दस्तक एक आहट


प्रकृति स्वयंमेव एक

अद्भुत चित्रकार 

दिनकर सुनहरी किरणों का 

अद्वितीय संसार सृष्टि पर जीवन 

का आधार दिनकर रहित जीवन 

निराकार , निर्थक , अकल्पनीय ‌ 

सूर्यदव सत्य सारस्वत सृष्टि निर्माणाधीन 

सृष्टि आज उर्जा चमत्कार 

हम सृष्टि के रखवाले 

जैसा चाहे वैसा बना ले

विचारों से मिलता आधार


 

दस्तक एक आहट 

गहरे समुद्र वृहद संसार 

रत्न ,मणियों का अनन्त भण्डार

दिल स्पंदन लहरें उमड़े

शब्द ध्वनि वाक्य आकार  

काव्य का आधार 

प्रेरणा बन उपजे 

खोले आत्मा द्वार

श्रवण द्वार आवाज

अदृश्य पदचाप 

आंगन बीच पदचिन्ह छोड़े 

दिव्य अद्वितीय कृतियों के 

आकार सभ्य अद्वितीय आकार 

सुन्दर सुसंस्कृत सभ्य संसार 

थामे एक डोर 

जीवन की बागडोर 

एक छोर से दूजे छोर 

नव पल्लवों के सुकोमल 

अंकुर नव चेतना के नव रुप 

सुख समृद्धि से भरपूर।


फिर बही रस धार 

निर्झर झरनों सी रफ्तार 

स्वच्छ , निर्मल ,जलधार 






 

लोकतंत्र


स्वस्थ ‌समाज का आगाज़ ‌ 

आपकी हमारी हम सब की आवाज ‌ 

चयनित करें ऐसा नेता जो‌ सुनने को रहे

 तत्पर हर क्षण समाज की आवाज 

निस्वार्थ सेवा जनहित करें हो बढ़ा समाज सुधारक 

बुद्धि जीवि और बड़ा विचारक‌ 

निसंकोच करें हम जिसका आदर 

बने वो हमारे देश का रक्षक 


लोकतंत्र का अधिकार कभी

ना करें इसका दुरुपयोग 

एक अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने 

जैसा रोग ....

लोकतंत्र है एक बड़ा धर्म सर्व जन हिताय

 जिसका मर्म , लोकतंत्र स्व उत्थान का धन 

सूझ-बूझ से बुद्धि जीवि का हो चयन 

लोकतंत्र में प्रजा ही करे‌ अपने ‌राजा का चयन 

राजा वही जो प्रजा का करे प्रगति

 नव नूतन निष्पक्ष निर्माण .........









 










A cup of a Tea


 A cup of tea lucky lucj 

Wow ! Happiness or sorrow


In the rain, with the pakoras

Ginger and basil with winter ‌

Do you have an effect

Get it all the time

 Dussehra or Diwali

Dissolve sweetness in relationships

Fellowship of friendship

Fatigue life

The essence of Hari leaves in a boil of water

Dissolved milk mixture and sugar

Wow but sweet taste! what

Sweetness in the bitterness of life

Makes relationships precious

A tea cup containing cardamom

Taste tongue

Tea is a good excuse

A little late

Relax moments have to be explored.

एक कप चाय की प्याली







एक कप चाय की प्याली 

खुशकिस्मत हो नसीबों वाली 

वाह ! खुशी हो या गम 

बरसात में, पकौड़ों की संग 

जाड़े में अदरक और तुलसी वाली ‌ 

भाती हो असर करती हो

हर समय मिल जाती हो

 दशहरा हो या दिवाली ‌ 

रिश्तों में मिठास घोलती

मित्रता की संगिनी 

थकान की संजीवनी 

जल के उबाल में हरि पत्तियों का सार 

दुग्ध मिश्रण और शक्कर के घुल जाने 

पर मीठा स्वाद वाह! क्या बात 

जीवन की कड़वाहट में मीठास का घोल 

रिश्तों को बनाती अनमोल 

एक चाय की प्याली इलायची वाली 

स्वाद का जीभ से रिश्ता 

चाय का बहाना अच्छा है 

कुछ देर और सुस्ताना है 

सुकून के पलों को तलाशना है ।

चाय से सीखा एक गुण सयाना है ‌ 

थोड़ी कड़वाहट को शक्कर सी 

मीठे बोलों से हटाना है 



 






 



एक नया अध्याय जोडिये


 एक नया अध्याय अपने जीवन में जोड़ीए ....

बांटना सीखिए , मुस्कुराहटें बांटिये,

अच्छे विचार‌ बांटिये,बडे बुजुर्गो के संग बैठ उनके

तजुर्बों की सुनहरी साठ -गांठ बांटिए

किसी के अकेले पन को अपने 

संग के रंग से भरिये   

साथियों के संग कुछ वक्त बांटिए 

एक दुजे के हाल-चाल बांटिए

 सही वक्त का इंतजार मत कीजिए 

वक्त की सूई हाथ ना आयेगी 

जिन्दगी यूं ही बीत जायेगी 

आज किसी की,कल किसी और की आपकी 

भी बारी आ जायेगी , मुश्किल हालातों में कुछ 

साकारात्मक साहसिक विचार बांटिए ......

होसलौ से ओतप्रोत कुछ चरितार्थ बांटिए

वृक्षों,नदियों ,प्रकृति से बांटना सीखिए 

यह बात सत्य है की बांटने से कभी कुछ कम 

नहीं होता नव नूतन निर्माण ही होता है 

जब पीछे वाली चीज आगे खिसकती है 

तो पीछे की चीज स्वत: ही आगे आ जाती है 

तो बांटना सीखिए आगे बढ़ने के लिए 

स्वच्छता निर्मलता पवित्रता प्रेरणा स्वयं की 

 और समाजिक उन्नति के लिए 

आगे बढीए ।




संस्कृति और सभ्यता

इतिहास गवाह है

भारतीय संस्कृति का 

अद्भुत शौर्य, देशप्रेम में

वीरों का बलिदान

नतमस्तक सहृदय सम्मान 


इतिहास संस्कृति,सभ्यता 

अमूल्य सम्पदा विश्व धरोहर 

प्रेरणाओं का अनुपम स्रोत

वेद उपनिषद अनेकों ग्रन्थ 

ज्ञान दर्पण एवं ज्ञान गंगा का 

अद्भुत अथाह अनन्त सागर  


 देश,काल, प्रगति का सूचक 

इतिहास धरोहर, विचार मनोहर

प्रेरक व्यक्तित्व त्याग, समर्पण

निस्वार्थ सेवा परस्पर प्रेम का 

निश्चल पावन‌ सरोवर


सफल जीवन की परिभाषा 

कर्मों से जागे निराश जीवन में आशा

नव जीवन की नव अभिलाषा 

इतिहास गवाह हो जीवन जियो कुछ ऐसा ।

 

नाम:- ऋतु असूजा 

शहर :- ऋषिकेश उत्तराखंड

सदाबहार


फूल खिले हैं क्यारी - क्यारी 
प्रकृति की अनुपम चित्रकारी

माली ने भी की है खूब तैयारी 

वसुन्धरा हर्षित प्रसन्नचित फुलवारी

मौसम अनुकूल कोयल कूके मीठी बोली 

वातावरण में गूंजे प्रकृति होती संगीतमय सारी 

जल स्रोतों में पक्षी विहार

रंग बिरंगी तितलियों का संसार 

मानों प्रकृति का कर रहा हो श्रृंगार 

वादियों में रहे सदाबहार 

हरे भरे वृक्षों की कतार 

फलों फूलों से लदे रहे बागों में 

रहे सदाबहार अबकी बार सदा सर्वदा

खुशहाली हो सबके घर द्वार 

करते हैं यही दुआ प्रभु से आपार 

प्रकृति अद्भुत चित्रकार यूं ही करते 

रहना वसुन्धरा का श्रृंगार 

हम सब दृढ़ प्रतिज्ञ हो ले शपथ 

प्रकृति का संरक्षण हम सब का अधिकार ।।



 







क्यों ना बस अच्छा ही सोचे

*बडे़ भाग मानुष तन पाया* फिर क्यों ना जीवन में हर दिन हर पल उत्सव मनाएं *जीवन जीना भी एक कला है*
 समयानुसार मौसम भी बदलता है,तब भी तो मनुष्य परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालता है और स्वयं की रक्षा करता है। ठीक उसी तरह जीवन में भी उतार -चढाव आते हैं ,बजाय परिस्थितियों का रोना रोने की उन विषम परिस्थितियों से बाहर निकलने की कला सीखें ,जिससे आपका जीवन अन्य मनुष्यों के लिए भी प्रेरणास्पद बन जाएं और आप स्वयं के जीवन में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकें ।
परिस्थितियां तो परीक्षाओं के समान है 
कहते हैं कई लाख योनियों के बाद मनुष्य जीवन मिलता है , समस्त प्राणियों में मनुष्य जीवन ही श्रेष्ठ है,क्योंकि मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अपनी बुद्धि ,विवेक के द्वारा धरती पर बडे़ - बडे़ अविष्कार कर सकता है ,चाहे तो अपने कर्मों द्वारा धरती को स्वर्ग बना सकता है ,चाहे तो नर्क ,परमात्मा ने यह धरती मनुष्यों के रहने के लिए प्रदान की,मनुष्यों को चाहिए की वह इस धरती को स्वर्ग से भी सुन्दर बनाएं ।
 परमात्मा द्वारा प्रदत प्रकृति की अनमोल संपदाएं , जल स्रोत,सुन्दर प्रकृति वृक्षों पर लगने वाले फल,फूल हरे -भरे खेतों में उगते अनाज विशाल पर्वत श्रृंखलाएं आदि अंनत उत्तम व्यवस्था की है, परमात्मा ने इस धरती पर मनुष्यों के जीविकोपार्जन के लिए, किन्तु मनुष्यों ने अपने स्वार्थ में अंधा होकर इस धरती का हाल बुरा कर दिया है,संभालो मनुष्यों यह धरती तुम मनुष्यों के लिए ही है, इसे संवारो , बिगाड़ो नहीं ,अभी भी समय है धरती पर प्राप्त प्राणवायु में जहर मत घोलो ।
  प्रत्येक दिन को एक उत्सव की तरह मनाओं क्योंकि प्रत्येक नया दिन एक नए जन्म जैसा होता है ,जन्म के साथ प्रत्येक मनुष्य अपनी मृत्यु की तारीख भी लिखवा कर आया है जो एक कड़वा सत्य है। तो फिर क्यों ना धरती पर प्राप्त इस मनुष्य जीवन का सदुपयोग करें ,अपने जीवन को सार्थक बनाएं। क्यों ना धरती पर कुछ ऐसा कर जाएं जिससे स्वयं का और समाज के भला हो और हमारा जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक बन जाए  ।
  लोग क्या कहेंगे ,इस बारे में सोचकर अपने जीवन के अनमोल पल व्यर्थ ना गवाएं ,लोग तो कहेंगे लोगों के काम है कहना ,किसी भी व्यक्ति का जीवन उसकी स्वयं की धरोहर है ,अपनी इस अनमोल जिन्दग  में खुशियों के सुन्दर सतरंगी रंग भरे ,उदास ,अभावों का दर्द छलकाते रंगों वाली बेरंग तस्वीर किसी को नहीं भाती ,अतः अपने जीवन को सदैव इंद्रधनुषी रंगों को सुन्दर छवि दें ।  *यूं ही बे वजह मुस्कराया करो माहौल को खुशनुमा बनाया करो *
 यानि हर पल जीवन का उत्सव मनाते रहें । बुरे और नकारात्मक विचारों से स्वयं को बचाएं जिस प्रकार धूल गंदगी मैले वस्त्रों को हम दिन-प्रतिदिन बदलते हैं ,उसी प्रकार समाज में फ़ैल रही नकारात्मक प्रवृतियों को स्वयं को बचाते हुए उस दिव्य शक्ति परमात्मा का नित्य स्मरण करते हुए,परमात्मा से दिव्यता का वरदान प्राप्त करते रहें । व्यर्थ की चिन्ता से स्वयं को बचाएं जीवन में उतार -चढाव तो आते रहेंगे जीवन में निरसता को स्थान नए दें । प्रत्येक दिन एक नई शुरुआत करें ।
 एक महत्वपूर्ण सत्य,अपने जीवन में हर कोई सुख-शांति और खुशियां चाहता है ,अगर किसी कारण वश आप खुश नहीं है आप शान्ति का अनुभव नहीं कर पा रहे हैं तो खुशियों के पीछे भागिये मत,क्योंकि जीतना हम किसी को पाने के लिए भागते हैं, वह चीज हमसे और दूर जाती रहती है। अतः जिस चीज की चाह आपको अपनी जिन्दगी में है ,उसे बांटना सीख लीजिए यकीन मानिए जितना आप खुशियां बांटेंगे उतनी आपकी जिन्दगी में खुशियां बडेंगी ,कभी किसी भूखे को खाना खिलाकर देखिए ,कभी किसी रोते को हंसा कर देखिए ,आपको सच्ची खुशियों की सौगात मिलेगी ,बेसहारों का सहारा बनकर देखिए जीवन में अद्भुत शान्ति का अनुभव होगा 
किसी निराश हताश के मन में आशा के दीप जलाकर उसे आगे बढ़ ने के लिए प्रेरित कीजिए 
दिखायेगा अमुक व्यक्ति के दिल से निकली दुआएं आपका जीवन सफल बना देंगी।
* तो चलिए आइए जीवन को बेहतरीन से बेहतरीन ढंग से जिएं*
*आओ हर दिन हर पल को एक उत्सव की तरह जिएं जीवन में नित नए आशा के दीप जलाये* अपने संग औरों के घर भी रोशन कर आएं ,उम्मीद की नयी किरणों से जीवन में सकारात्मकता का प्रकाश फैलायें ,आओ हर दिन प्रेम के रंगों का त्यौहार मनाएं दिलों में परस्पर प्रेम और अपनत्व की फसल उगाये**

क्यों ना बस अच्छा ही सोचें *

अच्छों की दुनिया अच्छी ही होती है ऐसा नहीं की  
मुश्किलें नहीं आती परंतु अच्छा सोचने वालों के लिए हर मुश्किल भी अच्छाई की ओर ले जाने वाली सीढ़ियां बन जाती है।
जो सच्चा होता है वो सरल होता है निर्मल होता है और हल्का होता है । 
आओ हर दिन एक उत्सव की तरह मनाएं ,जीवन में नित नए आशा के दीप जलाएं उम्मीद की किरणों से जीवन में सकारात्मकता का प्रकाश फैलाएं।           हे मानव तुम अपने आत्मबल को कभी कमजोर नहीं होने देना आत्मशक्ति मनुष्य का सबसे बड़ा धन है। जीवन में भले ही धन-दौलत नष्ट हो जाए  लेकिन अगर आपके पास शिक्षा धन और आत्मविश्वास एवम् आत्मबल की शक्ति है तो आपके पास आपके जीवन में सब कुछ प्राप्त है  अतः आत्म शक्ति को कभीकमजोर नहीं होने देना यही है जीवन का सबसे बड़ा गहना।

स्वरचित:
ऋतु असूजा

चलो हल्के हो जाये

चलो आज फिर सब हल्के हो जाएं 

 दिल से सच्चे हो जाएं बच्चे हो जायें

मासूमियत के फ़रिश्ते हो जाएं 

मुस्कुराहटों को अपने चेहरों पर सजाएं

यूं ही बेबाक मुस्करायें 

स्वयं को ना बिन बात पर उलझाएं 

सपनों के ऊंचे महल बनाएं 

परियों की दुनियां सजाएं

राजा -रानी और जिन्न के किस्से  

कहानियों को सच कर जायें

प्रतिस्पर्धा की दौड़ में सब एक 

पंक्ति में आ जाये ,ईर्ष्या द्वेष से दूर 

अंतरिक्ष में चहल कदमी कर सितारों के

जहां में एक नया जहां बनाएं ,धरती पर 

आसमान की दूरियों को दूर कर धरती पर

एक सुन्दर नया प्यारा न्यारा जहां बनायें 

जहां सभी नेकी के फ़रिश्ते हो जायें ।




 उम्मीद रखो सदा स्वयं से 

 स्वयं को स्वयं की उम्मीद पर 

परखो ना किसी को स्वयं को 

खरा बनाओ पारखी बनो 

स्वयं की कमियों को जानो 

उन्हें निखारो, कमियां किसी की

अपनी नहीं उसमे नासमझी की 

जो समझ है हो सके तो उस समझ को 

सवारों ,कोयले की खान में से हीरे को 

तलाशने की नज़र बना लो जीवन 

खूबसूरत होगा नज़र में अच्छी सोच का 

नजरिया तो डालो  ।

सिर्फ पाने की नहीं देने की नियत बना लो 

जिन्दगी बेहतरीन होगी उम्मीद स्वयं की 

सोच से स्वयं के कर्मो में कर्मठता का इत्र मिला लो ।


काबिल बनाने के लिए 

स्वयं के आत्मसम्मान के लिए

स्वयं की और समस्त जहां की खुशियों के 

लिए भलाई के बीज रौपता हूं 

सुख समृद्धि और नेकी के लिए

 स्वस्थ खुशहाल संसार की कल्पना 

करता हूं स्वयं को समझाता हूं 

निष्काम कर्म को अपना मूल मंत्रi

ऊं नमो शिवाय


ऊं नमो शिवाय 

 शिवमय संसार 

शिव ही जीवन का आधार 

ढूंढता हूं शिव को आंखें मूंद 

जबकि शिव तुझमें- मुझमें भीतर- बाहर 

दिव्य ज्योत का लो आधार 

शिव से होगा एकीकार  

भय पर...

 पाकर विजय 

 बना मैं अजेय ...

 भय- भ्रम सब का अंत 

दुविधाओं का डर नहींं  

दौर अग्नि परीक्षाओं का 

हुए सब खोट बाहर 

शिव स्तुति उपासना का आधार 

शिव शक्ति दिव्य ज्योति से जब हुआ एकीकार 

मिला जीवन को सुंदर आकार 

कुन्दन बना ,कोयले  की खानों 

में ज्यों एक हीरा नायाब जैसे 

सृष्टि कर्ता जब संग अपने ‌ 

जीवन के अद्भुत रंग अपने 

शिव शक्ति को स्मरण कर

ऊं नमो शिवाय का मंत्र रख संग अपने 

ऊं नमो शिवाय ।।






जरा सोचिए ...

इतने दिनों से मैं तेरी परिक्षाओं के कारण घर में कैद हूं कई जरुरी काम रुके हुए हैं मेरे ......
बेटी अपनी मां से.... मां आप बताओ परीक्षा में मेरी थी या आपकी .......
मां बेटी से ,माना की परीक्षाएं तुम्हारी थी , किन्तु मेरी भी परीक्षाएं ही थी ।
बेटी ,वो कैसे ?
मां बेटी से , अच्छा बेटा जी , परीक्षाओं के समय तुम्हें सब कुछ एक जगह बैठे बिठाए कौन देता था , थोड़ी भी देर मैं ‌इधर उधर जाती तो तुम मुझे पुकारने लगती । तुम्हारा पूरा ध्यान तुम्हारी पढ़ाई पर हो इसलिए मैं यही रही तुम्हारी सेवा में हाजिर ।
बेटी ,अपनी मां से ओ मां तुम कितनी अच्छी हो .....
मां अच्छा चल अब ज्यादा मक्खन ना लगा । पहले मैं बाज़ार जाऊंगी , फिर मीना मौसी के यहां कब से नहीं आती उससे मिलने हम ही तो हैं उसके अपने .....
बेटी मां से ,बेचारी मीना मौसी कितने अच्छे परिवार में की थी उनके मां बापू ने उनकी शादी ,‌पर शादी जो आप लोगो के लिए सब कुछ है ,आज मीना मौसी ,कल किसी और के साथ भी कुछ भी हो सकता है , इससे अच्छा तो अगर उनके माता-पिता उन्हें पढ़ा लिखा कर कोई काम करने देते यानि वो कोई अपना काम या सर्विस कर रही होती तो उन्हें इस तरह अकेले पन और मोहताज गी की जिंदगी ना झेलनी पड़ती ।
मां निशब्द थी मानों आंखों ही आंखों में कह गयी थी जी लेना बेटी तू अपनी मन मर्जी से ....
 

मुख्य अतिथि


शीर्षक "मुख्य अतिथि"आज का दिन विशेष था ,सभी होनहार विद्यार्थियों के मन में विशेष उत्साह था "                  

   पुरस्कार समारोह का आयोजन था ,सभ्य,शालीन सुव्यवस्था ,गेंदें के फूलों की सजावट यकायक मन मोह रही थी, सुन्दर रंगों के सामंजस्य से सजी रंगोली वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह कर रही थी ।                       सभी के चेहरों पर एक तेज़ था ,तेज़ नये सपनों का नए जीवन की नई परिभाषाओं को लिखने का ।             सभी व्यवस्था ,व्यवस्थित थी अब इंतजार था तो बस मुख्य अथिति का जिन्होंने पुरस्कार प्रदान करना था ।  सभी विद्यार्थियों के चेहरों में खुशी की एक झलक थी , जो मानों कह रही थी उनकी लगन और परिश्रम की एक नई कहानी ,की आगे आने वाले भविष्य के सुनहरे सपनों की बागडोर अब हमारे हाथों में है हम बनायेंगे नये युग का नया जहां।

अचानक से हाल के सब लोग शिष्टाचार दिखाते हुए शांत हो गए , कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ता हाथों मे पुष्प मालाएं लिए मुख्य द्वार की और बडे़ ,मुख्य अतिथि का आगमन हो गया था । मुख्य अतिथि के हाल में प्रवेश करते ही सब लोग खड़े हो गए और तालियां बजाकर उनका स्वागत किया गया ।                                                           समारोह का प्रारम्भ सरस्वती वन्दना से किया गया , उसके बाद बच्चों ने कई रंगा-रंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए ।     पुरस्कार वितरण का समय था , एक -एक करके प्रतिभावान विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए जा रहे थे ।   अब समय था, मुख्य अतिथि के स्वागत में कुछ कहने का समय था सबने एक से बढ़कर एक कहा।

  अब समय था मुख्य अथिति द्वारा एक अनोखी प्रतियोगिता का ।

 जिसमें उन्होंने एक आठ साल के बच्चे को, और एक पंद्रह साल के बच्चे को अपने पास स्टेज पर बुलाया और उन्होंने उन दोनो बच्चो एक आठ साल का बच्चा  नाम जागृत और एक पन्द्रह साल का नाम राहुल उन दोनो के कान में धीरे से कुछ कहा, और वो दोनो बच्चे स्टेज से उतर गए , हाल में बैठें सभी लोगों की नजरें उन बच्चों को देखने लगी की आख़िर ये दोनों बच्चे स्टेज से नीचे उतर कर जा कहां रहें हैं । 

  अचानक हाल में शान्ति छा गई , आख़िर इस पंद्रह साल के लड़के राघव ने एक दूसरे लड़के को जो उसी लड़के के साथ पड़ता था, खींच कर दो थप्पड़ मार दिये सब लोग हैरान थे आखिर ऐसा क्या हुआ होगा या मुख्य अतिथि ने ऐसा कहा, अगर उन्होंने ऐसा करने को कहा तो बहुत गलत कहा । और वह पंद्रह साल का लड़का स्टेज की ओर चल दिया । 

अब सब की नजरें उस आठ साल के बच्चे जागृत पर थी की वो क्या करेगा , सब लोग डर रहे थे की अगर इसने भी किसी को थप्पड़ मारे तो यह तो छोटा है कोई पलट कर इसे भी मार देगा , इन्तजार था सबको क्या होता है, तभी वह आठ साल का बालक जागृत अपने सहपाठी के पास जाकर खड़ा हो गया , सभी लोग डर रहे थे ,की अचानक एक ऐसा दृश्य देखने को मिला की सबकी आंखें नम हो गई सब भाव विभोर हो गए , उस आठ  साल के बच्चे जागृत ने अपने सहपाठी  के गाल पर प्यार किया और उसे प्यार से गले लगा लिया, दृश्य बहुत भाव विभोर था, इसके पीछे का रहस्य तो मुख्य अतिथि या फिर वो बच्चे ही जानते थे । फ़िर दोनों बच्चे वापिस स्टेज पर पहुंच गए ।  

अब बारी थी , इस अनोखी प्रतियोगिता के परिणाम की । मुख्य अथिति को परिणाम घोषित करना था, वो बोलने लगे मैंने इन दोनों बच्चो को धीरे से एक ही बात कही थी की , इस हाल में बैठा तुम्हारा कोई मित्र जो तुम्हे हर पल तंग करता हो ,और तुम्हारा उससे बिना बात पर झगड़ा होता हो, उससे आज अपने दिल की बात कह कर आओ जैसे इच्छा हो तुम उसे समझा कर आओ की वो तुम्हें आगे से तंग ना करे।

अब आप बताएं किस का तरीका आपको सबसे अच्छा लगा, सभी उस छोटे आठ साल के बच्चे जागृत का नाम लेने लगे । मुख्य अथिति ने उस आठ साल के बच्चे जागृत को सम्मान पूर्वक अपनी कुर्सी पर बिठाया ,और कहा आज का मुख्य अतिथि यह बच्चा है, इस बच्चे के मन में कोई मैल नहीं है हम सब का मन भी इस बच्चे की तरह हो ना चाहिए । 

जैसे - जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारे मनों में विकार रूपी मैल इक्कट्ठे होते जाते हैं , हम सब को चाहिए की हम सब भले ही उम्र में कितने भी बड़े कयों ना हो जाएं , हमारे मन का बच्चा नहीं मरना चाहिए जो हमें वैर भाव ईर्ष्या , द्वेष से दूर रखता है।                     और हिंसा से तो हिंसा ही जन्म है ।  मन की कोमल सच्ची भावनाओं  से बड़ा कोई धन नहीं यह अनमोल है । 

 अतः आज के नन्हें मुख्य अथिति एवम्  विजेता जागृत का स्वागत करिए आप सब लोग.... तालियों के शोर से सारा हाल गूंज रहा था , नन्हें मुख्य अतिथि जागृत ने आज सच मे बहुत बड़ी सीख दी थी सबको की निस्वार्थ प्रेम ही वास्तव में मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है ।

छोटी सी आशा

क्या तुम जिन्दगी में आगे नहीं बढ़ना चाहते , नहीं साहब जी ,बस हम खुश हैं....अपनी इस छोटी सी दुनिया में  इतने ऊंचे सपने हमें नहीं सुहाते ....  हमरा परिवार में हमको मिलाकर पांच जन हैं.. हमारे  दो लड़की दो लड़का है एक पत्नी है उनकी रोटी का इंतजाम होता रहे बस बहुत है ।

और बच्चों की पढ़ाई .....उनकी मां रोज उन्हें भेजती है पास के सरकारी स्कूल में , ज्यादा पढ़-लिख कर क्या करेंगे , बाबू जी .... हमारे पास इतना नहीं की हम इनको ऊंचे-ऊंचे सपने दिखा सके । बच्चों का ब्याह करा दें ‌यही है अपना सपना।





( महीला दिवस विशेषांक ‌)आज भी मेरा दिन है कल भी था और हमेशा रहेगा


 सम्मान देना चाहते हो तो 

 सम्मान दो... सदा सदा के लिए 

शाश्वत.... 

सिर्फ एक दिवस का सम्मान 

मुझे स्वीकार्य नहीं ....

महिला दिवस बता.....

मानों महिलाओं को रिझाते हो 

हाथ में झुनझुना दे दिल बहलाते हो ।

भूल गए मैं तुम्हारी जननी हूं 

माता हूं ..... माना की बीज तुम्हारे हैं

फुलवारी को मैंने बढ़े जतन से पाला है  

 संस्कारों की खाद से पौष्टिकता और 

सभ्यता के विकास को मैंने एक सभ्य 

सुसंस्कृत समाज के निर्माण का काम किया है 

नहीं चाहिए मुझे एक दिन का सम्मान

देना है तो मुझे मेरा अधिकार दो 

बराबरी से चलने की स्वतन्त्रता दो 

रक्षा कवच बन रहो ,

निज पशुता का वर्धन करो 

जंगलराज का अब अंत करो 

कांधे से कांधा मिला संग चलने का आह्वान करो ।




 





रंगों का अद्भुत संसार

 यूं तो मुझे सारे रंग अच्छे लगते हैं किन्तु किस दिन कौन सा रंग पहनूं बढ़ी समस्या होती है ।

अब एक दिन लाल पहना था तो दूसरे दिन कौन से रंग के कपड़े पहनूं ।

हम भारतीय भी हर बात का हल निकाल ना जानते हैं 

भारतीय संस्कृति स्वयं में अतुलनीय है 

चलो सारी समस्या ही खत्म अब किसी को ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं ।

हम भारतीय सोमवार को भगवान शिव का दिन मानते हैं ,और हमारे ईष्ट शिव शंकर तो भोलेनाथ हैं हमेशा ध्यान तपस्या में लीन रहते हैं । भगवान शिव के नाम पर पवित्र रंग श्वेत , यानि सोमवार का श्वेत रंग ।

मंगलवार ,मगल भवन अमंगल हारी राम भक्त हनुमान केसरी नंदन हनुमान जी का शुभ रंग , केसरी,लाल गुलाबी रंग मंगलवार का शुभ रंग ।

बुधवार ;-‌ज्ञान बुद्धि एवं समृद्धि सम्पन्नता व्यापार में लाभ के दाता भगवान विष्णु को नमन । समृद्धि का रंग हरा रंग ।

बृहस्पतिवार :- जिसे गुरुवार भी कहते हैं , ज्ञान बुद्धि को देने वाले गुरु को प्रणाम ,‌ वन्दना विद्या देवी सरस्वती जी को शुभ रंग पीला , श्वेत ।

शुक्रवार :- वन्दना मां लक्ष्मी देवी माता को भाता लाल‌ गुलाबी रंग प्रिय नमन शक्ति स्वरूपा देवी ।

शनिवार :- धीर गम्भीर कष्टों से मुक्ति देने वाले शनिदेव ‌को

‌‌ ्व्व्व््व्व्व्व्व्व््व्व््व्व्व््व्व्व्व

  प्रणाम शुभ रंग नीला ,काला ।

रविवार :- सूर्य देवाय नमो नमः सूर्य का तेज प्रकाश रोशनी की किरणें जो सबके जीवन में उजाला भर दे ‌। नारंगी  पीला गुलाबी,‌लाल रंग रविवार का रंग ।

बहुत अच्छा लगता है मुझे भारतीय संस्कृति का यह ताल मेल सभ्यता संस्कृति में सब चीजों का हल है ।

किन्तु एक बात और .... जो मन को अच्छा लगे स्वयं के लिए और सबके लिए शुभ हो , किसी भी दिन कोई भी रंग पहने एसा कहीं कोई विवशता नहीं सभी रंग परमात्मा के हैं और उसे सभी रंग प्रिय हैं ।




मेरा सुन्दर सपना

 मासूमियत उसके चेहरे से छलक रही थी ,धूल से लतपत से कपड़े पैरों में चप्पल भी नहीं , फिर वो बालक अपनी और आकर्षित कर रहा था ,ना जाने क्यों मन कर रहा था इसे अपने पास बिठाकर बहुत कुछ समझाऊं ‌।

उस नन्हे बालक की भोली निगाहें कभी सामने बनी शानदार बंगलों को निहार रही थी कभी पास में खड़ी मंहगी गाड़ीयों को निहार रही थीं ।

वो नन्हा बालक पास में खड़ी मंहगी लम्बी गाड़ी को ऐसे हाथ लगा कर देख रहा था मानो वह कोई सपना देख रहा हो ,और सोच रहा हो एक दिन बड़ होकर मैं भी शायद ऐसी गाड़ी लूं ‌और उसमें बैठकर दूर घूमने निकलूं ‌।

तभी सामने के बड़े से घर से एक आदमी निकला और उस ‌छोटे बच्चे को दूर से गुस्सा दिखाते हुए अरे हट जा सारी गाड़ी पर निशान बना दिए ,कभी देखी है ऐसी गाड़ी । वह‌ बच्चा डर के गाड़ी से दूर हट गया ।

थोड़ी देर बाद वह‌ बच्चा हिम्मत करके उस गाड़ी वाले आदमी के पास आकर पूछ बैठा अंकल ‌यह गाड़ी कितने की है ,वह आदमी पहले तो उस‌ बच्चे की बात सुनकर जो र के हंसा... और फिर बोला क्या करेगा ,अंकल बड़ा होकर एसी गाड़ी खरीदूंगा ।



कलाकार

 कलाकार होना भी कहां आसान है 

अपनी कला को आकार देना पड़ता है 

एक आधार एक रुप एक ढंग से संवारना 

पड़ता है गुणों को पहचान कर स्वस्थ

सुन्दर आकर्षक प्रेरक प्रस्तुतियां देनी पड़ती हैं 

समाज को एक अनमोल साकारात्मक संदेश देने हेतु

संघर्ष करना पड़ता है 

सर्वप्रथम स्वयं को प्रोत्साहित करना होता है 

समाज के तानों को नजरंदाज करके 

स्वयं में एक उत्साह जागृत करना होता 

स्वयं को साबित करने के लिए एक जंग 

लड़नी पड़ती है कुछ विशेष कर के दिखाने को 

अपेक्षा का पात्र बन अनगिनत बार गिर -गिर कर उठना पड़ता है ।

या यूं कहिए सत्य को अग्नि परीक्षाएं देनी होती हैं

 हास्य का पात्र भी बनना पड़ता है 

यानि कलाकार को अपने हुनर को साबित करने के लिए 

आकार तो देना पड़ता है ।





इन्द्रधनुषी रंगों का सुन्दर संसार


मकसद तो एक है हर रंग को अपनाना
हर रंग से सामंजस्य बिठाना 
हर रंग से प्यार 
मुझे तो लागे हर रंग प्यारा
 दिल चाहे मैं हर रंग में घुल मिल जाऊं
उन रंगों से अपने और अपनों की जिंदगी बेहतर बनाऊं
क्यों ना करुं मैं रंगों से प्यार 
इन्द्रधनुषी रंगों से सजा सुन्दर संसार 
हरियाली हरी -भरी समृद्धि का प्रतीक
हरे रंग में व्याप्त खुशहाली
लाल रंग विजय, सम्मान ,सवाभिमान 
केसरी रंग ,साहस, हिम्मत, हौसलों और वीरों का शौर्य
श्वेत रंग स्वच्छता, निर्मलता , पवित्रता एवं  शांति का प्रतीक ........
प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य तो देखो 
रंगों का अद्भुत ताल मेल मन को मोहित कर जाता
दिल को हर्षाता सुकोमल ,सुन्दर रंगीन पुष्पों को‌ खिलौने वाला सृष्टि को रचने वाला अद्भुत कलाकार 
मैं भी बोलूं ये ‌कौन चित्रकार है .... श्रेष्ठतम चित्रकार है 
जिसने लगाया रंगों का मेला 
अब ना रहे कोई नीरस‌‌ अकेला 
सृष्टि सजी  है अनेकों रंगों के मिलकर
आओ सजायें और बनायें अलग-अलग रगों से अपनी और अपनों की जिंदगी बेहतर 
मुझे को लागे हर रंग प्यारा
 दिल चाहे मैं हर रंग में घुल मिल जाएं 
उन रंगों से अपने और अपनों की जिंदगी बेहतर बनाऊं।



आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...