*लेखनी*


 **** स्वर्ग  से सुंदर समाज की कल्पना
     यही एक लेखक की इबादत होती है
     हर तरफ खूबसूरत देखने की एक
     सच्चे लेखक की आदत होती है ***
     अन्याय, अहिंसा, भेदभाव,
     देख दुनियां का वयभिचार ,अत्याचार
     एक लेखक की आत्मा जब रोती है
     तब एक लेखक की लेखनी
     तलवार बनकर चलती है
     और समाज में पनप रही वैमनस्य की
     भावना का अंत करने में अपना
     महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है
     विचारों की पवित्र गंगा की धारा
     सर्व जन हिताय हेतु ,
     सुसंस्कृत,सुशिक्षित, समाज की स्थापना
     का आदर्श लिए , शब्दों के तीखे, बाणों
     के जब तीर चलाती तब ,वो इतिहास रचती है ,
     युगों-युगों तक आने वाले समाज का मार्गदर्शन
     करती है ।
     लिखने को तो लेखक की लेखनी लिखती है
     एक अद्वितीय शक्ति उसको प्रेरित करती है
     तभी तो ऐतिहासिक,रहस्यमयी, सच्ची घटनाओं
    की तस्वीरें कविताओं ,कहानियों आदि के रूप में
    युगों- युगों तक जन मानस के लिए प्रेरणास्रोत        बन जन मानस के हृदयपटल पर राज करती हैं ।

   
      aksshaygaurav@gmail.com स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना यही एक लेखक की इबादत होती है हर तरफ खूबसूरत देखने की एक सच्चे लेखक की आदत होती है *** अन्याय, अहिंसा, भेदभाव, देख दुनियां का वयभिचार ,अत्याचार एक लेखक की आत्मा जब रोती है तब एक लेखक की लेखनी तलवार बनकर चलती है और समाज में पनप रही वैमनस्य की भावना का अंत करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है विचारों की पवित्र गंगा की धारा सर्व जन हिताय हेतु , सुसंस्कृत,सुशिक्षित, समाज की स्थापना का आदर्श लिए , शब्दों के तीखे, बाणों के जब तीर चलाती तब ,वो इतिहास रचती है , युगों-युगों तक आने वाले समाज का मार्गदर्शन करती है । लिखने को तो लेखक की लेखनी लिखती है एक अद्वितीय शक्ति उसको प्रेरित करती है तभी तो ऐतिहासिक,रहस्यमयी, सच्ची घटनाओं की तस्वीरें कविताओं ,कहानियों आदि के रूप में युगों- युगों तक जन मानस के लिए प्रेरणास्रोत बन जन मानस के हृदयपटल पर राज करती हैं ।

श्रम


*श्रम ही धर्म*
श्रम की अराधना
से मिटती है मुझ 
श्रमिक के जीवन 
की हर यातना 
होकर मजबूर
बनकर मजदूर   
अपनों से दूर 
जीविका की खातिर
रुख करता हूं शहरों की ओर
गांव की शांति से दूर शहरों का 
भयावह शोर, ढालता हूं स्वयं को
तपाता हूं तन को,बहलाता हूं मन को
शहरों की विशाल,भव्य इमारतों में
मुझ श्रमिक का रक्त पसीना भी चीना
जाता शहरों की प्रग्रती और समृद्धि की 
नींव मुझ जैसे अनगिनत श्रमिकों की देन है
कभी -कभी शहर की भीड़ में खो जाता हूं 
जब किसी महामारी के काल में, बैचैन, व्याकुल
पैदल ही लौट चलता हूं ,मीलों मील अपनों 
के पास अपने गांव अपने घर अपनों के बीच 
अपनत्व की चाह में ।
स्वरचित :-
ऋतु असूजा ऋषिकेश ।


धरा के भगवान


कैसे कह दूं उन्हें मात्र इंसान
कहते हैं जिन्हें धरा के भगवान
या कहें फ़रिश्ते ए आसमान
जीव विज्ञान का अद्भुत ज्ञान
कठिन साधना का परिणाम
जीव विज्ञान का अद्भुत ज्ञान
जीवन एक तपस्या जिनकी
दूर करने को प्रतिबद्ध शारीरिक एवं
मानसिक समस्या असाध्य रोंगों से घिरा
इंसान ढूंढ़ता है एक चिकत्सक के रूप में भगवान
 जब खतरे में होती है मनुष्य जीवन के प्राण
जीवन और मृत्यु की जंग में बनकर रक्षा प्रेहरी
करते हैं समस्त प्रयास और देते हैं जीवन दान
हमें गर्व है  आप सब चिकित्सकों पर, महान योद्धा ओं पर महामारी के संकटकाल में जब देश के सभी लोग अपने -अपने घरों में बैठे होते हैं, आप सभी स्वास्थ्य योद्धा, डटे हुए रहते हैं स्वास्थ्य लाभ देते हैं अपनी जान जोखिम में डालकर ।
 नमन है,नतमस्तक हैं, महामारी में बनकर योद्धा
सरहद पर तैनात सिपाही करता है
दुश्मनों से देश की रक्षा
वहीं धरती पर दूसरे योद्धा जो
जो सदैव तैयार रहते हैं करने को दूर
शारीरिक समस्या दिलाते हैं असहनिय दर्द से
मुक्ति ,पास इनके होती है निष्ठा और कठीन
साधना की शक्ति
धरती पर परमात्मा की सौगात
दिव्य जीवन का आशीर्वाद,स्वस्थ जीवन
जीने का देते हैं महादान ।

कैसे कह दूं उन्हें मात्र इंसान
कहते हैं जिन्हें धरा के भगवान
या कहें फ़रिश्ते ए आसमान
जीव विज्ञान का अद्भुत ज्ञान
कठिन साधना का परिणाम
जीवन एक तपस्या जिनकी
दूर करने को प्रतिबद्ध शारीरिक एवं
मानसिक समस्या असाध्य रोंगों से घिरा
इंसान ढूंढ़ता है एक चिकत्सक के रूप में भगवान
 जब खतरे में होती है मनुष्य जीवन के प्राण
जीवन और मृत्यु की जंग में बनकर रक्षा प्रेहरी
करते हैं समस्त प्रयास और देते हैं जीवन दान
सच में यह तो धरती पर दूसरे भगवान
चिकित्सक ,डाक्टर फ़रिश्ते सच में डाक्टरों
से भी जुड़े होटें भावुक से रिश्ते।
मातृत्व सी ममता,स्नेह दुलार और फिक्र भरी फटकार
डॉक्टर आप सभी है शक्ति का अवतार
जीवन को नई राह दिखाते जीवन जीने का आधार ।
सेवा धर्म को जीवन का
उद्देश्य बनाकर चलना पीड़ितों
 उपचार एवम् स्नेह का
 भाव का मरहम
कैसे कह दूं उन्हें मात्र इंसान
कहते हैं जिन्हें धरा के भगवान
या कहें फ़रिश्ते ए आसमान
जीव विज्ञान का अद्भुत ज्ञान
कठिन साधना का परिणाम
नमन है,नतमस्तक हैं, महामारी में बनकर योद्धा
सरहद पर तैनात सिपाही करता है
जैसे करता है देश की रक्षा
वहीं धरती पर दूसरे योद्धा जो
जो सदैव तैयार रहते हैं करने को दूर
शारीरिक समस्या दिलाते हैं असहनिय दर्द से
मुक्ति ,पास इनके होती है निष्ठा और कठीन
साधना की शक्ति
धरती पर परमात्मा की सौगात
दिव्य जीवन का आशीर्वाद,स्वस्थ जीवन
जीने का देते हैं महादान ।
* धरती पर परमात्मा की सौगात
दिव्य जीवन का आशीर्वाद
कैसे कह दूं उन्हें मात्र इंसान
कहते हैं जिन्हें धरा के भगवान या    कहें फ़रिश्ते ए आसमान
जीव विज्ञान का अद्भुत ज्ञान
कठिन साधना का परिणाम
जीवन एक तपस्या जिनकी
 चिकत्सक के रूप में भगवान                                                    योद्धा स्वस्थ जीवन देने का  समझौता निष्ठा और कठीन साधना की शक्ति सेवा धर्म सर्वोपरि धरती पर परमात्मा की सौगात दिव्य जीवन का आशीर्वाद,स्वस्थ जीवन जीने का देते हैं महादान धरा पर मानव के भगवान, जीवन जिनका सार्थक एवम् महान धन्य सदा पाते रहें परम पिता से वरदान   ।
 जीवन जीने की आती है जिन्हें
भरपूर कला, सेवा धर्म सर्वोपरि
पीड़ितों के दर्द का उपचार
हर्षित मुख परस्पर प्रेम पूर्ण जिनका
व्यवहार, स्वस्थ जीवन जीने का देते जो उपहार
परमात्मा का आपको मिलता रहे
दिव्य आशीर्वाद ,धरती पर
परमात्मा का अवतार ,चिकत्सक पथ
जीवन सजग ,सेवा धर्म , पीड़ितों की
मरहम पर स्नेह और विश्वास का साथ
नित नूतन ऊंचाईयों का मिलता रहे प्रसाद
परमात्मा
आयुर्वेद की ज्ञाता
जड़ी-बूटियों से जीवन का
उपचार जीवन में संतुलित व्यवहार
पीड़ितों के दर्द का उपचार
आपके जीवन का आशीर्वाद
हम सब का विश्वास आपको देकर
सम्मान और हम सब का आपको
दिल से पर
सेवा धर्म को समर्पित जिन्दगी
दीर्घ आयु का देती वरदान





अभिशाप का वरदान

 वरदान बनकर फलित
 होता है नियति से मिला
 जीवन का अभिशाप
 समाहित होता है श्राप के
 मध्य एक संताप स्वयं
 के कर्मों का हिसाब।
बुद्धिजीवी टूट कर भी 
नहीं बिखरते,वरन संवरते
अभिशाप का प्रसाद
कर स्वयं के
जीवन में स्वीकार
बेहद का तिरस्कार
जीवन की जंग में
अकथनीय बहिष्कार
विषम परिस्थितियों
को मान जीवन का वरदान
तत्पर रहता है जो
कर्मठ कर्मप्रधान
जूझता है जो विपत्तियों
को परीक्षा मान
अभिशाप भी बन निखर
जाता है प्राप्त होता है सम्मान।
अभिशाप के दर्द का मर्म
 धैर्यवान समय बलवान
वक़्त बदलता है सत्य
शाश्वत बलवान ।
 






जीवन में सरलता

जीवन में सरलता
स्वभाव मेरा तरलता
मुझमें निहित स्वच्छता
गुण मेरा निर्मलता

क्योंकि मैं तरल हूं
इसलिए मैं सरल हूं
इसलिए मैं निश्चल हूं
मैं प्रतिबद्ध हूं

अग्रसर रहना मेरी प्रकृति
शीतलता देना मेरी प्रवृति
मुझमें अथाह प्रवाह
मुझमें ऊर्जा का भंडार
बांधे जो मुझमें बांध
हुए ऊर्जा का संचार

जीवन का अद्भुत व्यवहार
देना जीवन का आधार
ऊर्जा का कर दो संचार
तभी दूर होगा अन्धकार
सही जीवन का यही उपचार
जीवन का सगुण संस्कार









नमन ,वंदन

श्रद्धा की डोर,विश्वास का बन्धन
आत्मा के दर्पण में दिव्य ज्योत के दर्शन
 मन के सारे मैल और दुविधाओं का जब 
हो जाता अंत ,भावनाओं के समुन्दर में
करके मंथन ,उलझनों का हो जब अंत
प्राप्त हो संतुष्टता का धन जीवन में जागे 
नई उमंग, शुभ कर्मों का ही हो बस संग 
दिव्य गुरु के आशीर्वाद का संग
नमन, नतमस्तक परम श्रद्धेय गुरु देव जी को
नमन एवम् सहृदय वंदन ।

*जीने की कला *

जिन्दगी के सफ़र में हैं
कर्मों के बीजों से अपनी फसल
तैयार कर रहे हैं ।
ज्यादा सम्भल कर ,
बेहतरीन सोच कर
धरती एक सराय है
कर्मों का कारवां तैयार
किया है स्वयं को समर्पित
कर खुशियों के बहाने ढूढ़ कर
खुशियां रोप रहे हैं
जिन्दगी के सफ़र में जीविका
की दौड़ में बेहतरीन कर गुजरने को
स्वयं से और हालातों से सामंजस्य
बना कर अपने अस्तित्व में नए रंग
भर रहे हैं ,अपने व्यक्तित्व को निखार
रहे है,किन्तु ऐसा कदापि नहीं की हम
बदल रहे हैं ,हम जीने के हुनर बांट रहे हैं
यूं ना कहो की हम बदल रहे हैं
वक़्त अनुसार अपने किरदार में ढल रहे हैं
जीवन जीने की कला में में निपुण हो रहे हैं ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...