'''नया जमाना आएगा ''
अभी तक जितने नेता हुए , वह नेता जनता के वोटों के आधार पर चुनाव में जीतकर , भिन्न -भिन्न पदो पर मंत्री बन उस पद के कार्यक्षेत्र कि अर्थव्यवस्था का कार्य-भर सँभालते हुए , राजा बन राज्य करते आए।
आज़ दिन तक सभी नेता देश व् समाज कि भलाई व् सुरक्षा से अधिक सवयं कि भलाई पर अधिक धयान देते आए हैं।
जनता कि आवश्यक आवश्कताओं को पूरा करने कि बजाये अपनी आर्थिक उन्नति पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते आये हैं।
मंत्री बनते ही नेताओं के तेवर बदल जाते हैं। वेह मंत्री जो देश व् समाज कि रक्षा के लिए होता है। सबसे पहले उसकी सुरक्षा के कड़े इन्तजाम हो जाते हैं ,फिर चाहे देश कि सुरक्षा ,उसके लिए जान कि बाजी लगते हैं , हमारे सुरक्षा अधकारी ,देश कि पुलिस और देश का सैनिक।
दूसरी तरफ देश का महा नायक ''अरविन्द केजरीवाल जी ''अपनी सुरक्षा के इंतजामों को ठुकरा कर एक आम आदमी कि तरह रहना चाहा , यह उनकी महानता को दर्शाता है , शायद इसी को कहते हैं ,
'' सिंपल लिविंग हाई थिंकिंग '' पहली बार पार्टी वाद से हटकर देश कि आम जनता ने
आम पार्टी से एक हीरा ढूंढ निकला है।
अरविंदजी ने भ्रष्टाचार के दल-दल को साफ़ करने का जो संकल्प लिया है ,उस संकल्प में देश आम जनता को हम सब को मिलकर चलना है भ्रष्टाचार कि जड़े बहुत गहरी हैं जिसके लिए हम सब भारतवासियों को
अरविन्द जी कि ताकत बनना है।
भ्रष्टाचार के बीजों को पनपने से रोकना है।
यूँ तो अन्ना जी ही लड़ाई के महानायक हैं अन्नाजी के संकल्पों व् अनशन ने भ्रष्टाचार कि जड़ो को पहले से ही हिला दिया है और खोकला कर दिया था , मन कि आज अरविन्द जी ने आज अपनी एक अलग पार्टी बना ली है ,परन्तु अन्ना जी का आशिर्वाद आज भी अरविन्द जी के साथ है।
परन्तु मेरा मानना है कि अरविन्द जी का अलग से पार्टी बनाना आवश्यक भी था , क्योंकि कहते हैं न गंदगी को साफ़ करने के लिए गंदगी में उतरना पड़ता है।
आज राजनीती बड़े दल -दल का रूप ले चुकी है , भगवान् करे अरविन्द जी दल -दल में फंसने से बचे , अपना और अपने सहयोगियों का सारा ध्यान भ्रष्टाचार के दल -दल को साफ़ करने में लगवाएं।
भ्रष्टाचार एक गंदे गहरे घिनौने व् स्वार्थ के अंधे कुँए , कि तरह है। जिसका सबसे अधिक नुकसान मध्यमवर्गीय आम जनता को उठाना पड़ता है , तरक्की तो सिर्फ उसी कि होती है ,जो धनवान है ,,ज्ञान कि तो कोई कीमत ही नही।
उम्मीद है कि ,आम पार्टी समाज कि तस्वीर बदलने में ,निरंतर कार्य-शील रहेगी।
भगवान करे कि अन्ना जी का अनशन व्यर्थ न जाए ,आम पार्टी के आम नायक अरविन्द जी निरन्तर कार्य शील रहें , अरविन्द जी को किसी कि सुरक्षा कि आवश्यकता ही न पड़े। वैसे भी कहते है न '' ,जाको राखे साईयाँ मार सके न कोई। ''
एक सुंदर सभ्य सुसंस्कृत समाज कि स्थापना हो , देश कि तक़दीर और तस्वीर दोनों बदले। बस यही चाह है।
नया जमाना आएगा , नया जमाना आएगा।
अभी तक जितने नेता हुए , वह नेता जनता के वोटों के आधार पर चुनाव में जीतकर , भिन्न -भिन्न पदो पर मंत्री बन उस पद के कार्यक्षेत्र कि अर्थव्यवस्था का कार्य-भर सँभालते हुए , राजा बन राज्य करते आए।
आज़ दिन तक सभी नेता देश व् समाज कि भलाई व् सुरक्षा से अधिक सवयं कि भलाई पर अधिक धयान देते आए हैं।
जनता कि आवश्यक आवश्कताओं को पूरा करने कि बजाये अपनी आर्थिक उन्नति पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते आये हैं।
मंत्री बनते ही नेताओं के तेवर बदल जाते हैं। वेह मंत्री जो देश व् समाज कि रक्षा के लिए होता है। सबसे पहले उसकी सुरक्षा के कड़े इन्तजाम हो जाते हैं ,फिर चाहे देश कि सुरक्षा ,उसके लिए जान कि बाजी लगते हैं , हमारे सुरक्षा अधकारी ,देश कि पुलिस और देश का सैनिक।
दूसरी तरफ देश का महा नायक ''अरविन्द केजरीवाल जी ''अपनी सुरक्षा के इंतजामों को ठुकरा कर एक आम आदमी कि तरह रहना चाहा , यह उनकी महानता को दर्शाता है , शायद इसी को कहते हैं ,
'' सिंपल लिविंग हाई थिंकिंग '' पहली बार पार्टी वाद से हटकर देश कि आम जनता ने
आम पार्टी से एक हीरा ढूंढ निकला है।
अरविंदजी ने भ्रष्टाचार के दल-दल को साफ़ करने का जो संकल्प लिया है ,उस संकल्प में देश आम जनता को हम सब को मिलकर चलना है भ्रष्टाचार कि जड़े बहुत गहरी हैं जिसके लिए हम सब भारतवासियों को
अरविन्द जी कि ताकत बनना है।
भ्रष्टाचार के बीजों को पनपने से रोकना है।
यूँ तो अन्ना जी ही लड़ाई के महानायक हैं अन्नाजी के संकल्पों व् अनशन ने भ्रष्टाचार कि जड़ो को पहले से ही हिला दिया है और खोकला कर दिया था , मन कि आज अरविन्द जी ने आज अपनी एक अलग पार्टी बना ली है ,परन्तु अन्ना जी का आशिर्वाद आज भी अरविन्द जी के साथ है।
परन्तु मेरा मानना है कि अरविन्द जी का अलग से पार्टी बनाना आवश्यक भी था , क्योंकि कहते हैं न गंदगी को साफ़ करने के लिए गंदगी में उतरना पड़ता है।
आज राजनीती बड़े दल -दल का रूप ले चुकी है , भगवान् करे अरविन्द जी दल -दल में फंसने से बचे , अपना और अपने सहयोगियों का सारा ध्यान भ्रष्टाचार के दल -दल को साफ़ करने में लगवाएं।
भ्रष्टाचार एक गंदे गहरे घिनौने व् स्वार्थ के अंधे कुँए , कि तरह है। जिसका सबसे अधिक नुकसान मध्यमवर्गीय आम जनता को उठाना पड़ता है , तरक्की तो सिर्फ उसी कि होती है ,जो धनवान है ,,ज्ञान कि तो कोई कीमत ही नही।
उम्मीद है कि ,आम पार्टी समाज कि तस्वीर बदलने में ,निरंतर कार्य-शील रहेगी।
भगवान करे कि अन्ना जी का अनशन व्यर्थ न जाए ,आम पार्टी के आम नायक अरविन्द जी निरन्तर कार्य शील रहें , अरविन्द जी को किसी कि सुरक्षा कि आवश्यकता ही न पड़े। वैसे भी कहते है न '' ,जाको राखे साईयाँ मार सके न कोई। ''
एक सुंदर सभ्य सुसंस्कृत समाज कि स्थापना हो , देश कि तक़दीर और तस्वीर दोनों बदले। बस यही चाह है।
नया जमाना आएगा , नया जमाना आएगा।
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