Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
संस्कृति और सभ्यता
इतिहास गवाह है
भारतीय संस्कृति का
अद्भुत शौर्य, देशप्रेम में
वीरों का बलिदान
नतमस्तक सहृदय सम्मान
इतिहास संस्कृति,सभ्यता
अमूल्य सम्पदा विश्व धरोहर
प्रेरणाओं का अनुपम स्रोत
वेद उपनिषद अनेकों ग्रन्थ
ज्ञान दर्पण एवं ज्ञान गंगा का
अद्भुत अथाह अनन्त सागर
देश,काल, प्रगति का सूचक
इतिहास धरोहर, विचार मनोहर
प्रेरक व्यक्तित्व त्याग, समर्पण
निस्वार्थ सेवा परस्पर प्रेम का
निश्चल पावन सरोवर
सफल जीवन की परिभाषा
कर्मों से जागे निराश जीवन में आशा
नव जीवन की नव अभिलाषा
इतिहास गवाह हो जीवन जियो कुछ ऐसा ।
नाम:- ऋतु असूजा
शहर :- ऋषिकेश उत्तराखंड
सदाबहार
फूल खिले हैं क्यारी - क्यारी
माली ने भी की है खूब तैयारी
वसुन्धरा हर्षित प्रसन्नचित फुलवारी
मौसम अनुकूल कोयल कूके मीठी बोली
वातावरण में गूंजे प्रकृति होती संगीतमय सारी
जल स्रोतों में पक्षी विहार
रंग बिरंगी तितलियों का संसार
मानों प्रकृति का कर रहा हो श्रृंगार
वादियों में रहे सदाबहार
हरे भरे वृक्षों की कतार
फलों फूलों से लदे रहे बागों में
रहे सदाबहार अबकी बार सदा सर्वदा
खुशहाली हो सबके घर द्वार
करते हैं यही दुआ प्रभु से आपार
प्रकृति अद्भुत चित्रकार यूं ही करते
रहना वसुन्धरा का श्रृंगार
हम सब दृढ़ प्रतिज्ञ हो ले शपथ
प्रकृति का संरक्षण हम सब का अधिकार ।।
क्यों ना बस अच्छा ही सोचे
क्यों ना बस अच्छा ही सोचें *
मुश्किलें नहीं आती परंतु अच्छा सोचने वालों के लिए हर मुश्किल भी अच्छाई की ओर ले जाने वाली सीढ़ियां बन जाती है।
चलो हल्के हो जाये
चलो आज फिर सब हल्के हो जाएं
दिल से सच्चे हो जाएं बच्चे हो जायें
मासूमियत के फ़रिश्ते हो जाएं
मुस्कुराहटों को अपने चेहरों पर सजाएं
यूं ही बेबाक मुस्करायें
स्वयं को ना बिन बात पर उलझाएं
सपनों के ऊंचे महल बनाएं
परियों की दुनियां सजाएं
राजा -रानी और जिन्न के किस्से
कहानियों को सच कर जायें
प्रतिस्पर्धा की दौड़ में सब एक
पंक्ति में आ जाये ,ईर्ष्या द्वेष से दूर
अंतरिक्ष में चहल कदमी कर सितारों के
जहां में एक नया जहां बनाएं ,धरती पर
आसमान की दूरियों को दूर कर धरती पर
एक सुन्दर नया प्यारा न्यारा जहां बनायें
जहां सभी नेकी के फ़रिश्ते हो जायें ।
उम्मीद रखो सदा स्वयं से
स्वयं को स्वयं की उम्मीद पर
परखो ना किसी को स्वयं को
खरा बनाओ पारखी बनो
स्वयं की कमियों को जानो
उन्हें निखारो, कमियां किसी की
अपनी नहीं उसमे नासमझी की
जो समझ है हो सके तो उस समझ को
सवारों ,कोयले की खान में से हीरे को
तलाशने की नज़र बना लो जीवन
खूबसूरत होगा नज़र में अच्छी सोच का
नजरिया तो डालो ।
सिर्फ पाने की नहीं देने की नियत बना लो
जिन्दगी बेहतरीन होगी उम्मीद स्वयं की
सोच से स्वयं के कर्मो में कर्मठता का इत्र मिला लो ।
काबिल बनाने के लिए
स्वयं के आत्मसम्मान के लिए
स्वयं की और समस्त जहां की खुशियों के
लिए भलाई के बीज रौपता हूं
सुख समृद्धि और नेकी के लिए
स्वस्थ खुशहाल संसार की कल्पना
करता हूं स्वयं को समझाता हूं
निष्काम कर्म को अपना मूल मंत्रi
ऊं नमो शिवाय
ऊं नमो शिवाय
शिवमय संसार
शिव ही जीवन का आधार
ढूंढता हूं शिव को आंखें मूंद
जबकि शिव तुझमें- मुझमें भीतर- बाहर
दिव्य ज्योत का लो आधार
शिव से होगा एकीकार
भय पर...
पाकर विजय
बना मैं अजेय ...
भय- भ्रम सब का अंत
दुविधाओं का डर नहींं
दौर अग्नि परीक्षाओं का
हुए सब खोट बाहर
शिव स्तुति उपासना का आधार
शिव शक्ति दिव्य ज्योति से जब हुआ एकीकार
मिला जीवन को सुंदर आकार
कुन्दन बना ,कोयले की खानों
में ज्यों एक हीरा नायाब जैसे
सृष्टि कर्ता जब संग अपने
जीवन के अद्भुत रंग अपने
शिव शक्ति को स्मरण कर
ऊं नमो शिवाय का मंत्र रख संग अपने
ऊं नमो शिवाय ।।
जरा सोचिए ...
आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
-
इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
-
*ए चाॅंद* कुछ तो विषेश है तुममें जिसने देखा अपना रब देखा तुममें ए चाॅद तुम तो एक हो तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों अलग-अलग किया खुद ...
-
रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो चल पड़ो मंजिलों की तलाश में किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना फिर उ...