**मेरा मसीहा ***

*****  मैं जो भी करता हूँ, मेरे फ़रिश्ते के कहे ,अनुसार करता हूँ  क्या लाभ होगा, मैं नहीं सोचता "मैं" वो करता हूँ ,
 जो सबके हित में होता है ।,

 आसमान से कोई फ़रिश्ता आता है,
 जब में गहरी निंद्रा में होता हूँ ,मेरे सिर
 पर प्यार भरा हाथ रखता है ,मेरा माथा
 चूम कर मुझे दुआओं से भर जाता है ।

 जब मैं नींद से जागता हूँ ,तो अपने
 आस-पास किसी को भी नही पाता हूँ।

 पर उस फ़रिश्ते की महक ,
मेरा घर आँगन महका जाती है
मेंरे चेहरे पर बिन बात के मुस्कराहट
आ जाती है ।

मैं चल रहा होता हूँ अकेला ,परन्तु
कोई मेरे साथ चल रहा होता है ।
मैंने उसे देखा तो नहीं पर वो मेरा
मार्गदर्शन कर रहा होता है ,
मुझे अच्छे से अच्छा कार्य करने को
प्रेरित कर रहा होता है ।

मैं भी उसकी ही बात मानता हूँ
कोशिश करता हूँ जो भी करूँ ,
दूसरों की भलाई के लिऐ करूँ
कोई ऐसा काम ना करूँ जिससे दूसरों
को कष्ट पहुँचे ,वो फ़रिश्ता ,मेरा मसीहा ,
मेरी आत्मा में बैठा परमात्मा है ।
जो हर-पल मेरा मार्गदर्शन करता है ।।*****

2 टिप्‍पणियां:

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