**गणतंत्रता दिवस की शुभ बेला **

     **आज गणतंत्रता दिवस के
               शुभ अवसर पर देश का
               तिरंगा आन -बान और शान से
              नील गगन की ऊंचाइयों में
              भारत माता की शान में
              लहरा रहा है ,गीत खुशी
               के गा रहा है *
       ** अब खेतों में हरियाली होगी
        **अन्नदाता हमारे किसान भाइयों की
        की जेब ना खाली होगी
        धरती मां समृद्ध होगी ,तभी तो
        घर-घर में खुशहाली होगी
        दिलों में परस्पर प्रेम ,
        हर दिन ईद और दीवाली होगी*
       ** स्वेच्छा से अपने कर्मों की और
      विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी संग
       सर्वजन हिताय ही प्राथमिकता होगी
        आचरण की सभ्यता ,स्वदेश की संस्कृति
                     का रक्षण होगा ।
        **भ्रष्टाचार जैसी ना अमानवीयता होगी
         **लक्ष्मी संग ,सरस्वती भी सर्वोपरि होगी
         शिक्षा पर ना धनराशि हावी होगी
         ज्ञान ,बुद्धि ,कौशल का विवेक से चयन होगा**
               *** *** मां *****
       शब्दों में बांध सकूं ,मेरी इतनी औकात नहीं
   *मां *सिर्फ शब्द नहीं ,
   *मां *अनन्त ,अद्वितीय ,अतुलनीय है
  *मां *धरती पर परमात्मा का वरदान है।
  *मां *धरती पर ,फरिश्ता ए आसमान है ,
   *मां*दुआओं को खान है
   *मां *अन्नपूर्णा ,"मां"सरस्वती,
  *मां *बनकर बच्चों का सुरक्षा कवच
   हर कष्ट से बचाती है,घोर तिमिर हो,या फिर   
    विपदाओं का सैलाब,
  बनकर ढाल खड़ी हो जाती है।
  देवी, दुर्गा, काली,मां बन सरस्वती
  शुभ संस्कारों के ज्ञान के बीज बच्चों
  में अंकुरित करती जाती है ।
 *मां *करके हृदय विराट, वसुन्धरा की भांति
   कष्टों के पहाड़ झेल जाती है ।
*मां* रानी होकर भी ,बच्चों की परवरिश की खातिर दासी की भांति पालना करती है ,बच्चों की उज्ज्वल भविष्य के लिए हर मुश्किल से लड़ जाती है ।
स्वयं कांटो में सोती है बच्चों की राहों में पुष्प ही
पुष्प बिछाती है ।
*मां* हमराज,हमसफ़र ,हमदर्द ,मां , बहन,बेटी
सच्ची सहेली भी होती है।
*मां *जो भी होती है ,आसमानी फरिश्ता होती है ********



पिछले पन्ने

***जाने क्या ढूंढ़ता रहता हूं
जिंदगी की किताब के पिछले
पन्नों में....
कोई मीठी याद ,कोई हसीन ख्वाब ,
**शायद कोई हसीन याद मुझे
हंसा देगी*
**या फिर कोई पुरानी याद दिल बहला देगी*
**पहुंच जाता हूं पिछली दुनियां में
पन्ने पलटते, पलटते ,बैठे ,बैठे एकांत में
कभी मुस्करा जाता हूं ,
कभी आंसू बहा जाता हूं**
याद आ जाती ,कोई बिछड़ी याद
रुला जाती है ,सोच में पड़ जाता हूं
काश ऐसा होता तो ...
जिंदगी का अगला पन्ना कुछ और होता
पर जो आज है ,वो भी कुछ कम नहीं
सपने अगर सच हो जाएं तो वो सपने नहीं।
कुछ मुश्किल समय ने सबक सिखाए
और अच्छी यादें से तजूर्बे सीख लिए***


* हम सब के जीवन की यही कहानी *

 हम सब के जीवन
 की है यही कहानी
 थोड़ी खट्टी_ थोड़ी मीठी सी
    सबकी जिंदगानी
 कुछ सपने पूरे ,तो
 कुछ अधूरे ..... सपनों के
कशमकश की अद्भुत कहानी
यूं ही बीत जाती है ,रिश्तों संग
बंधी ,मित्रों संग हसीन सफ़र भी
तय करती ,थोड़ी खटपट ,थोड़ी
अनबन ,सेहती ,बनती ,बिगड़ती
हम सब की जिंदगानी ।
राहें सबकी जुदा_जुदा ,मंजिल
सबकी एक।
** जिंदगी के सफ़र की बस यही कहानी
 दरिया बनकर ,सागर में समाहित हो जानी है
हम सब की बस यही कहानी ।
     

**वो ही नज़र आता है **


***** मैं जिधर जाती हूं
           मुझे वो ही नज़र 
                आता है ।
         उसकी बातें करना ,
         उसके गीतों को गुनगुनाना
         मुझे बहुत भाता है ।
         जब _ जब मैंने दुनिया से दिल लगाया
         दुनिया ने बहुत रुलाया ,बहकाया
         स्वार्थ की दुनियां ,सौदागर है ।
         मेरा श्याम जादूगर है ।
               वो मुरली बजाता है
         लगता है, जैसे मुझे बुलाता है
         राधा,ललिता ,विशाखा ,सारी गोपियों
         को वो भाता है ,वो मुरली बजाता है,
                 सबको बुलाता है ,
         मुझे उसके सिवा कोई भी तो नज़र नहीं ।                                आता है ।
         जो उसको सच्चे भाव से बुलाता है
              उसी का हो जाता है ।
       कोई _ कोई तो उसे छलिया भी कह जाता है
       वो भोले भक्तों का सदा साथ निभाता है
       एक वो ही है, जो विश्वास दिलाता है,
       जब भी कोई सच्चे भाव से ,श्रद्धा से
       उसे बुलाता है ,उसके संग_संग वो उसका
                 साथ निभाता है ।
        वो अन्तर्यामी दिल में ही उतर जाता है
        श्रद्धावान का तो प्रिय ,पूजनीय हो जाता है ।     
     

**जीवन पथ **

  **जीवन पथ पर ,मेरे संग सत्य हो ,
     दया धर्म हो, निस्वार्थ प्रेम का अद्भुत रंग हो **

 **मान देना ,सम्मान देना
     पर ना देना अभिमान मुझे **

    ** उपकार करूं , सत्कार करूं मैं
         नहीं किसी का तिरस्कार करूं मैं **

        ** गिरते हुए का सहारा बन जाऊं मैं,
        पर ना किसी को गिराने का प्रयास करूं मैं**

  ** ऊंचा उठना , तरक्की करना हो मंजूर  मुझे,
        किसी को नीचा दिखाना ना भाए कभी मुझे*"
       **
   **ना हो मुझे किसी से कोई ईर्ष्या ,ना कोई
      द्वेष प्रतिस्पर्द्धा **
     ** मेरे कर्म मेरी पहचान बने ,
         मान बने सम्मान बने ,देश की पहचान बने **

     ** चाहे दीपक की तरह जलता रहूं,
          दिन रात पिघलता रहूं ,परंतु आखिरी सांस
          तक उजाले का सबब बन कर जियूं**

      **दरिया के बहते जल सी हो तकदीर मेरी
    रुकना मेरा स्वभाव नहीं ,आगे बढ़ना हो स्वभाव       मेरा**
 **नहीं बनना बड़ा मुझे , कहीं किसी बगिया का पुष्प बनकर ,बगिया को महकाऊ ,अपने छोटे से जीवन को सफल कर जाऊं **


         
     
    

**चिराग था फितरत से**

*******चिराग था फितरत से
              जलना मेरी नियति
               मैं जलता रहा पिघलता रहा
               जग में उजाला करता रहा
               मैं होले_होले पिघलता रहा
               जग को रोशन करता रहा *****
               "जब मैं पूजा गया तो ,

                जग मुझसे ही जलने लगा ,
                मैं तो चिराग था ,फितरत से
                मैं जल रहा था ,जग रोशन हो रहा था
                कोई मुझको देख कर जलने लगा
                स्वयं को ही जलाने लगा
                इसमें मेरा क्या कसूर"
               
                **चल बन जा , तू भी चिराग बन
                थोड़ा पिघल , उजाले की किरण
                का सबब तू बन ,देख फिर तू भी पूजा
                जाएगा ,तेरा जीना सफ़ल हो जाएगा **

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...