहुत प्रसन्न हो रहा है, अभी तो तू एक
पड़ाव पर ही पहुंचा है ,मंजिल पर नहीं।


यही तेरी मंजिल है, ऐसा हो नहीं सकता
अभी तो तुझे बहुत ऊंची उड़ाने भरनी हैं "

उड़ान अभी बाकी है, अभी तो पंख फडफ़ड़ाएं हैं,
मैं जानता हूँ ,तेरी काबलियत,तेरी सोच से भी ऊँची है ।
अपनी छोटी सी जीत पर यूँ ना इतरा।
नहीं तो पाँव वहीं रुक जाएंगे।

"अहंकार का नशा चढ़ जायेगा
अंहकार के नशे मे तू सब कुछ भूल जायेगा"
जीत अभी बाकी है ,उड़ान अभी बाकी है ,
मंजिलें मिसाल अभी बाकी है ।
तेरे करिश्मों से अन्जान ,पर कद्रदान
अभी बाकी हैं ।



4 टिप्‍पणियां:

  1. अहंकार का नशा चढ़ जायेगा
    अंहकार के नशे मे तू सब कुछ भूल जायेगा"
    जीत अभी बाकी है ,उड़ान अभी बाकी है ,
    मंजिलें मिसाल अभी बाकी है ।
    तेरे करिश्मों से अन्जान ,पर कद्रदान
    अभी बाकी हैं ।

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  2. महत्वाकांक्षाएं भी जीवन में ज़रूरी हैं किन्तु अति सर्वत्र वर्जयेत को हमें सदैव याद रखना चाहिए। कवियत्री का संकेत जीवन की सकारात्मकता की ओर है। सुंदर वैचारिक रचना। बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. आदरणीय रविन्दर सिंह यादव जी ,आपकी टिप्पणी ने रचना के महत्व को और बड़ा दिया है ,समर्थन देने के लिये धन्यवाद,आभार।

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