दिन भर दौड़ता रहता हूँ
सुकून की तलाश में ....
सुख की चाहत में
दर्द से सामना करता रहता हूँ
दुखों से लड़ता रहता हूँ
आधी उम्र बीत गयी
सुखों को सहेजने की कोशिश में
जो सुख -शान्ति मिली भी
उन्हें भी ढंग से जी नहीं पाया
सारी उम्र सहेजता रहा ख़ुशियाँ
उन्हें जीने की चाह में
मैं दर्द जीवन में जीवन जीता चला गया
ये मुस्कराहट भी कितने सुन्दर भाव है
चेहरे पर आते ही सारे दर्द छिपा लेती है
अब मैं आज जो है ,उसको जीना सीख गया हुआ हूँ
जो वर्तमान है वही ख़ूबसूरत है ,सत्य है
भविष्य की चिंता में अपना आज खराब नहीं करता
अपने आज को ख़ूबसूरत बनाओ
कल ख़ुद ब ख़ुद ख़ूबसूरत ख़ुशियों भरा हो जाएगा ।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/03/62.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राकेश जी मेरी लिखी रचना को मित्र मंडली में शामिल करने के लिये आभार सहित धन्यवाद
हटाएंsahi lkha hai ...
जवाब देंहटाएंaaj mein jeena sarv-shrshth hai ... aaj hi jeevan hai ...
आभार आदरणीय नवसा जी
हटाएंधन्यवाद
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंरचना पड़ने और सराहने हेतु धन्यवाद
हटाएंवाह !!! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
शुक्रवार 30 मार्च 2018 को प्रकाशनार्थ 987 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी मेरी लिखी रचना को पाँच लिंको के आनंद में शामिल करने के लिये
हटाएंवर्तमान में जीना, कर्ता भाव से ना जीते हुए साक्षी भाव से जीना ही सुख का मूल है।भविष्य के सुखों के पीछे भागने की मूर्खता में हम अपना वर्तमान भी हाथ से गँवा देते हैं..... आपकी कविता साररूप संदेश दे रही है ।
जवाब देंहटाएंजी मीना जी रचना पड़ने और एक अच्छी टिप्पणी देने के लिये
हटाएंअपने आज को ख़ूबसूरत बनाओ
जवाब देंहटाएंकल ख़ुद ब ख़ुद ख़ूबसूरत ख़ुशियों भरा हो जाएगा ।-
सुंदर संदेश परक रचना !!!!!!!!!!! आदरणीय ऋतू जी सस्नेह शुभकामना |
धन्यवाद रेणु जी
हटाएंबहुत सुन्दर सीख देती सारगर्भित प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
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