*पलाश के पुष्पों का सुन्दर संसार*

पलाश के पुष्पों का सुन्दर संसार
मन प्रफुल्लित रोम-रोम में होने
लगा अद्भुत रक्त संचार
सत्य है प्रकृति तुम हो जीवन का आधार
तुमसे ही सुन्दर संसार
वसुंधरा भी करती है श्रृंगार
मन मोहित हर्ष आभार
प्रकृति की बहार
नाच उठा मन मयूर
अद्भुत प्रकृति भी खूब चित्रकार

नई नवेली दुल्हन सा श्रृंगार
पलाश के पुष्पों की रक्तिम
बूटियों से जड़ी चुनरिया की कतार
अग्नि शोलों सा प्रतीत होता
सानिध्य में शीतल अतुलनीय
आभास ,मानों प्रेम की मीठी मिठास
रक्त वर्ण पलाश के पुष्पों की आभा
अग्निपथ प्रतीत होता
टेसू के कानन में जब झांका
प्राप्त हुई शांत ,निर्मल सुन्दर
रक्तिम पलाश के पुष्पों
की चुनरिया ओढ़े
दुल्हन ,प्रकृति चित्रकार
वसुंधरा दुल्हन ,अम्बर दूल्हा
देख मेरा रूप चांद भी शर्माता.......
पलाश के पुष्पों ने मेरा मन मोह में बांधा।




6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!
    बहुत सुन्दर पलाश सी ही मनभावन कृति।

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!!!पलास के सुंदर संसार का दर्शन कराया आपने।बहुत सुंदर रचनाा सराहनीय।

    जवाब देंहटाएं

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...