भगवान ने दो हाथ दिये हैं , किसी के आगे फैलाते नहीं , मेहनत करते हैं गंगा किनारे बैठ फूल बेचते है , ना शिकवा करते हैं ना शिकायत ,बस दो वक़्त की रोटी के लिये दिन भर जुगाड़ करते रहते हैं ,गंगे माता का आशीर्वाद बना रहे , यूँ ही ज़िन्दगी कट जाये , बच्चे पड़ लें कुछ बन जाये बस बहुत है ....
Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
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