Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
*वाइरस *
जागृति की मशाल
कविता मात्र शब्दों का मेल नहीं
वाक्यों के जोड़ - तोड़ का खेल भी नहीं
कविता विचारों का प्रवाह है
आत्मा की गहराई में से
समुद्र मंथन के पश्चात निकली
शुद्ध पवित्र एवम् परिपक्व विचारो के
अमूल्य रत्नों का अमृतपान है
धैर्य की पूंजी सौंदर्य की पवित्रता
प्रकृति सा आभूषण धरती सा धैर्य
अनन्त आकाश में रोशन होते असंख्य सितारों के
दिव्य तेज का पुंज चंद्रमा सी शीतलता का एहसास
सूर्य के तेज से तपती काव्य धारा
स्वच्छ निर्मल जल की तरलता का प्रवाह
काव्य अंतरिक्ष के रहस्यमयी त्थयों की परिकल्पना
का सार है, साका रत्मक विचारो के जागृति की मशाल होती है।
मनमर्जीयां
मां तुमको और तुम जैसे तुम्हारे हम उम्र लोगों को आवश्यकता है खुलकर जीने की खुलकर हंसने की मां तुम हमारे समाज की नींव हों जड़े हों अगर जड़े मजबूत होंगी तभी तो उस पर सुंदर सुंदर फूल खिलेंगे सुंदर पौध तैयार होगी और समाज समृद्ध बनेगा ,मां कर लो मनमर्ज़ी का अभी तक बहुत जिम्मेदारी से संभाली हैं जिम्मेदारियां ।
मित्र मेरी फिक्र
मेरे आने की आहट भी वो पहचानता है
वो मेरी फिक्र करता है
वो अक्सर दिन रात मेरा ही जिक्र करता है
मुझे बेझिझक डांटता है
मुझ पर ही हुक्म चलाता है
मेरी कमियां गिन गिन कर मुझे बताता है
कभी कभी वो मुझे मेरा हम मीत मेरा दुश्मन सा लगता है मगर वो मुझे अपने आप से भी अजीज है
वो मेरा मित्र मेरे जीवन का इत्र जिसका मैं अक्सर और वो मेरा अक्सर करता है जिक्र
मेरा मित्र मेरे जीवन का है इत्र ।
उसे मेरी और मुझे उसकी हरपल रहती है फिक्र ।
वक़्त बदलता है
*लेखनी*
**** स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
यही एक लेखक की इबादत होती है
हर तरफ खूबसूरत देखने की एक
सच्चे लेखक की आदत होती है ***
अन्याय, अहिंसा, भेदभाव,
देख दुनियां का वयभिचार ,अत्याचार
एक लेखक की आत्मा जब रोती है
तब एक लेखक की लेखनी
तलवार बनकर चलती है
और समाज में पनप रही वैमनस्य की
भावना का अंत करने में अपना
महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है
विचारों की पवित्र गंगा की धारा
सर्व जन हिताय हेतु ,
सुसंस्कृत,सुशिक्षित, समाज की स्थापना
का आदर्श लिए , शब्दों के तीखे, बाणों
के जब तीर चलाती तब ,वो इतिहास रचती है ,
युगों-युगों तक आने वाले समाज का मार्गदर्शन
करती है ।
लिखने को तो लेखक की लेखनी लिखती है
एक अद्वितीय शक्ति उसको प्रेरित करती है
तभी तो ऐतिहासिक,रहस्यमयी, सच्ची घटनाओं
की तस्वीरें कविताओं ,कहानियों आदि के रूप में
युगों- युगों तक जन मानस के लिए प्रेरणास्रोत बन जन मानस के हृदयपटल पर राज करती हैं ।
aksshaygaurav@gmail.com स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना यही एक लेखक की इबादत होती है हर तरफ खूबसूरत देखने की एक सच्चे लेखक की आदत होती है *** अन्याय, अहिंसा, भेदभाव, देख दुनियां का वयभिचार ,अत्याचार एक लेखक की आत्मा जब रोती है तब एक लेखक की लेखनी तलवार बनकर चलती है और समाज में पनप रही वैमनस्य की भावना का अंत करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है विचारों की पवित्र गंगा की धारा सर्व जन हिताय हेतु , सुसंस्कृत,सुशिक्षित, समाज की स्थापना का आदर्श लिए , शब्दों के तीखे, बाणों के जब तीर चलाती तब ,वो इतिहास रचती है , युगों-युगों तक आने वाले समाज का मार्गदर्शन करती है । लिखने को तो लेखक की लेखनी लिखती है एक अद्वितीय शक्ति उसको प्रेरित करती है तभी तो ऐतिहासिक,रहस्यमयी, सच्ची घटनाओं की तस्वीरें कविताओं ,कहानियों आदि के रूप में युगों- युगों तक जन मानस के लिए प्रेरणास्रोत बन जन मानस के हृदयपटल पर राज करती हैं ।
आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
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*ए चाॅंद* कुछ तो विषेश है तुममें जिसने देखा अपना रब देखा तुममें ए चाॅद तुम तो एक हो तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों अलग-अलग किया खुद ...
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रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो चल पड़ो मंजिलों की तलाश में किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना फिर उ...