कोई मुझे पसंद करें
यह मेरी चाह नहीं
मेरे द्वारा किए कर्म
मुझे मेरी पहचान दिलाने
मैं कामयाब होते हैं तो मेरा
जीवन सार्थक है ।।
Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
कोई मुझे पसंद करें
यह मेरी चाह नहीं
मेरे द्वारा किए कर्म
मुझे मेरी पहचान दिलाने
मैं कामयाब होते हैं तो मेरा
जीवन सार्थक है ।।
काम बस इतना करना है
थोड़ा सम्भल कर चलना है
सतर्कता को अपनाना है
सुरक्षा अपनी और अपनों की
करनी है, जिम्मेदारी यह
हम सबको निभानी है
दिखावे की छुट्टी करनी है
परवाह जो अपनों की करते हो
सुरक्षा नियमों का पालन करो
कुछ समय दूर से ही सगे संबंधियों
और मित्रों से मिलों , महफिलें फिर से
जम जायेंगी , ज़िन्दगी रहेगी तो रिश्तों
की डोरियां फिर से तीज त्यौहारों में एक
हो जायेंगी रौनकें बहार लौट आयेंगी ।
उथल-पुथल तो होगी ही
अस्त -व्यस्त हो रखा है सब कुछ
उसे सुव्यवस्थित करने की
प्रक्रिया चल रही है
स्वच्छता अभियान चल रहा है
धूल तो उड़ेगी ही ,एकत्रित हुआ
जहरीला वाईरस गंदगी के रूप में
फैल रहा है , जैसे ही गन्दगी का वाईरस
समाप्त हो जायेगा फिर से धरा मुस्करायेगी
धरती हरी -भरी समृद्ध हो जायेगी
प्राण वायु फिर से लौट आयेगी फिर ना
दम घुटने से ना किसी की जिंदगी जायेगी
धरती पर खुशहाली लौट आयेगी ।
व्यवस्था में सुधार चल रहा है
उथल-पुथल तो होगी ही
अस्त -व्यस्त हो रखा है सब कुछ
उसे सुव्यवस्थित करने की
प्रक्रिया चल रही है
सुधार का समय चल रहा है
बिगड़े हुए हालातों को काबू
में लाने की प्रक्रिया में त्रुटियों
के लेखा-जोखा का स दक्ष श श्र
गलतियों की होगीं जो सबने
उनके पश्चाताप का समय चल
रहा है
हे राम,एक बार फिर
कहो फिर हनुमान जी से
संजीवनी पर्वत ले आओ
राम भक्तों की व्याधियां दूर कर जाओ
राम भजो आराम मिलेगा
संतुष्टि का वरदान मिलेगा
भटके हुए प्राणियों को सही
राह मिलेगी, सोचने -समझने की
शक्ति मिलेगी,पापों से मुक्ति मिलेगी
पवनपुत्र परम भक्त सियाराम की
भक्ति में तल्लीन रहते राम काज
करने को आतुर विद्यावान गुणी
अति चातुर पवनपुत्र संकट हरते
जीवन में सब मंगल करते ।
हे पवनपुत्र ,जहरीले जीवाणुओं
का वायु मंडल में प्रवेश होकर
प्राणियों पर प्राण घातक हमला
हो रहा है , त्राहि-त्राहि कर जग
रो रहा है। हे संकटमोचन,
संजीवनी बूटी फिर से लानी
पड़ेगी मानवता की लाज
बचानी पड़ेगी ।
दिव्य शक्ति स्वरूपा के उपासक
आप ही धरा पर मानवता के रक्षक ।।
हे सृष्टिकर्ता शिव शक्ति परमात्मा
धरती पर तुमने हमें जीने का अधिकार दिया
धरती का हाल हमने बुरा किया
कर्मों का है खाता बढ़ा, धर्म के नाम पर
बहुत पाखंड किया इंसानियत को भूलकर
हैवानियत का संग किया, स्वार्थ में अंधे
हुए हम ,परमार्थ ना कोई कर्म किया
भक्ति दो,शक्ति दो, कष्टों से अब मुक्ति दो
हे नीलकंठ, प्राणियों को स्वस्थ जीवन
का वरदान दो प्राणी हैं हम तेरे,बालक नादान
बनकर अंजान कर बैठे हैं कर्म जैसे हों शैतान
क्षमा करो अपराध हम सब की पुकार सुनो
परमात्मा,हम सब हैं तुम्हारी ही आत्मा,
धरती पर फैला है कहर
सांसों में घुल रहा है जहर,मनुष्य मर रहा है
दम घुट-घुट कर, प्राण वायु को अब स्वच्छ करो
हवाओं में फैले विष का अब अंत करो
हे नीलकंठ, प्राणियों को दो स्वस्थ जीवन
का वरदान हम सब हैं आपकी संतान ।
भटके हुओं को सही राह दिखाओ
पाप कर्मों से हमें मुक्ति दिलाओ
राह सही चले भलाई के कर्म करें
एसी राह दिखाओ,शक्ति का वरदान दो भक्ति दो ,
पापों से मुक्ति दो स्वास्थ्य धन के
जीवन को मंत्र दो, बुद्धि की शुद्धि
का महादान दो ,भला करे और सोचें सभी का भला
जन की शुभ भावना का प्रसाद दो पवित्रता के
महासागर का अमृत मनुष्यों की मन, बुद्धि, वाणी और
कर्मों में भरपूर भरो ,से सृष्टिकर्ता नीलकंठ परमात्मा
दुखों का अब करो खात्मा मनुष्य जाति सह रही है यातना
हम सब प्राणी हाथ जोड़ ह्रदय से करें यह प्रार्थना
स्वीकार करो हम सब की प्रार्थना ।।।।।
भक्ति दो
आत्मा में शुद्ध बुद्धि का वास हो
शान्ती का
वर
सन्नाटा भागती दौड़ती
सड़कों पर छायी है उदासी
हौसलों के दीपक
सदा अपने संग रखो
मुश्किलों का तूफान कब
आंधियां बनकर आ जाये
उम्मीदों के आसमां संग रखो ।
मुश्किलों की घड़ी है
हौसलों के दीप उजागर
करने की अवधि आन पड़ी है ।
तूफानों की रफ्तार तेज है
सम्भल कर रहने की जरूरत
आन पड़ी है ।
हवाओं में जिवाणुओ
के जहर का कहर
थोड़ा रुक जाने की
सतर्कता से रहने की
जरूरत आन पड़ी है ।
मैं तो सदा से अपने संग
शुभ आशाओं का एक दीप
लेकर चलता हूं , उम्मीद की
नयी किरणों के प्रकाश से
अंधेरों को दूर करता हूं
सकारात्मक सोच की
इंसानियत के चिराग
माना की अंधेरा बड़ा
अंधेरा है एक दिन तो
होना अवश्य सवेरा है
सवेरे में काली घटाऐं हैं
उजाले पर भी कुछ आशायें है
एक दीप आशा का एक दीप उम्मीद का
संग लेकर चलता हूं अंधेरे में हैं जो
उनके लिए आशा की किरण बनाता हूं
क्यों रोता है मानव अंधेरे को क्यों कोसता है
अंधेरा यानि विश्राम की रात्रि आयी है
रात्रि में सतर्कता के गुणों की भरपाई है
रात्रि का अंधकार पश्चाताप की
पीड़ा को कम करने की गहराई है
हर रात के बाद सवेरे की घड़ी आयी है
आज तबाही का मंजर देख आंसुओं से
अपना दामन भीगोता है
भूल को सुधार यह तेरे ही
कर्मों का लेखा-जोखा है
सम्भल जा अभी भी ए मानव,
वही पायेगा जो तूने रौपा है
हारना नहीं हराना है
माना की मुश्किलें भी बड़ी हैं
किन्तु हमारे हौसलों के आगे
पर्वतों की चोटियां भी झुकी हैं
एक वाईरस ने तबाही मचाई है ।
लगता है राक्षस योनि फिर से
जीवंत हो आयी है ।्
सम्भल जा अभी भी ए मानव ,
वहीं पायेगा जो तूने रौपाहै ।
ध्यान-योग की पवित्र स्थली
शुभ कर्म जो, गंगा मैय्या की
शरण मिली, महाकुंभ में
आलौकिक स्वर्ग स्वरूपणी
ऋषिकेश त्रिवेणी संगम की गंगा घाट की
अद्वितीय छवि अन्नत,अथाह ,अविरल
अमृतमयी जल धारा का विहंगम दृश्य
अमृत का कुम्भ पवित्र करो वाणी
गंगा मैय्या के जयकारों से तुम
तन-मन की पवित्रता का महान संयोग
मिटाने को पाप कर्मों के भोग ....
भाग्यवान हैं, उत्तम बना है संयोग
भक्ति रस से सरोबार ,गूंजते शंखनाद
ऋषिकेश त्रिवेणी हर-हर गंगे के जाप
अमृतमयी जलधारा का अमृत
करने को तत्पर है तन मन को पवित्र
अमृत कलश में भर लो गंगाजल
सुलझ जायेगे जीवन के सभी प्रश्नों के हल ... हर - हर गंगे जय मां गंगे 🙏🙏🙏🙏
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...