“झगड़ा ताक़त नहीं कमज़ोरी है जनाब “
सत्य,प्रेम ,करुणा सबको बाँध रखती है ,और एक जादूयी शक्ति है “।
“झगड़ा करने वाला हमेशा यह सोचता है कि,झगड़ा उसकी ताक़त है ।वह झगड़ा करके सबको चुप करा देगा और कर देता भी है ।
हाँ सच भी कुछ समय के लिये कुछ लोग झगड़े से बचने के लिये चुप भी हो जाते हैं ।
अब तो झगड़ा करने वाले की यह आदत ही बन जाती है ,वो सोचता रहता है यह जो मेरा हथियार है “झगड़ा “बहुत ताक़तवर है सबको चुप कर देता है ।
परन्तु जाने -अनजाने वो ग़लत सोच पल रहा होता है ,झगड़ा कभी भी ताक़त नहीं बन सकता ,झगड़ा एक ऐसा हथियार है जो दूसरे सेज़्यादा स्वयं का ही नुक़सानकर रहा होता है ।
झगड़े को छोड़कर ,अगर अपनी बात को नम्रता से और पूर्ण विश्वास से किसी के समक्ष रखते हैं तो उसका प्रभाव ही अलग होता है
वह प्रेमपूर्ण व्यवहाएक अमिट छाप छोड़ता है सामने वाले की मनःसितिथी पर ...
“ अतः झगड़ा एक ऐसा हथियार है ,जो दूसरे से ज़्यादा स्वयं का ही नुक़सान करता है ,फिर क्यो ना ऐसे हथियार का उपयोग किया जाये
जो सबसे पहलेस्वयं को सुरक्षित रखे ।
सच मानिये प्रेम से कही बात झगड़े से ज़्यादा प्रभावपूर्ण होती है “
सत्य,प्रेम ,करुणा सबको बाँध रखती है ,और एक जादूयी शक्ति है “।
“झगड़ा करने वाला हमेशा यह सोचता है कि,झगड़ा उसकी ताक़त है ।वह झगड़ा करके सबको चुप करा देगा और कर देता भी है ।
हाँ सच भी कुछ समय के लिये कुछ लोग झगड़े से बचने के लिये चुप भी हो जाते हैं ।
अब तो झगड़ा करने वाले की यह आदत ही बन जाती है ,वो सोचता रहता है यह जो मेरा हथियार है “झगड़ा “बहुत ताक़तवर है सबको चुप कर देता है ।
परन्तु जाने -अनजाने वो ग़लत सोच पल रहा होता है ,झगड़ा कभी भी ताक़त नहीं बन सकता ,झगड़ा एक ऐसा हथियार है जो दूसरे सेज़्यादा स्वयं का ही नुक़सानकर रहा होता है ।
झगड़े को छोड़कर ,अगर अपनी बात को नम्रता से और पूर्ण विश्वास से किसी के समक्ष रखते हैं तो उसका प्रभाव ही अलग होता है
वह प्रेमपूर्ण व्यवहाएक अमिट छाप छोड़ता है सामने वाले की मनःसितिथी पर ...
“ अतः झगड़ा एक ऐसा हथियार है ,जो दूसरे से ज़्यादा स्वयं का ही नुक़सान करता है ,फिर क्यो ना ऐसे हथियार का उपयोग किया जाये
जो सबसे पहलेस्वयं को सुरक्षित रखे ।
सच मानिये प्रेम से कही बात झगड़े से ज़्यादा प्रभावपूर्ण होती है “
ये झगडा कमजोरी है ... तर्क नहीं होते तो शोर मचाता है इंसान ...
जवाब देंहटाएंसही लिखा है ...