--------------क्या आप मेरी बात से सहमत है ?
** * * एक अनपढ़ भी कविता रच सकता है
क्योंकि कविता आत्मा की आवाज है **
** कविता आत्मा की आवाज है
समाजिक समावेश के सुन्दर भाव हैं ।
कविता विचारों की सुमधुर झंकार है
कविता मात्र शब्द नही ,कोई छन्द नही।
कविता कभी समाजिक कुरीतियों के
प्रति उठने वाली आवाज है ,तो कभी
वीर,हास्य,श्रृंगार रस में बंधे शब्दों का सार है ।
कविता अन्तर्मन में उठने वाले द्वन्दों की पुकार है
कविता किसी भी भावपूर्ण मन मे उठने वाले
भावों का सार है । कविता तारीफों की मोहताज नही
कविता स्वयं ही तारीफे अन्दाज है **
** * * एक अनपढ़ भी कविता रच सकता है
क्योंकि कविता आत्मा की आवाज है **
** कविता आत्मा की आवाज है
समाजिक समावेश के सुन्दर भाव हैं ।
कविता विचारों की सुमधुर झंकार है
कविता मात्र शब्द नही ,कोई छन्द नही।
कविता कभी समाजिक कुरीतियों के
प्रति उठने वाली आवाज है ,तो कभी
वीर,हास्य,श्रृंगार रस में बंधे शब्दों का सार है ।
कविता अन्तर्मन में उठने वाले द्वन्दों की पुकार है
कविता किसी भी भावपूर्ण मन मे उठने वाले
भावों का सार है । कविता तारीफों की मोहताज नही
कविता स्वयं ही तारीफे अन्दाज है **
कविता का सम्बन्ध मन से है और भावों का प्रवाह जब आता है तो सब बाँध तोड़ कर बह निकलता है .... कबीर, सूर और अनेकों अनेकों जन कवी इस बात का जीता जागता उद्धरण हैं ...
जवाब देंहटाएंजी दिगम्बर जी बस यही तातपर्य था मेरा
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन टिप्पणी के लिये धन्यवाद।
आभार ।
रितु, कविता का संबंध भावो से है यह बात सही है। लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि कोई भी कविता रच सकता है। क्योंकि कविता रचने के लिए शब्दों का जो तालमेल बिठाना पड़ता है वो हर किसी के बस की बात नहीं है।
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं ज्योति जी ।
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