पिछले पन्ने

***जाने क्या ढूंढ़ता रहता हूं
जिंदगी की किताब के पिछले
पन्नों में....
कोई मीठी याद ,कोई हसीन ख्वाब ,
**शायद कोई हसीन याद मुझे
हंसा देगी*
**या फिर कोई पुरानी याद दिल बहला देगी*
**पहुंच जाता हूं पिछली दुनियां में
पन्ने पलटते, पलटते ,बैठे ,बैठे एकांत में
कभी मुस्करा जाता हूं ,
कभी आंसू बहा जाता हूं**
याद आ जाती ,कोई बिछड़ी याद
रुला जाती है ,सोच में पड़ जाता हूं
काश ऐसा होता तो ...
जिंदगी का अगला पन्ना कुछ और होता
पर जो आज है ,वो भी कुछ कम नहीं
सपने अगर सच हो जाएं तो वो सपने नहीं।
कुछ मुश्किल समय ने सबक सिखाए
और अच्छी यादें से तजूर्बे सीख लिए***


* हम सब के जीवन की यही कहानी *

 हम सब के जीवन
 की है यही कहानी
 थोड़ी खट्टी_ थोड़ी मीठी सी
    सबकी जिंदगानी
 कुछ सपने पूरे ,तो
 कुछ अधूरे ..... सपनों के
कशमकश की अद्भुत कहानी
यूं ही बीत जाती है ,रिश्तों संग
बंधी ,मित्रों संग हसीन सफ़र भी
तय करती ,थोड़ी खटपट ,थोड़ी
अनबन ,सेहती ,बनती ,बिगड़ती
हम सब की जिंदगानी ।
राहें सबकी जुदा_जुदा ,मंजिल
सबकी एक।
** जिंदगी के सफ़र की बस यही कहानी
 दरिया बनकर ,सागर में समाहित हो जानी है
हम सब की बस यही कहानी ।
     

**वो ही नज़र आता है **


***** मैं जिधर जाती हूं
           मुझे वो ही नज़र 
                आता है ।
         उसकी बातें करना ,
         उसके गीतों को गुनगुनाना
         मुझे बहुत भाता है ।
         जब _ जब मैंने दुनिया से दिल लगाया
         दुनिया ने बहुत रुलाया ,बहकाया
         स्वार्थ की दुनियां ,सौदागर है ।
         मेरा श्याम जादूगर है ।
               वो मुरली बजाता है
         लगता है, जैसे मुझे बुलाता है
         राधा,ललिता ,विशाखा ,सारी गोपियों
         को वो भाता है ,वो मुरली बजाता है,
                 सबको बुलाता है ,
         मुझे उसके सिवा कोई भी तो नज़र नहीं ।                                आता है ।
         जो उसको सच्चे भाव से बुलाता है
              उसी का हो जाता है ।
       कोई _ कोई तो उसे छलिया भी कह जाता है
       वो भोले भक्तों का सदा साथ निभाता है
       एक वो ही है, जो विश्वास दिलाता है,
       जब भी कोई सच्चे भाव से ,श्रद्धा से
       उसे बुलाता है ,उसके संग_संग वो उसका
                 साथ निभाता है ।
        वो अन्तर्यामी दिल में ही उतर जाता है
        श्रद्धावान का तो प्रिय ,पूजनीय हो जाता है ।     
     

**जीवन पथ **

  **जीवन पथ पर ,मेरे संग सत्य हो ,
     दया धर्म हो, निस्वार्थ प्रेम का अद्भुत रंग हो **

 **मान देना ,सम्मान देना
     पर ना देना अभिमान मुझे **

    ** उपकार करूं , सत्कार करूं मैं
         नहीं किसी का तिरस्कार करूं मैं **

        ** गिरते हुए का सहारा बन जाऊं मैं,
        पर ना किसी को गिराने का प्रयास करूं मैं**

  ** ऊंचा उठना , तरक्की करना हो मंजूर  मुझे,
        किसी को नीचा दिखाना ना भाए कभी मुझे*"
       **
   **ना हो मुझे किसी से कोई ईर्ष्या ,ना कोई
      द्वेष प्रतिस्पर्द्धा **
     ** मेरे कर्म मेरी पहचान बने ,
         मान बने सम्मान बने ,देश की पहचान बने **

     ** चाहे दीपक की तरह जलता रहूं,
          दिन रात पिघलता रहूं ,परंतु आखिरी सांस
          तक उजाले का सबब बन कर जियूं**

      **दरिया के बहते जल सी हो तकदीर मेरी
    रुकना मेरा स्वभाव नहीं ,आगे बढ़ना हो स्वभाव       मेरा**
 **नहीं बनना बड़ा मुझे , कहीं किसी बगिया का पुष्प बनकर ,बगिया को महकाऊ ,अपने छोटे से जीवन को सफल कर जाऊं **


         
     
    

**चिराग था फितरत से**

*******चिराग था फितरत से
              जलना मेरी नियति
               मैं जलता रहा पिघलता रहा
               जग में उजाला करता रहा
               मैं होले_होले पिघलता रहा
               जग को रोशन करता रहा *****
               "जब मैं पूजा गया तो ,

                जग मुझसे ही जलने लगा ,
                मैं तो चिराग था ,फितरत से
                मैं जल रहा था ,जग रोशन हो रहा था
                कोई मुझको देख कर जलने लगा
                स्वयं को ही जलाने लगा
                इसमें मेरा क्या कसूर"
               
                **चल बन जा , तू भी चिराग बन
                थोड़ा पिघल , उजाले की किरण
                का सबब तू बन ,देख फिर तू भी पूजा
                जाएगा ,तेरा जीना सफ़ल हो जाएगा **

****रोना बंद करो ****

      *"*मेरे मित्र तुम्हें क्या हो गया है, आजकल ....,तुम तो ऐसे नहीं थे ।   तुम रोते हुए अच्छे नहीं लगते ।
 **अमन याद है , तुम्हें ,जब में अपने जीवन से निराश और हताश होकर अपना जीवन ही समाप्त करने चला था, तब तुम ढाल बनकर मेरे आगे खड़े हो गए थे । तुमने मुझमें  मेरा आत्म विश्वास वापिस जगाया था । वरना में तो अपनी जिंदगी से हार मान चुका था।  अब तुम्हारा आत्मविश्वास कहां गया , अमन तुम तो इतने कमजोर नहीं हो  ,अच्छा नहीं लगता,  तुम्हारे मुंह से नकारात्मक बातें सुनना , तुम तो वो   सोच हो जो अंधेरे में भी जगमगाए ..... पत्थरों को भी जीवंत कर दे । वीराने में भी मंगल दीप जला दे ।

   ** हां मेरे मित्र "सजग" कई दिनों से ना जाने क्या  हो गया है मुझे ,
 मैं भी बस रोना ही रो रहा हूं ।
 रोना ...... हा _हा,  हां रोना .....
बस हालातों को दोष दे रहा हूं । मैं भी बस जन सामान्य की तरह ,अगर ऐसा होता तो मैं ऐसा होता , मैं ये कर पाता वो कर पाता । कुछ मेरे जैसा ही नहीं ,तो मैं क्या करूं मैं तो  किस्मत को ही  दोष
 दूंगा । अगर मेरे हक में सब होता तो सही होता।
 मेरी किस्मत ही ऐसी है ......
    तुम्हारा स्वास्थ्य ही बिगड़ा है ,मेरे दोस्त अमन .............   आज रसायन विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है ,तुम बहुत जल्दी ठीक हो जाओगे ।
 अभी तुम्हें बहुत से आशा के दीप जलाने हैं । नकारत्मक विचारों की कंटीली झाड़ियों को नष्ट कर सकारात्मक विचारों के बीज बोने हैं ।
     हां मेरे मित्र "सजग"तुम्हारी बात  सही है ,परंतु यह बात भी तो सत्य है कि जीवन एक सफ़र है ।
मेरे जीवन का सफ़र बहुत बेहतरीन रहा , मैंने जीवन के हर _ पल को भरपूर जिया , हताश होना तो मानों मैंने सीखा ही नहीं था ,बहुत से हताश लोगों को आशा की राह भी दिखाई ।
बस मैं तो यही चाहूंगा ,की सब अपने जीवन को जाने समझे ,देखो साधारण सी बात है ,जब हम गाड़ी चलाते हैं ,तो सफ़र में कई तरह के मोड़ आते हैं ,सफ़र है ,रास्ते कैसे भी हों ,चलना तो पड़ता ही है । तो क्यों ना हंसी खुशी अपने सफ़र को पूरा करे ।
"सजग "ने अपने मित्र "अमन" को अपने गले से लगा लिया ,दोनो मित्रों के नेत्रों से प्रेम की अश्रु धारा बह निकली .....

** पैग़ाम मोहब्बत का **

 
*दिल के कोरे काग़ज़
 पर कुछ शब्द ,गुमनाम से लिखता हूं *

* मैं तो हर शब्द में मोहब्बत का पैग़ाम लिखता हूं
आगाज़ दर्द से ही सही पर ,
खुशियों के पैग़ाम लिखता हूं *

मोहब्बत करना कोई फ़िज़ूल का शौंक नहीं
ये तो फरिश्तों की नियामत है
सारी कायनात ही मोहब्बत की
बदोलत है , मोहब्बत ही तो सच्ची इबादत है *

**हां मैं नफरतों की वादियों से
तंग आकर मोहब्बतें
पैग़ाम भेजता हूं **

**जितनी तोहमत लगानी है ,लगाओ
हां _ हां मैं इससे _उससे हर शकस
से मोहब्बत करता हूं **

**तोहफा ए मोहब्बतें के लिए
मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूं
इतने सुंदर किरदार को निभाने की
कला जो मुझको मिली ,
अपने किरदार को निभाने की
भरकस कोशिश करता हूं *



आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...