*जीवन है तो संघर्ष है *
यूं तो प्रकृति प्रदत्त सब और सम्पदा है 💐
जीवन को तो जीना है ,क्यों ना फिर
संग-हर्ष जियो ।💐
समय का पहिया घूम रहा है
युग परिवर्तन हो रहा है ।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है ।
अविष्कार भी आवश्यकता का कारण है
मानव बुद्धि में उपजे अणुओं ,
मानव की दिव्य आलौकिक बुद्धि
ने दुनियाँ को नये-नये आयाम दिये हैं
आकाश क्या अन्तरिक्ष में भी मानव के
कदम पढ़े है ।
वो चाँद जिसकी खूबसूरती को मनुष्य निहारता है
गजलें और नग़मे बनाता है ,जिस चाँद को देख महिलाएं
व्रत उपवास पूर्ण करती हैं ,उस चाँद पर जाकर वैज्ञानिक
सत्य परख आया है ।💐
मनुष्य का जीवन प्रग्रति यानि आगे बढ़ते रहने का नाम है
रुक गया तो थम गया
जीवन का अन्त हो गया ,संघर्ष जीवन का मंत्र है ।
खुशहाल जीवन का यंत्र है ।💐💐💐💐
सत्य कहा आदरणीय जीवन का पहिया घूमता रहता है, परिवर्तन संसार का नियम है तो जीवन को सहर्ष जीना ही सच्चा विकल्प है अलंकृत शब्दों से जीवन के मूल्य बताती रचना सुन्दर ! आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंध्रुव सिंह एकलव्या जी टिप्पणी द्वारा उत्साह वर्जन के लिये धन्यवाद ।
हटाएंसंघर्ष यानि संग हर्ष जियो बहुत बढ़िया व्याख्या।
जवाब देंहटाएंज्योति जी टिप्पणी द्वारा उत्साह वर्जन के लिये धन्यवाद ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/06/24.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंRakesh kumar shrivastav Rahi ji, धन्यवाद ,आभार मेरी लिखी रचना को मित्र मंडली में शामिल करने के लिये।
हटाएंबहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंसंघर्ष यानि संघ - हर्ष बहुत ही सुन्दर व्याख्या..
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसच हम नहीं, सच तुम नहीं
जवाब देंहटाएंसच है महज संघर्ष ही !
संघर्ष ही प्रगति के मार्ग को खोलता है।
आपने बहुत सुंदर लिखा है।
शुक्रिया मीना शर्मा जी ।
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