*अहिंसा परमोधर्म* *जय जवान जय किसान*
मोहन दास करमचंद गांधी कुछ तो विशेषता अवश्य रही होगी इस शक्सियत में यूं ही कोई महात्मा नहीं कहलाता ।दे दी हमें आजादी बिना खड़क बिना ढाल साबरमती के संत तुमने कर दिया कमाल ।
हिंसा से हिंसा को मिटाने का प्रयत्न सभी करते हैं ,
और वह काल जब देश में अंग्रेजों का आधिपत्य था ,उस समय की स्थितियों को देखते हुए ,भारतीयों पर हो रहे जुल्म ,उस पर अपने देश के प्रति भारत वासियों का स्वभिमान आत्मसम्मान, शीश कटा देंगे परंतु शीश झुकाना कदापि मंजूर नहीं था।
गांधीजी की दार्शनिक दृष्टि ने जिसको समझा आखिर कितने और कितने फांसी की सूली पर चड़ते,नहीं मंजूर हुआ होगा .....गांधी ने जाना हम भारत वासियों की सबसे बड़ी पूंजी है आत्मविश्वास, सत्य , अहिंसा की ताकत जिसके बल पर दुश्मनों को भी झुकाया का सकता है पहचाना और उसमें जोश भरना शुरू किया ।
अहिंसा परमोधर्म
कहते हैं गांधी जी कहते थे कोई आपके गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो
आज के युग में जब उग्रता सिर चढ़ कर बोल रही है एक हास्य का विषय है , परंतु इसके पीछे का दार्शनिक सत्य समझ पाना एक महात्मा की सोच हो सकती है ।
आज दो अक्टूबर को दो महान विभूतियों का जन्म दिवस महात्मा गांधीजी और लाल बहादुर शास्त्री जी को मेरा शत- शत नमन ।
लाल बहादुर शास्त्री जी कहते हैं तरक्की अभावों की मोहताज नहीं होती ,किसान परिवार में जन्में अभावों के बीच बड़े हुए शिक्षा अर्जित की ।
क्योंकि लाल ब हादुर शास्त्री जी स्वयं एक किसान परिवार से थे तो वह जानते थे एक किसान की अहमियत और एक जवान हो देश की रक्षा करता है और उनकी देश के प्रति की गई सेवाओं से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है ।
इन दो महान विभूतियों को मेरा शत* शत नमन*****