पहले तो इस भ्रम को बदल दीजिये ,की झुकने वाला कमजोर होता है हाँ झुकने का मतलब यह बिल्कुल नहीं , की आप अपने को निर्थक ,नक्कारा समझे . अतामविश्वाश से भरा व्यक्ति कभी कमजोर हो ही नहीं सकता ।
झुकता कौन है ?
सदभावनाओ और सद्विचारों से भरे हृदय में ही झुकने की सामर्थ्य होती है ।
क्योंकि फलो से लदा हरा -भरा वृक्ष ही झुकता है और सूखा हुआ वृक्ष हमेशा सीधा तना और अकड़ा रहता है ।
तकरार न समझी की निशानी है ।
बार -बार समझाने पर जो नहीं समझाता उसे उसके हाल पर छोड़ देना चहिए ।
सीधे सरल लोगो को दूनियाँ मुर्ख समझती है परन्तु सरलता का
महत्व वही जानता है जो सरल है सरलता से मानसिक शांति मिलती है
लड़ने वाला सवयं को बहादुर समझता है सोचता है की लड़ाई न करने वाला डरपोक है वह यह नहीं जानता की लड़ाई न करने वाला लड़ाई से होने वाले विनाश व् प्रकोप से बचाता है ।
क्रोध से बड़ा कोई शत्रु नहीं ,क्रोध मुर्खता से प्रारम्भ होता है ।
आवश्यकता है आज के युग में कमल की तरह कीचड़ में रहते हुए स्वयं
को कीचड़ से बचाने की ।
असम्भव शब्द ना करने वालों की डायरी में होता है ।
तन की सुन्दरता जितनी आवश्यक है उतनी ही मन की ,
सुन्दरता भी ,
मन की सुन्दरता मन बुधि के दोषों को दूर करने से बढती है