**जाने किसकी दुआ रंग ला रही है ,
ख्वाबों के गुलिस्तान की क्यारियों से
भीनी सी ,और मीठी सी सुगन्ध आ रही है *।
" मैंने ख्वाबों में जो सपने बुने थे
उन सपनों में मेरी वफ़ा शायद रंग
ला रही है "।
*ख्वाबों के सच होने का ना मुझको
यकीन था ,ख्वाबों को देखना ,निंद्रा
में आना ,फिर टूट जाने पर यकीन था* ।
*मेरे ख्वाबों में निष्फल कर्म का अर्श था।
आत्मा की आवाज़ को परमात्मा का संदेश
जान बस कर्म करते रहने का जज़्बा था।
शायद वही जस्बा ए कर्म ,मुझे रास आ गया
दरिया की तरह में भी बहता रहा ।*
*आत्मा का परमात्मा से सम्बंध हो गया
जो उसका था सब मेरा हो गया ।
मेरा जीवन सफ़ल हो गया ।
सफ़ल हो गया* ।।
आत्मा का परमात्मा से सम्बंध हो गया
जवाब देंहटाएंजो उसका था सब मेरा हो गया ।
मेरा जीवन सफ़ल हो गया ।
सफ़ल हो गया* ।।
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जवाब देंहटाएंThanks sarvesh ji
हटाएंजब आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाये तो सब कुछ एकाकार हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंजीवन आनद में हो जाता है ...
Ji digamber nawada ji
जवाब देंहटाएंख्वाबों के सच होने का ना मुझको
जवाब देंहटाएंयकीन था ,ख्वाबों को देखना ,निंद्रा
में आना ,फिर टूट जाने पर यकीन था* ।
बहुत ख़ूब ! आदरणीय जीवन का सही अर्थ बताती आपकी सुन्दर व विचारणीय रचना आभार। "एकलव्य"
शुक्रिया एकलव्या जी आभार ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंThanks bhaskar
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