अमृत कुंभ

ध्यान-योग की पवित्र स्थली

शुभ कर्म जो, गंगा मैय्या की 

शरण मिली, महाकुंभ में 

आलौकिक स्वर्ग स्वरूपणी 

ऋषिकेश त्रिवेणी संगम की गंगा घाट की 

अद्वितीय छवि अन्नत,अथाह ,अविरल 

अमृतमयी जल धारा का विहंगम दृश्य

अमृत का कुम्भ पवित्र करो वाणी

गंगा मैय्या के जयकारों से तुम

तन-मन की पवित्रता का महान संयोग

मिटाने को पाप कर्मों के भोग ....

भाग्यवान हैं, उत्तम बना है संयोग 

भक्ति रस से सरोबार ,गूंजते शंखनाद

ऋषिकेश त्रिवेणी हर-हर गंगे के जाप

अमृतमयी जलधारा का अमृत

करने को तत्पर है तन मन को पवित्र
अमृत कलश में भर लो गंगाजल
सुलझ जायेगे जीवन के सभी प्रश्नों के हल  ... हर - हर गंगे जय मां गंगे 🙏🙏🙏🙏



 

दिव्य अर्क



मिलन समारोह का 
शुभारंभ धरा अम्बर 
मध्य दिवाकर भोर लालिमा मनभावन










सुप्रभात,नव प्रभात 
नव आगमन 
बाल मन,बन नाचे 
मयूर सम, हर्षित स्वप्न 
प्रतीत प्राप्त शुभ रत्न  
स्वर्ण सम कान्तिमय 
उदित सूर्य प्रभात बेला, 
कहे, अब तो जागो  
दस्तक दे रहा है नया 
सवेरा,स्वर्णिम किरणों 
का सजा है रेला
नये दौर का नया मोड़ है 
निराश दिलों में जगी 
है एक नव आशाऐं 
जीवन की रचने को 
नयी परिभाषाएं नया 
केनवास इच्छित रंगों से
आकार बनाओ जीवन को 
मन भावन रंगों से सजाओ 
मिलन समारोह में शामिल
कोमल कोंपलों की लताऐं 
संग अपने नयी शाखाएं 
सुख-समृद्धि की जागृत 
हो रही हैं नव नूतन अभिलाषाऐं ।।





मेरा आशियाना


 निकला जाता हूं अक्सर 

घर से कहीं दूर दिल को बहलाने को

कुछ पल सूकून के पाने को 

दुनिया भर के झंझटों से आजाद हो जाने को

बेफिक्र परिंदा बन आकाश की 

ऊंचाइयों में उड़ जाने को ...

शाम होते ही लौट आता हूं अपने 

आशियाने को, सादे भोजन से तृप्ति पाता हूं 

रख कर सिर लुढ़क जाता हूं खटिया पर रखे सिरहाने पर 

शायद भटक -भटक कर थक जाता हूं 

और समझ जाता हूं अपने आशियाने और 

अपनों के जैसा अपनत्व कहीं नहीं जमाने में 

लाखों की भीड़ है ज़माने में बहुत कुछ आकर्षक

है देखने को दिल बहलाने को 

किन्तु अपनों के जैसा अपनत्व नहीं जमाने में 

मुझे मेरे अपने मिलते हैं मेरे आशियाने में 

खट्टी मीठी एहसास कराने को संरक्षण पाने को ।


  


 

अमृत धारा

श्रद्धा से मेरे दर पर आ कर तो देखो ‌ 

तन के संग मन के समस्त मैल धुल जायेंगे 

सब द्वंद संग बहा ले जाती ‌हूं 

एक ही पल में नव निर्मल धारा 

का आगमन नये आने वाले समय का

आगाज ‌मैं मुक्ति की पवित्रता की बहती धार...

रोक ना सकोगे , मैं बहती जलधार हूं 

प्रकृति की रफ्तार हूं

मैं तरल,सरल, निर्मल हूं 

वसुन्धरा का प्यार हूं दुलार हूं 

आंचल में धरती मां के समाती 

धरा अम्बर का समर्पित प्यार हूं 


बहना आगे की और बढ़ना 

मेरी नियति,बस करो बांध बनाना मुझपर

मेरी फितरत को नहीं बदल सकोगे जानते भी हो 

मुझमें निहित शीतलता में विद्युत तरंगों का तेज भी है 

शीतल हूं , तो जलनशील भी हूं लहरों के उतार-चढ़ाव संग 

सम्भलना भी सीखो ए मानव ,हर बार मैं ही क्यों 

कुछ तुम भी तो बदलो ए मानव .....

 


दस्तक एक आहट


प्रकृति स्वयंमेव एक

अद्भुत चित्रकार 

दिनकर सुनहरी किरणों का 

अद्वितीय संसार सृष्टि पर जीवन 

का आधार दिनकर रहित जीवन 

निराकार , निर्थक , अकल्पनीय ‌ 

सूर्यदव सत्य सारस्वत सृष्टि निर्माणाधीन 

सृष्टि आज उर्जा चमत्कार 

हम सृष्टि के रखवाले 

जैसा चाहे वैसा बना ले

विचारों से मिलता आधार


 

दस्तक एक आहट 

गहरे समुद्र वृहद संसार 

रत्न ,मणियों का अनन्त भण्डार

दिल स्पंदन लहरें उमड़े

शब्द ध्वनि वाक्य आकार  

काव्य का आधार 

प्रेरणा बन उपजे 

खोले आत्मा द्वार

श्रवण द्वार आवाज

अदृश्य पदचाप 

आंगन बीच पदचिन्ह छोड़े 

दिव्य अद्वितीय कृतियों के 

आकार सभ्य अद्वितीय आकार 

सुन्दर सुसंस्कृत सभ्य संसार 

थामे एक डोर 

जीवन की बागडोर 

एक छोर से दूजे छोर 

नव पल्लवों के सुकोमल 

अंकुर नव चेतना के नव रुप 

सुख समृद्धि से भरपूर।


फिर बही रस धार 

निर्झर झरनों सी रफ्तार 

स्वच्छ , निर्मल ,जलधार 






 

लोकतंत्र


स्वस्थ ‌समाज का आगाज़ ‌ 

आपकी हमारी हम सब की आवाज ‌ 

चयनित करें ऐसा नेता जो‌ सुनने को रहे

 तत्पर हर क्षण समाज की आवाज 

निस्वार्थ सेवा जनहित करें हो बढ़ा समाज सुधारक 

बुद्धि जीवि और बड़ा विचारक‌ 

निसंकोच करें हम जिसका आदर 

बने वो हमारे देश का रक्षक 


लोकतंत्र का अधिकार कभी

ना करें इसका दुरुपयोग 

एक अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने 

जैसा रोग ....

लोकतंत्र है एक बड़ा धर्म सर्व जन हिताय

 जिसका मर्म , लोकतंत्र स्व उत्थान का धन 

सूझ-बूझ से बुद्धि जीवि का हो चयन 

लोकतंत्र में प्रजा ही करे‌ अपने ‌राजा का चयन 

राजा वही जो प्रजा का करे प्रगति

 नव नूतन निष्पक्ष निर्माण .........









 










A cup of a Tea


 A cup of tea lucky lucj 

Wow ! Happiness or sorrow


In the rain, with the pakoras

Ginger and basil with winter ‌

Do you have an effect

Get it all the time

 Dussehra or Diwali

Dissolve sweetness in relationships

Fellowship of friendship

Fatigue life

The essence of Hari leaves in a boil of water

Dissolved milk mixture and sugar

Wow but sweet taste! what

Sweetness in the bitterness of life

Makes relationships precious

A tea cup containing cardamom

Taste tongue

Tea is a good excuse

A little late

Relax moments have to be explored.

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...