**स्वास्थ्य धन**


 * स्वास्थ्य यानी तन-और मन दोनों की सुदृणता *
जहाँ *शारीरिक स्वास्थ्य के लिये पौष्टिक आहार ,व्यायाम ,योगा लाभदायक है।
वैसे ही मन की स्वस्तथा के लिये मैडिटेशन,योगा ,साथ ही साथ विचारों की सकारात्मकता क्योंकि* ज़िंदगी की दौड़ में अगर जीत है तो हार भी है* मुश्किलें भी हैं ,बस हमें अपनी हार और नाकामयाबी से निराश नही होना है ,ये नही तो दूसरा रास्ता अपनाये अपने मन की सुनिए ।

    *हमारे विचार बहते हुए पानी की तरह हैं, और पानी का काम है बहते रहना रुके हुए पानी मे से दुर्गन्ध आने लगती है ।*
 *  जहाँ तन का स्वस्थ होना आवयशक है वहीं मन मस्तिष्क का स्वस्थ होना भी अनिवार्य है *
आज की भागती दौड़ती जिन्दगी में हम मन के स्वास्थ्य पर बिल्कुल भी ध्यान ही नही देते मतलब कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ते- चढ़ते हम मनुष्य अपने दिमाग़ पर एक बोझ बना लेते हैं, बोझा कामयबी और काम के दवाब का ;

कामयाबी तो मिलती है धन भी बहुत कमाते हैं ,परन्तु अपना सबसे बड़ा धन अपना स्वास्थ्य बिगाड़ देते हैं, किस काम की ऐसी कामयाबी और दौलत जिसका हम सही ढंग से उपयोग भी न कर सकें।
दुनियाँ का सबसे बड़ा धन क्या है ।आम जन तो यही कहेंगे रुपया, पैसा, धन-,दौलत गाड़ी, बंगला ,और बैंक बैलेंस
   परन्तु मुझे अपने एक मित्र की बात हमेशा याद रहती है जो       हर -पल परमात्मा से कहती है, कि मेरा स्वास्थ्य ठीक रखना, कभी-कभी मन मे सवाल उठता की कैसी है यह , हम तो भगवान से इतना सब कुछ मांगते है सुख -शांति, धन-दौलत वगैरा-वगैरा और ये सिर्फ मेरा स्वास्थ्य ठीक रहे ,जब मैंने उससे पूछा तुझे और कुछ नही चाहिये भगवान से बस स्वास्थ्य,इस पर मेरी मित्र मुस्करा के बोली हाँ ,यार सबसे बड़ा धन तो स्वास्थ्य है ,अगर स्वास्थ्य सही रहेगा तो मैं किसी भी उमर में खुद काम कर के खा लूँगी धन भी कमा लूँगी ,किसी की मोहताज़ नही होऊँगी, जब किसी बीमार को मेरी आव्यशकता होगी तो उसकी सहायता भी कर दूँगी, मुझे अपनी मित्र की सोच बहुत अच्छी लगी ।
वाकई स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं। अगर कोई भी मनुष्य स्वस्थ है ,तो वह आजकल के युग में सबसे बड़ा धनवान है।

बिल्कुल सही रुपया पैसा भी धन ही हैं
,परन्तु इस धन से हम सुख -सुविधाओं के साधन तो खरीद सकते हैं ,यह धन हमारे जीवकोपार्जन के लिये आवयशक भी है ।       परन्तु क्या धन-दौलत से आप स्वास्थ्य खरीद सकते हैं ,आप कहेंगे हम डॉक्टर के पास जायेंगे और अपना इलाज करायेंगे ,बिल्कुल ठीक ।  परन्तु ? ऐसा भी धन क्या कमाना जो जीवन भर डॉक्टरों की फीस भरने में चला जाये ।

ये तो वही बात हुयी की* पहले धन कमाने के लिये स्वास्थ्य धन खोया फिर ,?  स्वास्थ्य धन को पाने के लिये वही  अपनी मेहनत से कमाया हुआ धन खर्च किया* ।
*कहाँ की समझदारी है ये आप ही बताइये ।
स्वस्थ तन और स्वस्थ मन दोनों ही आवयशक हैं ।
कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ो ,बहुत आवयशक है स्वयं के लिए समाज और देश की प्रग्रति के लिये परन्तु ध्यान रहे कि शरीर की गाड़ी के सारे पुर्जे ठीक रहें *।

1 टिप्पणी:

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...