*सुकून *


**** मेरे पड़ोस में रहने वाली बूढ़ी अम्मा ,दिन भर घर के द्वार पर ही नज़र आती ।
सब गली मोहल्ले वाले अपने काम से आते-जाते बूढ़ी अम्मा का आशीर्वाद जरूर लेते ।
पहले तो अम्मा द्वार पर खड़ी रहती,पर जब थक जाती तब
बूढ़ी अम्मा अपने घर के द्वार के बाहर अधिकतर एक छोटी सी चौकी लगाकर बैठ जाती ।
आते -जाते सबको देखती रहती ,कभी किसी के पास फुर्सत होती तो दो पल अम्मा के पास खड़ा होकर बातें भी कर लेता ,
बस अम्मा का सारा दिन यूँ ही बीत जाता ।
हम सब आस-पास के गली -मोहल्ले वाले अम्मा को न्यूज़ रिपोटर भी कहते ,कयोंकि अम्मा को कोई काम तो था ,नहीं और सत्तर साल की उम्र में उनके बस की बात भी नही थी कोई काम करने की ।
सुबह सवेरे ही अम्मा रोज का नियम कर्म करके नाश्ता करके बाहर आ जाती ,  और चलते-फिरते कोई न कोई उन्हें कुछ न कुछ जो भी कुछ अलग हो रहा होता आस-पास तो बता देता ,जैसे कोई बीमार है, कोई कहीं बाहर घूमने गया है ,किसी ने कुछ नया खरीदा ,किस की बहू कैसी है, वगैरा-वगैरा  आस-पास देश दुनियाँ में क्या कुछ नया हो रहा है खबर दे देता ।
अम्मा सबकी सुनती ,फिर अपने ढंग से सबको बताती रहती।
हमें भी इंतजार रहता कि अगर कुछ अलग होगा तो अम्मा हमें खबर दे ही देगी ।
जब कभी अम्माँ का स्वास्थ्य ख़राब होता तो वो घर से में ही आराम करती , यूँ तो सब लोग इस बात से चिड़ते थे की अम्मा सबको टोकती है कहते पता नहीं कब इस अम्माँ से पीछा छूटेगा  पर जब एक दिन अम्माँ ना दिखती तो बेचैन हो जाते
  कई परिवारों में कई बार अम्माँ की व किलग्रैम्ज़ से विवाद हो जाता ,कभी देवरानी ,जेठनी कभी सास बहू ,नन्द-भाभी वग़ैरा
  अब तो सब को पता चल हुआ था की अम्माँ इधर की उधर बातें करती हैं चाहे वो अपनी जंग सही होती होंगी पर उनकी
बातें सुन के कई लोग ग़लत मतलब खाते थे ।
एक बार तो अम्माँ ने हमारे ही घर में झगड़ा कर दिया ,हुआ यूँ की अम्माँ ने मेरे पति देव को भड़का दिया की तेरी बीवी तो रोक शाम को बाज़ार जाती है और ना जाने कितना -कितना समान ख़रीद कर लाती है ।
जबकि जीमेल डोनो पति-पत्नी को पता था की अम्माँ किसी भी बात को भूत बड़ा कर कहती है
पर कभी -कभी बुद्धि खराब हो जाती है और बस ....एक दिन मेरे पति देव भी किसी बात से पहले से hi परेशान थे उस पर अम्माँ ने थोड़ा मिर्च माल्स खा कर कह दिया की मैं अभी-अभी आयी हूँ बाज़ार से और भूत समान ख़रीद कर लायी हूँ ,
मेरे पतिदेव तो घर में घुसते ही मुझ पर भड़कने लगे और कहने लगे की उड़ा लो मेरी मेहनत की कमाई को तुम में सारा दिन पाटूँ की तरह घर से बाहर मेहनत करता हूँ और तुम दिन भर घर आराम से रहती हो और शाम को चल देती हो मेरे पैसे उड़ाने मज़े हैं तुम्हारे ।
मैंने अपने पति देव के आगे एक ग्लास ठंडा पानी रखा ,पानी पीते ही वो थोड़ा शांत हुए

मैंने बोला हाँ मैं शाम को बाज़ार जाती हूँ ,पर घर की ज़रूरत का सामान लेने घर का सामान भी आ जाता है और मेरा चलना भी । अगर आपको बुरा लगता है तो कल से बाज़ार नहीं जाऊँगी ,जब आप आओगे तब आपके साथ ही ले आया करेंगे घर का सामान , पति देव बोले अरे नहीं कुछ काम तुम भी कर लिया करो घर का दामन तो तुम ही लाया करो ....
हम दोनो ही हँसने लगे ...
हम सोनी ने अम्माँ जी के घर का दरवाज़ा खटखटाया अम्माँ आयी ,यूँ तो अम्माँ बड़े प्यार वाली थी हमें अपने पास बिठाया
बोली ख्या खाओगे ,हमने बोला अम्माँ कुछ नहीं बस आप बस इधर की बात उधर मत किया कीजिए
अम्माँ बोली मई जानती हूँ ये मेरी हालत आदत है कर करूँ ,मेरे भू बेटे तो मेरे पास रहते नहीं बस टेंशन में सब कर देती हूँ
हमने बोला अम्माँ कल से रोक शाम को हम आपसे मिलने आयेंगे आपके पास बैठेंगे ,अम्माँ ने  डोनो के सिर ख़ुशी से चूम लिए ,अम्माँ बहुत ख़ुश हुई आज उनके चेहरे पर सुकून दिखायी दे था था ।
शायद हमारे बड़े बुज़र्गों को दो हम बच्चों से कुछ नहीं चाहिये बस दो दो बोल प्यार के एर हम बच्चों का साथ चाहिये।

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