*खुद्दारी *



"कहते हैं जान है तो जहान है "

        सुना है, बाहर कोई वाइरस घूम रहा है।
  किसी राक्षस की भांति वो हमें छूने मात्र से संक्रमित कर जायेगा ।

            हे भगवान  ये कैसी आपदा है ।
लोगों को कैद करके अब बहुत मज़ा आ रहा है।

   अरे भाई जानता के पसंदीदा मनोरंजन के प्रोग्राम जैसे,रामायण,महाभारत ,शक्तिमान,चाणक्य आदि  सब दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहे हैं ।

 हम कोई बच्चे थोड़े हैं जो हमें बेहला रहे हो ।
 अरे मित्र कैसी बातें कर रहे हो तुम एक समझदार देश के नागरिक हो देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाओ ।

 जहां तक मुझे पता है तुम्हारे अंदर देशभक्ति के बहुत से गुण हैं ।
आज समय है ,अपनी देशभक्ति दिखाने का ।

 मित्र हमारे घर में जो साफ-सफाई का काम करती है ना मालती नाम है उसका ,उसके चार बच्चे सभी स्कूल जाते हैं ,और उसका पति मजदूरी करता है ,पता है कल वो हमारे घर आयी थी बहुत रो रही थी कह रही थी घर में सात लोग खाने वाले हैं,और कमाने वाला एक ,  मेरी कमाई से क्या होता है बच्चों की फीस और खर्चे भी पूरे नहीं हो पाते ,और मेरा पति वो तो जितना कमाता है, उससे ज्यादा की तो वो शराब ही पी जाता है ,कल मेरे पति ने मुझे बहुत मारा कह रहा था ,पैसे दे मुझे शराब पीनी है ।

  तुम बताओ मित्र ऐसे लोगों का क्या होगा ,माना कि सरकार इन लोगों को राशन दे रही है,कई लोग खाना बना कर भी बांट रहे हैं ,माना कि भूखे तो यह लोग नहीं रहेंगे ।

 मित्र इसके विपरीत एक और दर्दनीय दृश्य जो पर्दे के पीछे है जो दिखता नहीं और कोई उसे दिखाना भी नहीं चाहता वह दृश्य है कुछ खुद्दार लोगों का कुछ इज्जतदार लोगों का जो भूखे रह लेंगे परंतु किसी के सामने रोएंगे नहीं हाथ नहीं फैलाएंगे ।

   यह वर्ग है देश के मध्यम वर्गीय परिवार के लोग ये लोग बहुत खुद्दार होते हैं यह लोग दिल के बहुत अमीर होते हैं ।

 यह वर्ग अपने परिवार को अपनी हैसियत से ज्यादा अच्छा रहन-सहन देते हैं ,जो कमाते हैं ,वही खर्च करते हैं । इनके पास ज्यादा जमा पूंजी नहीं होती ।
कब तक खाएंगे यह लोग अपनी जेब से निकाल कर ये खुद्दार लोग किसी से मांगेंगे नहीं भूखे मर जाएंगे ,
 कुछ करना होगा मेरे मित्र इन खुद्दार लोगों के लिए जल्दी से जल्दी स्थिति को सुधार कर इन्हें काम पर लौट जाने देना होगा मेरे मित्र .........

*जिन्दगी को जीने के बहाने *

    " कुछ खोने के दर्द में

      कुछ पाने के बहाने मिल गए"

**जिन्दगी को जीने के बहाने मिल गए

मकान को घर बनाने के अफसाने मिल गए

धीमी रफ़्तार में चलने के ठिकाने मिल गए

थोड़ा आराम करने के दिन जो सयाने मिल गए

हंसने मुस्कराने के तराने मिल गए

बेवजह गुनगुनाने को गाने मिल गए

खेल-कूद मौज-मस्ती के मानों दिन 

वो बचपन के पुराने मिल गए 

एक दूजे संग सामंजस्य बिठाने के 

लिए रिश्तों को निभाने के लिए 

फुर्सत के पल एहसास ए तराने मिल गए 

किसी बहाने से ही सही ,जिन्दगी को 

जीने के बहाने मिल गए ।

जिन्दगी को जीने के बहाने मिल गए

      " इंसान को बैठना पड़ा घरों में  

    कैद होकर ,प्रकृति को लहलहाने 

             के बहाने मिल गए 

    वसुन्धरा को समृद्ध होने के

         वक़्त ए जमाने मिल गए              

     वायुमंडल में शुद्ध हवा के झौकों को 

         ठिकाने मिल गए "




* भारत की पहचान *



   *भारत मेरा  देश महान ,भारत माता की जय*


भारत मात्र क्षेत्रफल या क्या किसी सीमा का नाम  ही है ? 

 "भारत माता की जय " हम भारतीय अपने देश को माता का स्थान देते हैं ,क्योंकि माता का स्वरूप वसुंधरा की भांति सदैव अपनी संतानों के कर्म फलों का भार सहन करते हुए स्वयं को और अपनी संतानों को संभाले रहती है ,और कभी विचलित नहीं होती ।


  *भारत की पहचान भारत का अस्तित्व ,हम सब भारत के नागरिकों से हैं ,हम सब भारतीय भारत के नागरिकों से रहित, भारत देश मात्र क्षेत्रफल या सीमा ही बनकर रह जाएगा।


भारत की पहचान हैं , हम सवा सौ करोड़ देशवासी।

आप , मैं और हम सब के बिना भारत की पहचान है ।सिर्फ एक क्षेत्रफल है ।


किसी भी देश की संस्कृति ,वहां की सभ्यता ही वहां के नागरिक और नागरिकों के उच्च आदर्श ,कर्मों में कर्मठता ,ज्ञान ,विज्ञान और संस्कार ही उस देश की पहचान और सभ्यता का प्रतीक होते हैं।


  सभी भारतीय ,भारत के नागरिकों के द्वारा किए गए निस्वार्थ कर्म जो स्वार्थ सिद्धि से ऊपर उठ कर सबके और समाज के हित में किए जाते हैं ,वह सब देश की धरोहर देश की वास्तविक सम्पदा है ।



सकारात्मक सामूहिक संकल्प शक्ति

दिव्य मशाल की ज्वाला से 

वायुमंडल को प्रकाशित करना  है

वैश्विक महामारी के संकट काल में

सामूहिक सात्विक ऊर्जा शक्ति से

सकारात्मकता का दिव्य तेज

 जब समस्त विश्व को प्रकाशित करेगा ।

तब नकारात्मक ऊर्जा के

संकट को भागना ही पड़ेगा

आत्मशक्ति के तेज का प्रकाश जब

सम्पूर्ण विश्व में फैलेगा ,

तब अवश्य ही

विश्व के समस्त प्राणी

 स्वस्थ,निरोगी एवं दिव्य होंगे ।

पुष्पों में पुष्प पलाश

पुष्प तुम विधाता की
प्रकृति को बेहतरीन
अनमोल ,अतुलनीय अद्भुत 
देन या यूं कहिए भेंट हो ।

पुष्प तुम्हारी प्रजातियां अनेक
पुष्पों में पुष्प पलाश 
पल्लवित पलाश दर्शाता
प्रकृति का वसुंधरा 
के प्रति अप्रितम प्रेम
दुल्हन सा श्रृंगार
सौंदर्य का अद्भुत तेज 
पुष्प तुम प्रकृति के 
अनमोल रत्न दिव्य आधार
पुष्प तुम श्रद्धा
पुष्प तुम श्रृंगार 
पुष्प तुम प्रेम 
पुष्प तुम मित्रता 
पुष्प तुम समर्पण
पुष्प तुम महक
पुष्प तुम रौनकें बहार
पुष्प तुम संवेदना
पुष्प तुम श्रद्धांजलि
मिट्टी की गोद आकाश की छत
कांटों के बीच भी मुस्कराते हो
जीने की वजह बन जाते हो
पुष्प ने कहा ,मेरा स्वभाव ही ऐसा है 
मुस्कराने के सिवा कुछ आता नहीं 
देने के सिवा कुछ भाता नहीं








*पलाश के पुष्पों का सुन्दर संसार*

पलाश के पुष्पों का सुन्दर संसार
मन प्रफुल्लित रोम-रोम में होने
लगा अद्भुत रक्त संचार
सत्य है प्रकृति तुम हो जीवन का आधार
तुमसे ही सुन्दर संसार
वसुंधरा भी करती है श्रृंगार
मन मोहित हर्ष आभार
प्रकृति की बहार
नाच उठा मन मयूर
अद्भुत प्रकृति भी खूब चित्रकार

नई नवेली दुल्हन सा श्रृंगार
पलाश के पुष्पों की रक्तिम
बूटियों से जड़ी चुनरिया की कतार
अग्नि शोलों सा प्रतीत होता
सानिध्य में शीतल अतुलनीय
आभास ,मानों प्रेम की मीठी मिठास
रक्त वर्ण पलाश के पुष्पों की आभा
अग्निपथ प्रतीत होता
टेसू के कानन में जब झांका
प्राप्त हुई शांत ,निर्मल सुन्दर
रक्तिम पलाश के पुष्पों
की चुनरिया ओढ़े
दुल्हन ,प्रकृति चित्रकार
वसुंधरा दुल्हन ,अम्बर दूल्हा
देख मेरा रूप चांद भी शर्माता.......
पलाश के पुष्पों ने मेरा मन मोह में बांधा।




*काजल भागों वाला*

* काजल जो बिखर 
जाए तो कालिख 
बन जाता है *
काजल तू काला है
फिर भी भाग्य वाला है 
तेरा रूप निराला है 
यकीनन किस्मत वाला है
सौंदर्य का तू प्रेमी है
बनकर काला टीका नज़र से बचाता है
सौंदर्य को निहार स्वयं भी आकर्षण का केंद्र बन जाता है , काजल तुम वास्तव में भागों वाले हो
तुम्हें ही नयनों में सजाया जाता है
सौंदर्य का प्रसाधन भी माना जाता है
ऐ काजल तुम नयनों की शोभा बढ़ाना
नज़र से भी बचाना परंतु कभी ना किसी के
जीवन में कालिख बनकर मत आना
आना तो सौंदर्य ही बढ़ाने के लिए आना
नज़र से बचाने के लिए आना ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...