जीवन में सरलता

जीवन में सरलता
स्वभाव मेरा तरलता
मुझमें निहित स्वच्छता
गुण मेरा निर्मलता

क्योंकि मैं तरल हूं
इसलिए मैं सरल हूं
इसलिए मैं निश्चल हूं
मैं प्रतिबद्ध हूं

अग्रसर रहना मेरी प्रकृति
शीतलता देना मेरी प्रवृति
मुझमें अथाह प्रवाह
मुझमें ऊर्जा का भंडार
बांधे जो मुझमें बांध
हुए ऊर्जा का संचार

जीवन का अद्भुत व्यवहार
देना जीवन का आधार
ऊर्जा का कर दो संचार
तभी दूर होगा अन्धकार
सही जीवन का यही उपचार
जीवन का सगुण संस्कार









नमन ,वंदन

श्रद्धा की डोर,विश्वास का बन्धन
आत्मा के दर्पण में दिव्य ज्योत के दर्शन
 मन के सारे मैल और दुविधाओं का जब 
हो जाता अंत ,भावनाओं के समुन्दर में
करके मंथन ,उलझनों का हो जब अंत
प्राप्त हो संतुष्टता का धन जीवन में जागे 
नई उमंग, शुभ कर्मों का ही हो बस संग 
दिव्य गुरु के आशीर्वाद का संग
नमन, नतमस्तक परम श्रद्धेय गुरु देव जी को
नमन एवम् सहृदय वंदन ।

*जीने की कला *

जिन्दगी के सफ़र में हैं
कर्मों के बीजों से अपनी फसल
तैयार कर रहे हैं ।
ज्यादा सम्भल कर ,
बेहतरीन सोच कर
धरती एक सराय है
कर्मों का कारवां तैयार
किया है स्वयं को समर्पित
कर खुशियों के बहाने ढूढ़ कर
खुशियां रोप रहे हैं
जिन्दगी के सफ़र में जीविका
की दौड़ में बेहतरीन कर गुजरने को
स्वयं से और हालातों से सामंजस्य
बना कर अपने अस्तित्व में नए रंग
भर रहे हैं ,अपने व्यक्तित्व को निखार
रहे है,किन्तु ऐसा कदापि नहीं की हम
बदल रहे हैं ,हम जीने के हुनर बांट रहे हैं
यूं ना कहो की हम बदल रहे हैं
वक़्त अनुसार अपने किरदार में ढल रहे हैं
जीवन जीने की कला में में निपुण हो रहे हैं ।

*धरा के भगवान*


धरती पर मनुष्यों के भगवान
कैसे कह दूं उन्हें मात्र इंसान
कहते हैं जिन्हें धरा के भगवान
या कहें फ़रिश्ते ए आसमान
जीव विज्ञान का अद्भुत ज्ञान
कठिन साधना का परिणाम
जीवन एक तपस्या जिनकी
दूर करने को प्रतिबद्ध शारीरिक एवं
मानसिक समस्या असाध्य रोंगों से घिरा
इंसान ढूंढ़ता है एक चिकत्सक के रूप में भगवान
 जब खतरे में होती है मनुष्य जीवन के प्राण
जीवन और मृत्यु की जंग में बनकर रक्षा प्रेहरी
करते हैं समस्त प्रयास और देते हैं जीवन दान
हमें गर्व है  आप सब चिकित्सकों पर, महान योद्धा ओं पर महामारी के संकटकाल में जब सभी जन अपने -अपने घरों में बैठे होते हैं, आप सभी स्वास्थ्य योद्धा, डटे हुए रहते हैं स्वास्थ्य लाभ देते हैं अपनी जान जोखिम में डालकर ।
 नमन है,नतमस्तक हैं, महामारी में बनकर योद्धा
सरहद पर तैनात सिपाही करता है
दुश्मनों से देश की रक्षा
वहीं धरती पर दूसरे योद्धा जो
जो सदैव तैयार रहते हैं करने को दूर
शारीरिक समस्या दिलाते हैं असहनिय दर्द से
मुक्ति ,पास इनके होती है निष्ठा और कठीन
साधना की शक्ति
धरती पर परमात्मा की सौगात
दिव्य जीवन का आशीर्वाद,स्वस्थ जीवन
जीने का देते हैं महादान ।

जिन्दगी इतनी भी सस्ती नहीं


आता है मुझे दुविधाओं से लड़ना
आता है अपनी ख्वाहिशों पर कुर्बान होना
आता है इंतजार करना।

जिन्दगी मेरी इतनी सस्ती भी नहीं
करूं मैं आत्महत्या ,जिन्दगी मेरी अपनी है
किसी और की नहीं है।
कई लाख योनियों के उपरांत मनुष्य
जीवन पाया है ।

नहीं जाने दूंगी जीवन को जाया मैं
माना की आज मेरी किस्मत से दुश्मनी है
मेरी जिन्दगी दौराहे पर खड़ी है।
यह बात भी ना कम बड़ी है
उम्मीद की डोर मैंने भी आखिरी दम
तक पकड़ी है ।

मेरे भाग्य की मुझसे जिद्द बड़ी है उसे मुझे हराने की
और मुझे उससे जीतने की जिद्द बड़ी है ।
मेरे अकेले पन का हमराही मेरा दर्द ही सही
मेरा हमदर्द भी वही है ।

मैंने जिन्दगी के हर दौर से समझौते की
सीखी कारीगरी है
उसकी और मेरी जिद्द में अब समझौते की घड़ी आ गई है ।





* संकल्प शक्ति की सार्थकता*

मैं भारत माता गौरवान्वित
हो जाती हूं अपने वीर जवानों
की संकल्प शक्ति पर
सार्थकता तब ही
सिद्ध होती है जब
उसमें सत्यता निस्वार्थ
प्रेम, निश्चलता और शांति
का समावेश होता है
सहन शक्ति में छिपी
अदृश्य शक्ति अद्वितीय होती है
हां मैं शांति प्रिय हूं
हां किसी को आहत
करने में विश्वास में
मेरा विश्वास नहीं
हां मैं किसी पर
आक्रमण करने की
पहल नहीं करती
और सदा सर्वदा
शांति और सद्भावना
को अपने स्वभाव में
संजोकर रखता हूं ।
किसी अन्य की सम्पत्ति,
वस्तु,जायदाद को मैं कभी
छीनना मेरा स्वभाव नहीं
किन्तु जब कोई मेरे अपनों की
भी वस्तु पर नजर रखता है
या छीनने का प्रयास करता है उसे
सबक सीखना मुझे खूब आता है
मैं भारत माता हूं ,मुझे गर्व है मेरे वीरों पर
जो मेरी रक्षा के लिए शून्य डिग्री के तापमान
में तैनात रहकर मेरे लिए अपने प्राणों को
दांव पर लगाना अपनी शान समझते हैं
और शहीद होना उनके लिए गौरव होता है।




आत्मबल का धन सदा ही संग रखना

ऐ मानव तुम कभी मत टूटना
आत्मबल का धन सदा ही अपने संग रखना
आत्मसंयम की निधि भी संग तुम्हारे
धैर्य के खजाने की कूजी
विश्वास की शक्ति भी संग तुम्हारे
सशक्त शक्तियों के दिव्य खजाने भी तुममें निहित
ऐ मानव तुम मत टूटना
तुम मत बिखरना
जीवन की कसौटी पर खरे उतरना तुम्हें है
किसी भी विप्पत्ति में कमजोर मत होना
तुममें निहित आत्म ज्योत जलाकर
साकारात्मक सोच को सदा ही अपने संग रखना
नकारात्मकता की कई दुविधाएं तुम्हें आजमाएगी
परीक्षाओं में तुम्हें है खरे उतरना
तुम मत हारना विपत्तियों में हौसलों को सदा ही संग रखना ,संयम संग धैर्य की डोर को तुम थामें रखना
जिन्दगी में परीक्षाओं के दौर से मत हारना
तुम हो दिव्य तेज़ का पुंज
सकरारात्मक प्रकाश का उजाला
अपनी शक्तियों को सदा ही संग रखना
धैर्य संग स्वयं में विश्वास को सदा ही जीवित रखना
ऐ मानव तुम मत टूटना
आत्मबल का धन सदा ही संग रखना ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...