देश , प्रदेश,  नेता और राजनीति ।
 👍जिस प्रकार हमारे परिवार के मुखिया अगर निष् पक्ष छवि वाला हो तो  , हो तो वह परिवार नि सन्देह तरककी करता है।

 उसी तरह अगर देश के नेता स्वार्थवाद से ऊपर उठकर देश हित में ही अपना सहयोग देंते तो देश की उन्नति अवश्य होती है और देश तरक्कि की सीढ़िया अवश्य चढ़ता है ।

चुनाव से पहले नेताओं के भाषण, सुनते ही बनते हैं नया जोश नई उमंग ,बड़े-बड़े वादे, हम अपने प्रदेश के लिये ये करे -गे वो करेंगे इतने साल देश का बुरा हाल ,आप अमुक नेता को चुनिये तब देखिये देश सुधर जाएगा अब दूर होगा भ्रष्टाचार ,गरीबों के लिये घर  अब कोई युवा बेरोजगार नहीं होगा जाने और क्या क्या बड़े-बड़े वादे ........😊😊

चुनाव से पहले हाथ जोड़कर एक -एक वोट की भीख मांगी जाती है ।
चुनाव के बाद जब कोई भी नेता जीत जाता है, तो उसके तो दोनो हाथ घी में...........और वोटर बन जाते हैं भीगी बिल्ली 😢😢
अब बेचारे वोटर बस इस इंतजार में फिर से पूरे पाँच साल बीता देते हैं कि नेता जी कब हमारी मागें पूरी करेगें ,कब हमारे प्रदेश, और देश का विकास होगा ।

नेता बनना कोई साधारण काम नहीं है ,बहुत जिम्मेवारी का काम है जी नेता बनना ,नेता लोग नेता गिरी को स्वार्थ वाद से ऊपर उठकर देखें । सिर्फ अपनी तिजोरियाँ भरना ही उद्देश्य पूर्ति नहीं होना चाहिए।
 तरह परिवार को पालना कोई साधारण काम नहीं ,परिवार के मुखिया का निष्पक्ष होना अति आवयशक है ,जो निस्वार्थ भाव से सब फैसलें ले सके ।
ऐसे ही नेता भी होने चाहिये , आज हमारे देश का प्रधानमंत्री हो या किसी प्रदेश का का मंत्री अथार्थ मुखिया ।
 और मुखिया की छवि स्पष्ट होंनी चाहिये , जो अपने हित से से ऊपर उठकर अपनी प्रजा के हित के बारे में सोचता हो ,और देश की उन्रती पर ही जिसका संपूण ध्यान केंद्रित हो, और ध्येय हो।

4 टिप्‍पणियां:

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...