🎉🎉“निशान “🎉🎉

  “ आऊँगा बहुत याद आऊँगा
   सफ़र में कुचैले निशान छोड़ जाऊँगा “
   सफ़र हो तो ऐसा ,
   राह भी अपनी है,
   मंज़िल भी अपनी
  कारवाँ की तलाश भी अपनी
  तलाश में चाह भी अपनी
  आह भी अपनी .....
  वाह भी अपनी ........
  जब बहारों के जश्न भी अपने
  तो पतझड़ और तूफ़ान भी अपने
  जज़्बातों के हालात भी अपने
  सफ़र भी अपना ।।
“  सफ़र करते -करते मुसाफ़िर हूँ
 भूल गया हूँ , अपने कारवाँ में
 घुल - मिल गया हूँ
 बेशक ये सफ़र है
 मैं मुसाफ़िर हूँ जाने से पहले
अपने निशान छोड़ जाऊँगा
आऊँगा बहुत याद आऊँगा
सफ़र में कूछ ऐसे निशान छोड़ जाऊँगा ।।

 

      

✍️“प्रयास”✍️

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                               नियमाते ज़िन्दगी में लुटाता है ,वो हर पल
                               ए मानव तुम सही राह तो चलो ,
                               रास्ते मुश्किल ही सही ,
                               मंज़िल पर पहुँचाता है वो ही
                               वो हमारे हर प्रयास में
                               हमारे विश्वास में है
                              हर मुश्किल हालात में है
                              मंज़िल दूर सही ,पर नामुमकिन
                              कुछ भी नहीं ,
                              चाँद पर पहुँचाता है वो ही
                             अन्तरिक्ष में नक्षत्र गिनवाता है वो ही
                             तू थोड़ा विश्वास तो रख
                             तेरे अन्दर से आवाज़ लगाता है वो ही
                             धरती पर आया है ,तो जीवन सुधार
                             मत रो - रो कर जीवन गुज़ार
                             तुम  धरती पर जीवन का आधार हो
                             अपने जीवन को सुधार तो सही
                             ये धरती हम मनुष्यों की है
                             इस धरती पर मनुष्य जीवन को सँवार तो सही ।
                             विश्वास की डोर को थाम तो सही।

“योग दिव्य योग शुभ संजोग “

“योग दिव्य योग शुभ संजोग “  ।।
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“संजोग से बनता है जब दिव्य योग
तब कट जाते हैं जीवन के सारे रोग”

योग ,यानि स्वयं पर नियंत्रण
मानसिक योग —-शारीरिक  योग

शारीरिक योग शरीर को स्वस्थ करता है ।
शारीरिक योग का स्वयं में बहुत महत्व है ।

स्वस्थ तन हो तो मन भी स्वस्थ रहता है ।
शरीर रूपी मिट्टी के दिये में ,दिव्य प्रकाश तभी
सुरक्षित रहेगा ,जब उसमें कोई खोट ना हो ।

“सहयोग यानि संग का योग 
जब बनते हैं संजोग 
कारण होता है ,योग 
संग रहने का योग

योग भारतवर्ष को प्रदत्त
स्वयं सृष्टिकर्ता द्वारा प्राप्त
दिव्य प्रकाशमयी अनुपम भेंट है
शारीरिक एवम् मानसिक योग
संजीवनी अक्षय सम्पदा

तन और मन का संतुलन
है ,मनुष्य जीवन का शुभ संजोग
निरोगी तन ,संतुलित मन
यही है मनुष्य जीवन का शुभ संजोग ।
दिव्य खोज ,दिव्य योग ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...