**आभार ब्लॉग जगत **

**आभार ब्लॉग जगत **

**मकसद था कुछ करूं,
मेरी दहलीज जहां तक थी वहीं तक जाना था 
,करना था कुछ ऐसा जो उपयोगी हो कल्याण कारी हो ,
जिसकी छाप मेरे दुनियाँ से चले जाने के बाद भी रहे ,
बाल्यकाल में महान लेखकों की लेखनी ने प्रभवित  किया 
देश की आज़ादी के किस्से वीर शहीदों के किस्से आत्मा को झकजोर देते।
दायरा जहां तक सीमित था 
लिखकर अपनी बात कहनी शुरू की , यूँ तो किसी का लिखना कौन पड़ता है ,पर फिर भी लिखना शुरू किया ।
धन्यवाद ब्लॉग जगत का ।
आज लिखने को खुली ज़मीन है ।
आसमान की ऊँचाइयाँ है , क्या सौभाग्य है 
परमात्मा ने स्वयं हम लेखकों की सुनी शायद ।
आज ब्लाग जगत के माध्यम से लेखक भी सम्मानित होने लगे ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...