Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
छोटी सी आशा
क्या तुम जिन्दगी में आगे नहीं बढ़ना चाहते , नहीं साहब जी ,बस हम खुश हैं....अपनी इस छोटी सी दुनिया में इतने ऊंचे सपने हमें नहीं सुहाते .... हमरा परिवार में हमको मिलाकर पांच जन हैं.. हमारे दो लड़की दो लड़का है एक पत्नी है उनकी रोटी का इंतजाम होता रहे बस बहुत है ।
और बच्चों की पढ़ाई .....उनकी मां रोज उन्हें भेजती है पास के सरकारी स्कूल में , ज्यादा पढ़-लिख कर क्या करेंगे , बाबू जी .... हमारे पास इतना नहीं की हम इनको ऊंचे-ऊंचे सपने दिखा सके । बच्चों का ब्याह करा दें यही है अपना सपना।
( महीला दिवस विशेषांक )आज भी मेरा दिन है कल भी था और हमेशा रहेगा
सम्मान देना चाहते हो तो
सम्मान दो... सदा सदा के लिए
शाश्वत....
सिर्फ एक दिवस का सम्मान
मुझे स्वीकार्य नहीं ....
महिला दिवस बता.....
मानों महिलाओं को रिझाते हो
हाथ में झुनझुना दे दिल बहलाते हो ।
भूल गए मैं तुम्हारी जननी हूं
माता हूं ..... माना की बीज तुम्हारे हैं
फुलवारी को मैंने बढ़े जतन से पाला है
संस्कारों की खाद से पौष्टिकता और
सभ्यता के विकास को मैंने एक सभ्य
सुसंस्कृत समाज के निर्माण का काम किया है
नहीं चाहिए मुझे एक दिन का सम्मान
देना है तो मुझे मेरा अधिकार दो
बराबरी से चलने की स्वतन्त्रता दो
रक्षा कवच बन रहो ,
निज पशुता का वर्धन करो
जंगलराज का अब अंत करो
कांधे से कांधा मिला संग चलने का आह्वान करो ।
रंगों का अद्भुत संसार
यूं तो मुझे सारे रंग अच्छे लगते हैं किन्तु किस दिन कौन सा रंग पहनूं बढ़ी समस्या होती है ।
अब एक दिन लाल पहना था तो दूसरे दिन कौन से रंग के कपड़े पहनूं ।
हम भारतीय भी हर बात का हल निकाल ना जानते हैं
भारतीय संस्कृति स्वयं में अतुलनीय है
चलो सारी समस्या ही खत्म अब किसी को ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं ।
हम भारतीय सोमवार को भगवान शिव का दिन मानते हैं ,और हमारे ईष्ट शिव शंकर तो भोलेनाथ हैं हमेशा ध्यान तपस्या में लीन रहते हैं । भगवान शिव के नाम पर पवित्र रंग श्वेत , यानि सोमवार का श्वेत रंग ।
मंगलवार ,मगल भवन अमंगल हारी राम भक्त हनुमान केसरी नंदन हनुमान जी का शुभ रंग , केसरी,लाल गुलाबी रंग मंगलवार का शुभ रंग ।
बुधवार ;-ज्ञान बुद्धि एवं समृद्धि सम्पन्नता व्यापार में लाभ के दाता भगवान विष्णु को नमन । समृद्धि का रंग हरा रंग ।
बृहस्पतिवार :- जिसे गुरुवार भी कहते हैं , ज्ञान बुद्धि को देने वाले गुरु को प्रणाम , वन्दना विद्या देवी सरस्वती जी को शुभ रंग पीला , श्वेत ।
शुक्रवार :- वन्दना मां लक्ष्मी देवी माता को भाता लाल गुलाबी रंग प्रिय नमन शक्ति स्वरूपा देवी ।
शनिवार :- धीर गम्भीर कष्टों से मुक्ति देने वाले शनिदेव को
्व्व्व््व्व्व्व्व्व््व्व््व्व्व््व्व्व्व
प्रणाम शुभ रंग नीला ,काला ।
रविवार :- सूर्य देवाय नमो नमः सूर्य का तेज प्रकाश रोशनी की किरणें जो सबके जीवन में उजाला भर दे । नारंगी पीला गुलाबी,लाल रंग रविवार का रंग ।
बहुत अच्छा लगता है मुझे भारतीय संस्कृति का यह ताल मेल सभ्यता संस्कृति में सब चीजों का हल है ।
किन्तु एक बात और .... जो मन को अच्छा लगे स्वयं के लिए और सबके लिए शुभ हो , किसी भी दिन कोई भी रंग पहने एसा कहीं कोई विवशता नहीं सभी रंग परमात्मा के हैं और उसे सभी रंग प्रिय हैं ।
मेरा सुन्दर सपना
मासूमियत उसके चेहरे से छलक रही थी ,धूल से लतपत से कपड़े पैरों में चप्पल भी नहीं , फिर वो बालक अपनी और आकर्षित कर रहा था ,ना जाने क्यों मन कर रहा था इसे अपने पास बिठाकर बहुत कुछ समझाऊं ।
उस नन्हे बालक की भोली निगाहें कभी सामने बनी शानदार बंगलों को निहार रही थी कभी पास में खड़ी मंहगी गाड़ीयों को निहार रही थीं ।
वो नन्हा बालक पास में खड़ी मंहगी लम्बी गाड़ी को ऐसे हाथ लगा कर देख रहा था मानो वह कोई सपना देख रहा हो ,और सोच रहा हो एक दिन बड़ होकर मैं भी शायद ऐसी गाड़ी लूं और उसमें बैठकर दूर घूमने निकलूं ।
तभी सामने के बड़े से घर से एक आदमी निकला और उस छोटे बच्चे को दूर से गुस्सा दिखाते हुए अरे हट जा सारी गाड़ी पर निशान बना दिए ,कभी देखी है ऐसी गाड़ी । वह बच्चा डर के गाड़ी से दूर हट गया ।
थोड़ी देर बाद वह बच्चा हिम्मत करके उस गाड़ी वाले आदमी के पास आकर पूछ बैठा अंकल यह गाड़ी कितने की है ,वह आदमी पहले तो उस बच्चे की बात सुनकर जो र के हंसा... और फिर बोला क्या करेगा ,अंकल बड़ा होकर एसी गाड़ी खरीदूंगा ।
कलाकार
कलाकार होना भी कहां आसान है
अपनी कला को आकार देना पड़ता है
एक आधार एक रुप एक ढंग से संवारना
पड़ता है गुणों को पहचान कर स्वस्थ
सुन्दर आकर्षक प्रेरक प्रस्तुतियां देनी पड़ती हैं
समाज को एक अनमोल साकारात्मक संदेश देने हेतु
संघर्ष करना पड़ता है
सर्वप्रथम स्वयं को प्रोत्साहित करना होता है
समाज के तानों को नजरंदाज करके
स्वयं में एक उत्साह जागृत करना होता
स्वयं को साबित करने के लिए एक जंग
लड़नी पड़ती है कुछ विशेष कर के दिखाने को
अपेक्षा का पात्र बन अनगिनत बार गिर -गिर कर उठना पड़ता है ।
या यूं कहिए सत्य को अग्नि परीक्षाएं देनी होती हैं
हास्य का पात्र भी बनना पड़ता है
यानि कलाकार को अपने हुनर को साबित करने के लिए
आकार तो देना पड़ता है ।
इन्द्रधनुषी रंगों का सुन्दर संसार
आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
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*ए चाॅंद* कुछ तो विषेश है तुममें जिसने देखा अपना रब देखा तुममें ए चाॅद तुम तो एक हो तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों अलग-अलग किया खुद ...
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रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो चल पड़ो मंजिलों की तलाश में किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना फिर उ...