*मेरी मोहब्बत *


यूं तो मैं भी मोहब्बत के काफिले
में कब से शामिल था
किन्तु मोहब्बतें इज़हार
करने से डरता था कहीं कोई
मेरी मोहब्बत की चर्चा सरेआम ना कर दे
मेरी पाक मोहब्बत को बदनाम ना कर दे
मेरी मोहब्बत मेरी इबादत है ।
**सजदा करता हूं 
बार-बार ,जिधर देखूं 
सजदे में मेरा सिर झुक जाता है 
क्या करूं ,मुझे उसके सिवा कुछ 
नज़र ही नहीं आता 
ना जाने ये मेरी निगाहों 
का धोका है,या मेरा 
पागलपन ,राह में चलते हर 
जन में मुझे वो ही नज़र आता है 
जब से वो मेरे दिल के द्वार
से मेरे हृदय में घर कर गया है
मेरा घर भर गया है
मोहब्बत से भरा खुशियों का
गुलदस्ता लिए ,वो मेरी रूह को
ऐसी संजीदगी से दुआ दे जाता है
रूह ए चमन  महक जाता है
में उसकी मोहब्बत में पागल हूं
जमाने को पता है
वो मेरा रब ,मेरा ख़ुदा ज़माने से जुदा है
जमाने से जुदा है, क्योंकि वो ख़ुदा है***


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