Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
परोपकार
प्रकृति
जिन्दगी को नये मायने मिले हैं
जब से सूकून के पल मिल हैं
पत्थर सी हो गई थी ज़िन्दगी
पत्थर के मकानों में रहते
एक अनजानी दौड़ में शामिल
बन बैठे स्वयं के ही जीवन के कातिल
फिर क्या हुआ हासिल
हवाओं
चेहरों पर मुस्कान खिल जाती है
जब प्रकृति के समीप जाती हूं
घने वृक्षों की शीतल छाया में
तनाव रहित जीवन का सुख पाती हूं
मन हर्षित हो जाता है पक्षियों के
चहकने की आवाज से कानों में
मीठा एहसास हो जाता है
चित्रकार
बेहतर कल के लिए
आज रुक जाना बेहतर है
अच्छे कल के लिए
भीड़ ज्यादा थी
रफ्तार बहुत तेज
रोक दिया गया
अच्छा हुआ
चोट खाने से
घायल,जख्मी
बहुत कुछ क्षतिग्रस्त
होने से बच गया
दुर्घटनाओं का
सिलसिला थम गया
कई घरों के चिराग
बुझने से बच गए
कई घरों की
दो वक्त की रोटी
का प्रबन्ध बना रहा ....
हिम्मत का कदम बढ़ाना हैै, हारना नहीं हराना है
तूफानों को तो आना है, दस्तूर यह पुराना है
सही बात है बातें करना बहुत आसान है उन पर अमल करना बहुत मुश्किल ।
मुश्किल हालातों में जब सब ओर डर और नकारात्मक विचारों का माहौल हो उस समय ,साकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत विचार मरहम का काम कर हौसलों को मजबूत करने का काम करते हैं, और मन में आत्मविश्वास का दीप जलाकर मन को धीरज देकर कर कहते हैं रास्ते अभी और भी हैं हिम्मत मत हारना, कल फिर नया सूरज निकलेगा
सच में कहना बहुत आसान है , जिस पर बीतती है वही जानता है । किन्तु हिम्मत तो करनी पड़ेगी अपनों के लिए आने वाले कल के लिए ....
सोच को साकारात्मक रखना ही होगा , जो समक्ष है उन्हें साकारात्मकता का प्रकाश देना ही होगा आने वाली पीढ़ी की सोच को साकारात्मक विचारो के हौसलों से तैयार करना होगा ।
जो हो रहा है असहनीय है ,जो छिन रहा है अनमोल है किन्तु जो शेष बच रहा है वह अमूल्य धरोहर है इस समाज की,अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या दोगे ,यही सोच कर कुछ प्रेरक कुछ उपयोगी कुछ साकारात्मक विचारो की संपदा छोड़ जाने की चाह में कुछ करते चले जातीहूं ।
कभी कभी स्थितियां ऐसी आती है , मनुष्य तन से भी कमजोर हो जाता है परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत होती हैं ,उस वक्त मनुष्य को हौसलों की अधिक आवश्यकता होती है ।और साकारात्मक विचार बहुत सहयोगी साबित होते है
सतर्कता से जो कदम बढ़ाता है,
जीत को समीप पाता है
धैर्य को जो धारण करता है
मुश्किलों से ना घबराता है,
साहस से आगे बढ़ता जाता है
हौसलों के काफिले बनाता है ,
उम्मीदों की किरणों के दीपक
लेकर संग लेकर चलता है ,
निराशा में आशा के दीप जलाता है
वह जीवन की जंग में एक
सफल यौधा बन जाता है ।।
वह मनुष्य जग को नयी राह
दिखाता है जग जीवन बन जाता है
इतिहास बहुत कुछ दोहराता है
वक्त का चक्र चलता जाता है
कभी अमृत तो कभी विष भी निकल
आता है, विष जब अपना प्रताप दिखाता है
जिवाणुओं का वाईरस महामारी बन अपना
कहर दिखाता है ,राक्षस की भांति संसार पर
का विनाश का कारण बन जाता है ,सब और
त्राहि-त्राहि हो जाता है कलयुग का चौथा चरण
कष्टदाई आधि-वयाधियों से घिर जाता है
तब मसीहा, स्वयं धरती पर अवतरित हो जाता
जागरूकता का की मशाल जलाता है
धैर्य,संयम,सतर्कता साहस अनगिनत अनमोल
रत्नों की उपयोगिता को जीवन में धारण करने की
उपयोगीता बताता है उम्मीद की किरण बन
जीवन में अमृत बरसाता है जीने की राह दिखाता है।
यौधा है वो जो लड़ता है ,देश का सेवक होता है
जीवन दान देता है
कीमती वही जो उपयोगी हो
राम सिंह:- यह महानगर है, बड़े -बडे लोग रहते हैं यहां बहुत पैसे वाले यह लोग जमीन पर पैर नहीं रखते , लम्बी लम्बी गाड़ियों में घूमते हैं । और मौका मिले तो हवाई जहाज में बैठ कर आसमान की ऊंचाइयां भी नापते हैं ।
शामू :- अच्छा बड़े -बडे लोग बड़ी बड़ी बातें कितने एश ओ आराम हैं ,वाह जिंदगी हो तो ऐसी हो ।और यह बड़े-बड़े लोहे के सिलेंडर यह किस लिए हैं शामसिंह।
राम सिंह :- शाम सिंह तुम जहां हो ठीक हो (दूर के ढोल सुहाने ) समझ लो ।
शाम सिह:- नहीं फिर भी जीते तो शहर वाले हैं ,हम गांव वाले दिन भर काम ही काम.....
रामसिंह :- काम करते हो अच्छी बात है तुम्हारा व्यायाम हो जाता है ,शहर वाले तो पैसे खर्च करते हैं व्यापाम के लिए भी , शहर में तो हर चीज बिकती है ,हवा, पानी,सांसें आदि -आदि जो गांवों में बेमोल हैं इनकी कद्र करो , जीवन रहते मेरे अपनों ...
शामसिंह :- क्या वहां सांसें भी बिकती है ?
राम सिंह :- बिल्कुल सही प्रश्न किया तुमने . आजकल शहरों में एक महामारी फैली हुई हैं , अगर यह बिमारी शरीर में अन्दर तक फैल जाती है तो उस व्यक्ति के फेफड़ों को खराब कर देती है और उस इंसान को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है उसका दम घुटने लगता है ,और कभी कभी तो मृत्यु भी हो जाती है ।
किसी किसी को तो डाक्टर की परामर्श से आक्सीजन वही प्राण वायु जो जो गांवों में मुफ्त में पेड़ पौधों से मिल जाती है, सांस लेने के लिए वह हवा उन्हें पैसे देकर खरीद नी पड़ रही है
शाम सिंह :- ओहो! अच्छा वो लम्बे लम्बे लोहे के सिलेंडर उनमें आक्सीजन है ,यानि इंसान के सांसों के लिए हवा ....
कैसा समय आ गया है , प्रकृति ने मनुष्यों के जीने के लिए सब व्यवस्था की है, लेकिन मनुष्यों ने बिना सोचे समझे प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया ,आज स्थिति ऐसी कर दी की अपनी सांसों के लिए भी हवा नहीं बची ,वो भी खरीदनी पड़ रही है ।
रामसिंह :- शहर वालों का रुपया पैसा सब धरा के धरा रह जाएगा आज वो दुनिया की मंहगी सी महंगी चीजें खरीद सकते हैं , किन्तु क्या फायदा ,जब सांसें ही नहीं रहेगी तो सब पैसा यहीं पड़ रह जाएगा ।
महंगे से महंगा सौदा भी आपकी सांसें नहीं लौटा सकता
जीते जी ज़िन्दगी की कद्र करो मेरे अपनों गयी ज़िन्दगी और गया वक्त फिर लौटकर नहीं आता ।
कवारनटाईन का उद्देश्य
राघव:- वनवास जैसा ही तो है।
राघव :- चौदह दिन के लिए कवारनटाइन हूं , कैसे बीतेंगे चौदह दिन .....
सिया :- राघव , तुम्हें तो सिर्फ चौदह दिन के लिए अलग रहना है तो तुम्हें इतनी परेशानी हो रही है । श्री राम सीता लक्ष्मण जो एक राजा की संतान थे ,राजमहल में रहते हुए समसत सुख सुविधायेओं के बीच जीवन यापन कर रहे थे , उन्होंने राजमहल के समस्त सुख वैभव को पल में त्यागकर वनवास में आने वाली कठिनाई यों के बारे में तनिक भी ना सोचते हुए सहर्ष चौदह साल का वनवास स्वीकार किया था।
राघव :- वो सतयुग था ,और सतयुग की बात अलग थी , मैं साधारण मानव हूं ।
सिया: - राघव तुम्हें अलग तो रहना पड़ेगा , तुम्हारे तन के अन्दर वाईरस रुपी ने प्रवेश कर लिया है ,और तुम्हारे जैसे अनगिनत लोगों के शरीरों में यह वाइरस रूपी राक्षस प्रवेश करके तबाही मचा चुका है और कई लोगों को तो मौत के घाट उतार चुका है ।
अब तुम क्या चाहते हो , तुम्हारे से यह वाइरस रुपी राक्षस और बचे स्वस्थ लोगों के शरीरों में घुस कर तबाही मचा दे।
राघव;- अरे नहीं -नहीं जैसे राम ,सिया,लक्ष्मण के वनवास के पीछे कई विषेश कार्यों को सम्पन्न करना था । ऐसे ही हमें भी इस कवारनटाईन काल में कुछ अधूरे कार्य पूर्ण करने होंगे ।
वाईरस रुपी शत्रु राक्षस से बचना है ,और अपने परिवार को समाज को बचाना है ..... जिसके लिए हमें बहुत कुछ सीखना होगा तैयारी मां करनी होगी
1,कवारनटाईन के बहाने समय मिला है , स्वयं के ऊपर कार्य करने का.... भागती दौड़ती जिंदगी में फुर्सत का जो समय मिला है ,उसका सदुपयोग किजिए ।
चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवाईयों का यथासमय सेवन कीजिए ।
व्यायाम और योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए ।
समय मिला है स्वयं के सुधार का ध्यान योग का अभ्यास कीजिए ।
एक बात तो अवश्य समझ आई होगी स्वास्थ्य धन से बढ़ा कोई धन नहीं , स्वास्थ्य ठीक रहेगा तभी संसार के समस्त सुख अच्छे लगते है ।
1,वाइरस रूपी राक्षस अन्य स्वस्थ लोगों के शरीरों में ना प्रवेश करें इस के लिए कवारनटाइन रूप वनवास को स्वीकार कर अलग रहना होगा ।
2.वाइरस रुपी राक्षस को मारने के लिए मास्क की ढाल सदैव धारण करें ।
3.हाथों को बार बार धोयें , सेनेटाइज करें अनावश्यक रूप से इधर उधर ना छुएं
4, अनावश्यक रूप से घर से बाहर ना निकले जरूरी सामान लाना है तो घर का एक ही सदस्य एक बार में सारा सामान ले आये।
राम जी के वनवास का उद्देश्य था राक्षसों का अंत रावण जैसे महाज्ञानी , किन्तु अहंकारी राक्षस को मारकर पृथ्वी में रामराज्य स्थापित करना ।
आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
-
इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
-
*ए चाॅंद* कुछ तो विषेश है तुममें जिसने देखा अपना रब देखा तुममें ए चाॅद तुम तो एक हो तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों अलग-अलग किया खुद ...
-
रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो चल पड़ो मंजिलों की तलाश में किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना फिर उ...