Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
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आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
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रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो चल पड़ो मंजिलों की तलाश में किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना फिर उ...
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*******चिराग था फितरत से जलना मेरी नियति मैं जलता रहा पिघलता रहा जग में उजाला करता रहा ...
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