*मेरे ख्वाब*


 **जाने किसकी दुआ रंग ला रही है ,
 ख्वाबों के गुलिस्तान की क्यारियों से
 भीनी सी ,और मीठी सी सुगन्ध आ रही है *।

 " मैंने ख्वाबों में जो सपने बुने थे
  उन सपनों में मेरी वफ़ा शायद रंग
  ला रही है "।
  *ख्वाबों के सच होने का ना मुझको
  यकीन था ,ख्वाबों को देखना ,निंद्रा
  में आना ,फिर टूट जाने पर यकीन था* ।

  *मेरे ख्वाबों में निष्फल कर्म का अर्श था।
  आत्मा की आवाज़ को परमात्मा का संदेश
   जान बस कर्म करते रहने का जज़्बा था।
   शायद वही जस्बा ए कर्म ,मुझे रास आ गया
    दरिया की तरह में भी बहता रहा ।*
   
    *आत्मा का परमात्मा से सम्बंध हो गया
      जो उसका था सब मेरा हो गया ।
       मेरा जीवन सफ़ल हो गया ।
            सफ़ल हो गया* ।।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आत्मा का परमात्मा से सम्बंध हो गया
    जो उसका था सब मेरा हो गया ।
    मेरा जीवन सफ़ल हो गया ।
    सफ़ल हो गया* ।।

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  2. Nice post keep posting and keep visiting on www.kahanikikitab.com

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  3. जब आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाये तो सब कुछ एकाकार हो जाता है ...
    जीवन आनद में हो जाता है ...

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  4. ख्वाबों के सच होने का ना मुझको
    यकीन था ,ख्वाबों को देखना ,निंद्रा
    में आना ,फिर टूट जाने पर यकीन था* ।
    बहुत ख़ूब ! आदरणीय जीवन का सही अर्थ बताती आपकी सुन्दर व विचारणीय रचना आभार। "एकलव्य"

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  5. शुक्रिया एकलव्या जी आभार ।

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  6. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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