👍 बचपन के खट्टे मीठे अनुभव👍😉😂😂

        😄 👍  बचपन के खट्टे मीठे अनुभव👍😉😂😂

   कल की ही बात है ,मैं और मेरी मित्र कई दिनों बाद मिले । हम दोनोँ बचपन से एक स्कूल में पड़े ,स्कूल के बाद
      एक ही कालेज से हमने डिग्री ली ।
     क्योंकि बचपन से हम संग रहे तो ,एक दुसरे की पसंद नापसन्द  भी हमें अच्छे से पता थी ।
     हम दोनों ने संग -संग बहुत ख़ेल कूद खेले खूब मस्तियाँ करी,पर ऐसा कुछ नहीं किया जिससे किसी को कोई भारी नुक्सान हो ।
      अनजाने में बालपन में हुई गलती को तो भगवान भी माफ़ करता है
   
       पर एक बार की बात है, खेलते खेलते हमारी बॉल पड़ोसन आन्टी के शीशे पर जा लगी और शीशा टूट गया ,बस क्या था हम
     दोनों सहेलियाँ अपने-अपने घरों में यूँ जा बैठी जैसे हम तो कई घंटों से अपनी जगह से हिली ही ना हों ।          

     भाग्यवश उस समय वो पड़ोसन आँटी घर पर नहीं थी घर पर ताला लगा वो सब्जी लेने गयी हुईं थी ।
🐒🐒उन दिनों कुछ बन्दरों ने हमारे  घर के आस -पास डेरा डाला हुआ था मौका मिलते ही बंदर टूटे हुए शीशे से आंटी के घर जा घुसे मैं और मेरी सहेली सारा नजारा छुप-चुप कर देख रहे थे मन ही मन खुश थे की आँटी सोचेगी की बन्दरों 🐒ने शीशा तोड़ा, फिर ये भी सोच रहे थे की बन्दर तो आँटी के घर का सारा सामान उलट -पुलट कर देंगे ।

एक बार तो सोचा जाकर आँटी को ख़बर दें की आँटी आपके घर में बन्दर घुस गये है, फिर ये सोच कर चुप हो गये की आंटी बोलेगी तुमको कैसे पता कि मेरे घर में बंदर घुस गये हैं ,फिर मैं और मेरी सहेली एक साथ बैठ कर स्कूल का काम करने लगे

लगभग एक घंटे बाद आँटी बाज़ार से घूम कर सब्जी लेकर घर लौटी ,घर का दरवाज़ा खोलते ही जोर -जोर से चिल्लाने लगी चोर -चोर मेरे घर में चोर घुस गये देखो सारा सामान उलट-पुलट कर दिया है ,न जाने क्या-क्या उठा कर ले गये होंगे ।इतने में सारे पडोसी इक्कठे हो गये सब लोग आँटी को हिम्मत देने लगे उनके घर का सारा बिखरा सामान ठीक से लगाने लगे ,इतने में एक आँटी बोली ये कैसे चोर थे सारा सामान उलट -पुलट कर दिया आटे का ड्रम भी गिरा दिया दाल सब्जी पानी सब कुछ बिखेर दिया चोरों को और कुछ नहीं मिला ।
तभी एक आंटी की नजर खिड़की के टूटे हुए शीशे पर गयी अरे देखो चोर शीशा तोड़ कर अन्दर घुसा होगा ।तभी एक कहने लगी अपनी अलमारी चेक करो सारा कीमती सामान जेवर तो पड़े हैं ना

आँटी ने अपना कीमती सामान जेवर रुपया सब चेक किया सब ज्यों का त्यों था आँटी ने चैन की साँस ली। सब पडोसी कहने लगे की शायद कोई भूखे चोर होंगे सिर्फ खाने के सामान को ही हाथ लगाया।
 मैं और मेरी सहेली हाथ पकडे चुप -चाप सब देख रहे थे मन ही मन खुश हो रहे थे, की हमारी गलती पकड़ी नहीं गयी
और दबे पाँव वहाँ से खिसके और फिर बाद में हम जो दहाड़ दहाड़कर हँसे वो हँसी आज भी हमें रोमांचित कर जाती है ,क्या करते अगर आँटी को सच बोलते की वो चोर नहीं बन्दर थे ,तो हम फँसते बस चुप ही रह गये .......
 कुछ ऐसे ही खट्टे मीठे अनुभवों के साथ फिर मिलेंगे .......... 😂😂😁😂😁

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...