tag:blogger.com,1999:blog-10854227341899655622024-03-28T20:29:59.835-07:00Unchaiyaan शीर्ष की "आसमानी फ़रिश्ते " हिंदी साहित्य को समर्पित Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे ।
मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लगRitu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.comBlogger497125tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-14858681528733523612021-07-09T11:58:00.001-07:002021-07-09T11:58:11.800-07:00आओ अच्छा बस अच्छा सोचें <p> आओ कुछ अच्छा सोचें</p><p>अच्छा करें , अच्छा देखें</p><p>अच्छा करने की चाह में</p><p>इतने अच्छे हो जायें की</p><p>की साकारात्मक सोच से</p><p>नाकारात्मकता की सारी</p><p>व्याधियां नष्ट हो जायें</p><p>अच्छा पाने को अच्छा</p><p>देते जायें नजरों के सारे</p><p>दोष मिटायें कमल बन</p><p>समाज में कुछ आदर्श बनायें</p><p>शुभ संकल्पों से समाज को</p><p>कुछ बेहतर देते जायें</p><p>आओ नयी सोच से नये जीवन की</p><p>नयी दुनिया बनायें निस्वार्थ प्रेम के बीज बोते जायें ।</p><p> </p><p> </p><p> </p><p> </p><p> </p><p> </p><p> </p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-36401670583763431542021-07-05T19:59:00.006-07:002021-07-05T19:59:47.785-07:00*ए चाॅद*<div>*ए चाॅंद*</div><div>कुछ तो विषेश है तुममें </div><div>जिसने देखा अपना रब देखा तुममें </div><div>ए चाॅद तुम तो एक हो </div><div>तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों </div><div>अलग-अलग किया खुद को </div>ए चाॅद तुम किस-किस के हो <div>जिसने देखा जिधर से देखा </div><div>तुमको अपना मान लिया </div><div>नज़र भर के देखा, तुमने ना </div><div>कोई भेदभाव किया समस्त </div><div>संसार को अपना दीदार दिया तुमने </div><div>संसार में सभी को नज़र आते हो <br /><div>पूर्णिमा का चांद हो </div><div>सुहागन का वरदान</div><div>यश कीर्ति सम्मान हो </div><div>करवाचौथ का अभिमान</div><div>भाईदूज का चांद हो </div><div>ईद का पैगाम हो </div><div>सौन्दर्य की उपमा हो </div><div>चाहने वालों का सपना हो </div><div>ए चाॅद तुम हर इंसान के हो </div><div>हिन्दुओं के भी हो मुस्लिमों के भी हो </div><div>ए चाॅद तुम जो भी हो विषेषताओं का भण्डार हो </div><div>किसी के भी सपनों का आधार हो ।</div><div><br /></div><div><br /></div><div>मैं चाहूं चांद पर अपना आशियाना बनाऊं</div><div>खूबसूरत परियों की दुनियां में आऊं-जाऊं </div><div>एक जादू की छड़ी ले आऊं ,उसे घूमाऊं </div><div>सबके सपने सच कर जाऊं परस्पर प्रेम </div><div>की पौध लगाऊं,ईर्ष्या,द्वेष,की कंटीली झाड़ियां </div><div>काट गिराऊं , सबको ज्ञान का पाठ पढाऊं</div><div>ऊंची सोच की राह दिखाऊं,आगे बढ़ने को प्रेरित </div><div>करती जाऊं , जातिवाद का भेद मिटाऊं </div><div>इंसानियत के रंग में सबको रंगती जाऊं ।।</div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div></div>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-43929665359266357862021-07-04T11:27:00.003-07:002021-07-04T11:27:29.814-07:00रास्ते<p> रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो </p><p>चल पड़ो मंजिलों की तलाश में </p><p>किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं </p><p>रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना </p><p>फिर उठ कर चलना मंजिलों के साक्षी </p><p> खट्टे-मीठे तजुर्बों के साथी रास्ते </p><p>किनारे पर लगे वृक्षों की ठंडी छांव में </p><p>थकान पर आराम की झपकी का सुखद एहसास </p><p>मंजिल पर पहुंच जाने के बाद रास्ते बहुत </p><p>याद आते हैं, रास्ते हसाते है , गुदगुदाते हैं</p><p>वास्तव में रास्ते ही तो जीवन के सच्चे साथी </p><p>होते हैं ,जीवन के सफर में रास्तों पर चलना होगा </p><p>रास्तों को सुगमय तो बनाना ही होगा </p><p>रास्ते ही जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं </p><p>सुख -दुख का किस्सा हैं ।</p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-90572977555397949742021-07-04T11:27:00.001-07:002021-07-04T11:27:13.129-07:00इंसान होना भी कहां आसान है <p> इंसान होना भी कहां आसान है </p><p>कभी अपने कभी अपनों के लिए </p><p>रहता परेशान है मन में भावनाओं का </p><p>उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है</p><p>बदनाम होताा इंसान है, इच्छाओं का सारा काम है </p><p>कभी हंसता कभी रोता कभी गिरता,कभी सम्भलता</p><p>इच्छाओं का पिटारा कभी खत्म नहीं होता </p><p>दिल में भावनाओं का रसायन मचाता कोहराम है </p><p>सपनों के महल बनाता सुबह-शाम है </p><p>बुद्धि विवेक से चमत्कारों से भी किया अजूबा काम है </p><p>चांद पर आशियाना बनाने को बेताब विचित्र परिस्थितियों </p><p>में भी भी मुस्कराता मनुष्य नादान है ......</p><p>अरे पगले ! पहले धरती पर जीवन जीना तो सीख ले </p><p>धरती तुम मनुष्यों के ही नाम है,धरती पर जन्नत बनाना </p><p>तेरा ही तो काम है जो मिला है उसे संवार ले </p><p>प्रकृति का उपकार है ,जीना तब साकार है </p><p>जब प्रत्येक प्राणी संतुष्ट मुस्कुराता निभाता सेवा धर्म का काम है ।</p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-80961121060522950302021-06-13T08:30:00.002-07:002021-06-13T08:30:31.817-07:00नज़र लूं उतार <div><div>पलक नहीं झपकती जी चाहता है </div><div>निरंतर होता रहे सुन्दर प्रकृति का दीदार </div></div>आरती का थाल लाओ नजर लूं उतार <div>प्रकृति क्या खूब किया है तुमने</div><div>वसुन्धरा का श्रृंगार ....</div><div> अतुलनीय, अद्वितीय </div><div>तुम तो अद्भुत चित्रकार सुन्दर रंग-बिरंगे </div><div>पुष्पों का संसार , सौन्दर्यकरण संग वातावरण को</div><div> सुगन्धित करने का भी सम्पूर्ण प्रयास </div><div>मदमस्त आकर्षक तितलियों </div><div>का इठलाना झट से उड़ जाना क्या खूब </div><div>प्रकृति का श्रृंगार वृक्षों की कतार </div><div>प्राण वायु देते वृक्षों का उपकार</div><div>सत्य तो यह हुआ की प्रकृति में निहित </div><div>प्राणियों के प्राणों की आस यह सत्य है </div><div>मत कर प्राणी प्रकृति से खिलवाड़ </div><div>स्वयं का ही जीवन ना बिगाड़ </div><div>प्रकृति का करो संरक्षण , वृक्षों की लगा कतार </div><div>प्रकृति की सेवा कर तुम </div><div> स्वयं पर ही करोगे उपकार </div><div> </div><div> </div><div>रंग -बिरंगे पुष्पों की कतार </div><div>सौन्दर्यकरण संग वातावरण को</div><div> सुगन्धित करने काभी सम्पूर्ण प्रयास </div>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-19510849455547576042021-06-13T08:30:00.000-07:002021-06-13T08:30:00.224-07:00कारवां <p>चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी </p><p>गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक </p><p>पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए </p><p>कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी </p><p>साथी बनते चले जाते हैं और एक </p><p>बाद एक कारवां जुड़ता चला जाता है</p><p>हंसती- मुस्कुराती बिंदास सी जिन्दगी को </p><p>समेटे सुख -दुख के पल बांट लेते हैं साथी</p><p>मुश्किलों में एक दूजे के संग चलते हैं साथी </p><p>एकजुटता से दुविधाओं का सैलाब </p><p>भी पार कर लेते हैं साथी भागती -दौडती जिन्दगी में </p><p>खुशियों की कूंजी लिए फिरते हैं साथी </p><p>कारवें का कोई साथी जब बिछड़ जाता है </p><p>वक्त ठहर जाता है सहम जाता है </p><p>उदासी का कोहरा दर्द का पहरा </p><p>रिक्त हो जाता है एक हिस्सा कारवे का </p><p>रिक्तता धीमे-धीमे वक्त का मरहम भरता जाता है </p><p>और कारवां चलता चलता जाता है </p><p>वक्त का पहिया अपना काम करते जाता है ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p> अनहोनी के कारण </p><p>ठहर जाता है ,सहम जाता है </p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-22637616912108568742021-06-09T19:08:00.003-07:002021-06-09T19:08:55.897-07:00वक्त का सिलसिलावक्त है कोई भी हो बीत ही जाता है <div>और यह भी सत्य है गया वक्त लौट </div><div>कर नहीं आता ।</div><div>वक्त करवट बदलता है </div><div>तभी तो दिन और रात का सिलसिला </div><div>चलता है ।</div><div>मनुष्य को वक्त के हिसाब से ढलना पड़ता है </div><div>और चलना पड़ता है , नहीं तो वक्त स्वयं सिखा </div><div>देता है ।</div><div>वक्त रहते वक्त की कद्र कर लो मेरे अपनों </div><div>वक्त अपने ना होने का एहसास खुद कराता है </div><div>वक्त हंसाता है रुलाता है डराता है गुदगुदाता भी है </div><div>वक्त रहते वक्त पर कुछ काम कर लेने चाहिए </div><div>सही वक्त निकल जाने पर काम का अर्थ ही बदल </div><div>जाता है ।</div><div>व्यर्थ ना करो वक्त को, वरना वक्त अपना </div><div>अर्थ स्वयं बताता है ।</div><div>वक्त तो वक्त है सही वक्त पर किया गया कार्य</div><div>वक्त की लकीरों पर अपना नाम सदा -सदा के </div><div>लिए अमर कर अंकित कर जाता है ।</div><div><br /></div><div><br /></div><div><div><br /></div></div>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-59959341992236611882021-06-09T08:37:00.002-07:002021-06-09T11:00:12.370-07:00उद्देश्य मेरा सेवा का पौधारोपण<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtTrY_nrYljjaQsHwnxoHPOuzLefz8O9wdWceEDc8WOaX12R-GSn3eqohp_CCRrrsbkyrWkACZPoOjtVtpopzXm-4WZ040CD1lZ1GGNF2HDJIPBGmJf0M97kodoOzaLKygMoIUMF9YySI/s615/IMG-20210609-WA0006__01.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="553" data-original-width="615" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtTrY_nrYljjaQsHwnxoHPOuzLefz8O9wdWceEDc8WOaX12R-GSn3eqohp_CCRrrsbkyrWkACZPoOjtVtpopzXm-4WZ040CD1lZ1GGNF2HDJIPBGmJf0M97kodoOzaLKygMoIUMF9YySI/s320/IMG-20210609-WA0006__01.jpg" width="320" /></a></div><br /><p><br /></p><p>उद्देश्य मेरा निस्वार्थ प्रेम का पौधारोपण </p><p>अपनत्व का गुण मेरे स्वभाव में </p><p>शायद इसी लिए नहीं रहता अभाव में </p><p> सर्वप्रथम खड़ा हूं पंक्ति में </p><p>समाज हित की पौध लिए</p><p>श्रद्धा के पुष्प लिए भावों की </p><p>ज्योत जलाएं चाहूं फैले च हूं और </p><p>उजियारा निस्वार्थ दया धर्म</p><p>का बहता दरिया हूं बहता हूं निरंतर </p><p>आगे की ओर बढ़ता सदा निर्मलता </p><p>का संदेश देता भेदभाव का सम्पूर्ण </p><p>मल किनारे लगाता सर्व जन </p><p>हित में उपयोग होता सर्वप्रथम खड़ा हूं पंक्ति में </p><p>निर्मलता का गागर भरता ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHVaT8tb7cvVC4lpwD0pkeCdKjCWAcL5pxeKcOlPaZIsngcfmYSG4Pju6KvNLpkRpYmHpZDcm0nhdna8TXx8DNJx9xf9cSXrSckLbQIpgThYdL05oOm9v2M7AsYxYiUki_ux6fUWCguUo/s615/IMG-20210609-WA0006__01.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="553" data-original-width="615" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHVaT8tb7cvVC4lpwD0pkeCdKjCWAcL5pxeKcOlPaZIsngcfmYSG4Pju6KvNLpkRpYmHpZDcm0nhdna8TXx8DNJx9xf9cSXrSckLbQIpgThYdL05oOm9v2M7AsYxYiUki_ux6fUWCguUo/s320/IMG-20210609-WA0006__01.jpg" width="320" /></a></div><br /><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-6261639327865029862021-06-07T12:02:00.003-07:002021-06-07T12:02:22.447-07:00अखण्ड ज्योति <p> निरंतर आशा के दीप जलाते चलो </p><p>अंधियारा तनिक भी रहने पाए </p><p>पग- पग पर हौसलों के प्रकाश </p><p>फैलाते चलो ।</p><p>देखो! किसी दीपक की लौ </p><p>ना डगमगाये उम्मीद की नयी किरणों के </p><p>प्रकाश मन - मन्दिर में जलाते चलो </p><p> मन के अंधियारे में धैर्य और विश्वास </p><p> की अखण्ड ज्योति प्रकाशित करो</p><p> हौसलों के बांध बनाते चलो </p><p>देखो कोई ना अकेला ना रह जाये सबको </p><p>संग लेकर चलो सौहार्द का वातावरण बनाते चलो</p><p> दुर्गम को सुगम बनाते चलो</p><p> पग -पग पर शुभता के दीप जलाते चलो </p><p> अंधियारा को तनिक भी ना समीप बुलाओ </p><p>उजियारा हो ऐसे जैसे हर रोज </p><p> हर- पल दीपावली हो, परमात्मा के </p><p>आशीषो की शीतल छाया का एहसास निराला हो।</p><p> </p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-6037865318377825222021-06-06T06:53:00.000-07:002021-06-06T06:53:02.769-07:00विचार बड़े अनमोल <p>विचार बड़े अनमोल होते </p><p>विचारों ही बनाते हैं </p><p>विचार ही बिगाड़ते हैं </p><p>जिव्हा पर आने से पहले </p><p>विचार मस्तिष्क में पनप जाता है </p><p>विचारों का आकार होता है </p><p>विचारों का व्यवहार होता है </p><p>कौन कहता है हम करते हैं </p><p>पहले विचारों के बीज पनपते हैं</p><p>फिर हम उन्हें नए -नए आकार देते हैं </p><p>कौन कहता है विचार मनुष्य के बस में नहीं होते </p><p>विचारों का दरिया जब बहता है</p><p>तब उसमें बांध बनाने होते हैं </p><p>नहीं तो विचारों का ताण्डव </p><p>क्रोध की अग्नि बन स्वयं भी </p><p>जलता है और अन्यों को भी </p><p>जलाता है।</p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-18375726583443463122021-06-02T21:16:00.001-07:002021-06-02T21:16:25.953-07:00परोपकार<div>चमत्कारों का आधार </div><div>ए मानव तूमने बहुत </div><div>किये चमत्कार </div><div>तरक्की के नाम पर </div><div>सुविधाओं की भरमार </div><div>आशावादी विचार </div><div>टूटते परिवार </div><div>रोती हैं आंखें </div><div>बिकती हैं सासे </div>कुछ तो कारण होगा <div>घुटन भरा माहौल </div><div>हवाओं में फैला ज़हर </div><div>यह कैसा कहर </div><div>चार पहियों पर </div><div>अंतहीन दौड़ती गाड़ियों का </div><div>अंधाधुंध सफर प्राणवायु देते </div><div>वृक्षों का कटाव अपनी ही </div><div>सांसों पर प्रहार यह कैसी रफ्तार</div><div>प्रकृति की करुण पुकार </div><div>ए मानव तू थोड़ी कम करता चमत्कार </div><div>प्रकृति में निहित समस्त समाधान </div><div>कर मानवजाति पर और समस्त प्राणियों पर उपकार </div><div>प्रकृति का उपकार निहित मनुष्य जाति का हितोपकार ।</div><div><br /></div>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-55875257633859213022021-06-02T21:00:00.001-07:002021-06-02T21:00:44.446-07:00प्रकृति<p> जिन्दगी को नये मायने मिले हैं </p><p>जब से सूकून के पल मिल हैं </p><p>पत्थर सी हो गई थी ज़िन्दगी </p><p>पत्थर के मकानों में रहते </p><p>एक अनजानी दौड़ में शामिल </p><p>बन बैठे स्वयं के ही जीवन के कातिल </p><p>फिर क्या हुआ हासिल </p><p>हवाओं </p><p>चेहरों पर मुस्कान खिल जाती है </p><p>जब प्रकृति के समीप जाती हूं </p><p>घने वृक्षों की शीतल छाया में </p><p>तनाव रहित जीवन का सुख पाती हूं</p><p>मन हर्षित हो जाता है पक्षियों के </p><p>चहकने की आवाज से कानों में</p><p>मीठा एहसास हो जाता है</p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-75218099053308578402021-05-31T23:54:00.006-07:002021-05-31T23:54:45.102-07:00चित्रकार <div>तुम स्वयं ही अपने चित्रकार </div><div>चल संवार अपना भाग्य संवार </div><div>अच्छी सोच सभ्य आचरण एवं </div><div>कर्मठता के प्रयासों से दे </div><div>स्वयं के जीवन को सुन्दर आकार </div><div>योग्यता अपनी-अपनी</div><div>बुद्धि, विवेक, एवं श्रम </div><div>की मथनी धैर्य,</div><div>लगन की स्याही </div><div>प्रयासों की की कूंजी</div><div>खोले भाग्य के द्वार</div><div>तुम स्वयं अपने चित्रकार </div><div>तो आगे बढ़ो </div><div>दृढ़ निश्चय की छैनी </div><div>कर्मठता का हथौड़ा </div><div>संवार अपना भाग्य संवार </div><div>तुम स्वयं ही अपने चित्रकार </div><div><br /></div><div> </div><div><br /></div>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-70178164869288039082021-05-22T11:54:00.000-07:002021-06-02T21:15:44.519-07:00बेहतर कल के लिए<p> आज रुक जाना बेहतर है </p><p>अच्छे कल के लिए </p><p>भीड़ ज्यादा थी </p><p>रफ्तार बहुत तेज </p><p>रोक दिया गया </p><p>अच्छा हुआ </p><p>चोट खाने से </p><p>घायल,जख्मी </p><p>बहुत कुछ क्षतिग्रस्त </p><p>होने से बच गया </p><p>दुर्घटनाओं का </p><p>सिलसिला थम गया </p><p>कई घरों के चिराग </p><p>बुझने से बच गए </p><p>कई घरों की </p><p>दो वक्त की रोटी</p><p>का प्रबन्ध बना रहा .... </p><div><br /></div>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-21793574819398764522021-05-17T11:45:00.001-07:002021-06-02T21:17:02.694-07:00<p>हिम्मत का कदम बढ़ाना हैै, हारना नहीं हराना है </p><p>तूफानों को तो आना है, दस्तूर यह पुराना है </p><p>सही बात है बातें करना बहुत आसान है उन पर अमल करना बहुत मुश्किल ।</p><p> मुश्किल हालातों में जब सब ओर डर और नकारात्मक विचारों का माहौल हो उस समय ,साकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत विचार मरहम का काम कर हौसलों को मजबूत करने का काम करते हैं, और मन में आत्मविश्वास का दीप जलाकर मन को धीरज देकर कर कहते हैं रास्ते अभी और भी हैं हिम्मत मत हारना, कल फिर नया सूरज निकलेगा </p><p> सच में कहना बहुत आसान है , जिस पर बीतती है वही जानता है । किन्तु हिम्मत तो करनी पड़ेगी अपनों के लिए आने वाले कल के लिए .... </p><p> सोच को साकारात्मक रखना ही होगा , जो समक्ष है उन्हें साकारात्मकता का प्रकाश देना ही होगा आने वाली पीढ़ी की सोच को साकारात्मक विचारो के हौसलों से तैयार करना होगा । </p><p>जो हो रहा है असहनीय है ,जो छिन रहा है अनमोल है किन्तु जो शेष बच रहा है वह अमूल्य धरोहर है इस समाज की,अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या दोगे ,यही सोच कर कुछ प्रेरक कुछ उपयोगी कुछ साकारात्मक विचारो की संपदा छोड़ जाने की चाह में कुछ करते चले जातीहूं ।</p><p> कभी कभी स्थितियां ऐसी आती है , मनुष्य तन से भी कमजोर हो जाता है परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत होती हैं ,उस वक्त मनुष्य को हौसलों की अधिक आवश्यकता होती है ।और साकारात्मक विचार बहुत सहयोगी साबित होते है</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p>सतर्कता से जो कदम बढ़ाता है,</p><p>जीत को समीप पाता है </p><p>धैर्य को जो धारण करता है</p><p>मुश्किलों से ना घबराता है,</p><p>साहस से आगे बढ़ता जाता है </p><p>हौसलों के काफिले बनाता है , </p><p>उम्मीदों की किरणों के दीपक</p><p> लेकर संग लेकर चलता है , </p><p>निराशा में आशा के दीप जलाता है </p><p>वह जीवन की जंग में एक </p><p>सफल यौधा बन जाता है ।।</p><p><br /></p><p>वह मनुष्य जग को नयी राह </p><p>दिखाता है जग जीवन बन जाता है </p><p>इतिहास बहुत कुछ दोहराता है </p><p>वक्त का चक्र चलता जाता है </p><p>कभी अमृत तो कभी विष भी निकल </p><p>आता है, विष जब अपना प्रताप दिखाता है </p><p>जिवाणुओं का वाईरस महामारी बन अपना </p><p>कहर दिखाता है ,राक्षस की भांति संसार पर </p><p>का विनाश का कारण बन जाता है ,सब और </p><p>त्राहि-त्राहि हो जाता है कलयुग का चौथा चरण </p><p>कष्टदाई आधि-वयाधियों से घिर जाता है </p><p>तब मसीहा, स्वयं धरती पर अवतरित हो जाता </p><p>जागरूकता का की मशाल जलाता है </p><p>धैर्य,संयम,सतर्कता साहस अनगिनत अनमोल </p><p>रत्नों की उपयोगिता को जीवन में धारण करने की </p><p>उपयोगीता बताता है उम्मीद की किरण बन </p><p>जीवन में अमृत बरसाता है जीने की राह दिखाता है। </p><p>यौधा है वो जो लड़ता है ,देश का सेवक होता है </p><p> जीवन दान देता है </p><p><br /></p><p> </p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-3729042896966400092021-05-11T00:46:00.016-07:002021-05-11T04:40:48.447-07:00कीमती वही जो उपयोगी हो<h2 style="text-align: left;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0x-OEZ9vtZW6enjwvFURwtDDlJV46iKB_3RWKwGIQMZqP3QJnWp9rgWQbmShGkQduwJAkmkoEoapI0S4zR8r4F88LqAKmA0jzEc2hNYcsPRjLJdtKYHzTLld6dwWepBkIhts8-9IWTpE/s640/images+%25283%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="480" data-original-width="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0x-OEZ9vtZW6enjwvFURwtDDlJV46iKB_3RWKwGIQMZqP3QJnWp9rgWQbmShGkQduwJAkmkoEoapI0S4zR8r4F88LqAKmA0jzEc2hNYcsPRjLJdtKYHzTLld6dwWepBkIhts8-9IWTpE/s320/images+%25283%2529.jpeg" width="320" /></a></div><br /> राम सिंह:- यह महानगर है, बड़े -बडे लोग रहते हैं यहां बहुत पैसे वाले यह लोग जमीन पर पैर नहीं रखते , लम्बी लम्बी गाड़ियों में घूमते हैं । और मौका मिले तो हवाई जहाज में बैठ कर आसमान की ऊंचाइयां भी नापते हैं ।</h2><h2 style="text-align: left;">शामू :- अच्छा बड़े -बडे लोग बड़ी बड़ी बातें कितने एश ओ आराम हैं ,वाह जिंदगी हो तो ऐसी हो ।और यह बड़े-बड़े लोहे के सिलेंडर यह किस लिए हैं शामसिंह।</h2><h2 style="text-align: left;"> राम सिंह :- शाम सिंह तुम जहां हो ठीक हो (दूर के ढोल सुहाने ) समझ लो ।</h2><h2 style="text-align: left;">शाम सिह:- नहीं फिर भी जीते तो शहर वाले हैं ,हम गांव वाले दिन भर काम ही काम.....</h2><h2 style="text-align: left;">रामसिंह :- काम करते हो अच्छी बात है तुम्हारा व्यायाम हो जाता है ,शहर वाले तो पैसे खर्च करते हैं व्यापाम के लिए भी , शहर में तो हर चीज बिकती है ,हवा, पानी,सांसें आदि -आदि जो गांवों में बेमोल हैं इनकी कद्र करो , जीवन रहते मेरे अपनों ...</h2><h2 style="text-align: left;">शामसिंह :- क्या वहां सांसें भी बिकती है ?</h2><h2 style="text-align: left;">राम सिंह :- बिल्कुल सही प्रश्न किया तुमने . आजकल शहरों में एक महामारी फैली हुई हैं , अगर यह बिमारी शरीर में अन्दर तक फैल जाती है तो उस व्यक्ति के फेफड़ों को खराब कर देती है और उस इंसान को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है उसका दम घुटने लगता है ,और कभी कभी तो मृत्यु भी हो जाती है ।</h2><h2 style="text-align: left;">किसी किसी को तो डाक्टर की परामर्श से आक्सीजन वही प्राण वायु जो जो गांवों में मुफ्त में पेड़ पौधों से मिल जाती है, सांस लेने के लिए वह हवा उन्हें पैसे देकर खरीद नी पड़ रही है </h2><h2 style="text-align: left;">शाम सिंह :- ओहो! अच्छा वो लम्बे लम्बे लोहे के सिलेंडर उनमें आक्सीजन है ,यानि इंसान के सांसों के लिए हवा ....</h2><h2 style="text-align: left;">कैसा समय आ गया है , प्रकृति ने मनुष्यों के जीने के लिए सब व्यवस्था की है, लेकिन मनुष्यों ने बिना सोचे समझे प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया ,आज स्थिति ऐसी कर दी की अपनी सांसों के लिए भी हवा नहीं बची ,वो भी खरीदनी पड़ रही है ।</h2><h2 style="text-align: left;">रामसिंह :- शहर वालों का रुपया पैसा सब धरा के धरा रह जाएगा आज वो दुनिया की मंहगी सी महंगी चीजें खरीद सकते हैं , किन्तु क्या फायदा ,जब सांसें ही नहीं रहेगी तो सब पैसा यहीं पड़ रह जाएगा ।</h2><h2 style="text-align: left;">महंगे से महंगा सौदा भी आपकी सांसें नहीं लौटा सकता </h2><h2 style="text-align: left;">जीते जी ज़िन्दगी की कद्र करो मेरे अपनों गयी ज़िन्दगी और गया वक्त फिर लौटकर नहीं आता ।</h2><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-51631471651027252842021-05-09T20:38:00.008-07:002021-05-10T09:40:00.589-07:00कवारनटाईन का उद्देश्य <p>राघव:- वनवास जैसा ही तो है।</p><p> राघव :- चौदह दिन के लिए कवारनटाइन हूं , कैसे बीतेंगे चौदह दिन .....</p><p>सिया :- राघव , तुम्हें तो सिर्फ चौदह दिन के लिए अलग रहना है तो तुम्हें इतनी परेशानी हो रही है । श्री राम सीता लक्ष्मण जो एक राजा की संतान थे ,राजमहल में रहते हुए समसत सुख सुविधायेओं के बीच जीवन यापन कर रहे थे , उन्होंने राजमहल के समस्त सुख वैभव को पल में त्यागकर वनवास में आने वाली कठिनाई यों के बारे में तनिक भी ना सोचते हुए सहर्ष चौदह साल का वनवास स्वीकार किया था।</p><p> राघव :- वो सतयुग था ,और सतयुग की बात अलग थी , मैं साधारण मानव हूं ।</p><p>सिया: - राघव तुम्हें अलग तो रहना पड़ेगा , तुम्हारे तन के अन्दर वाईरस रुपी ने प्रवेश कर लिया है ,और तुम्हारे जैसे अनगिनत लोगों के शरीरों में यह वाइरस रूपी राक्षस प्रवेश करके तबाही मचा चुका है और कई लोगों को तो मौत के घाट उतार चुका है । </p><p>अब तुम क्या चाहते हो , तुम्हारे से यह वाइरस रुपी राक्षस और बचे स्वस्थ लोगों के शरीरों में घुस कर तबाही मचा दे।</p><p>राघव;- अरे नहीं -नहीं जैसे राम ,सिया,लक्ष्मण के वनवास के पीछे कई विषेश कार्यों को सम्पन्न करना था । ऐसे ही हमें भी इस कवारनटाईन काल में कुछ अधूरे कार्य पूर्ण करने होंगे ।</p><p>वाईरस रुपी शत्रु राक्षस से बचना है ,और अपने परिवार को समाज को बचाना है ..... जिसके लिए हमें बहुत कुछ सीखना होगा तैयारी मां करनी होगी</p><p>1,कवारनटाईन के बहाने समय मिला है , स्वयं के ऊपर कार्य करने का.... भागती दौड़ती जिंदगी में फुर्सत का जो समय मिला है ,उसका सदुपयोग किजिए ।</p><p>चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवाईयों का यथासमय सेवन कीजिए ।</p><p>व्यायाम और योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए ।</p><p>समय मिला है स्वयं के सुधार का ध्यान योग का अभ्यास कीजिए ।</p><p>एक बात तो अवश्य समझ आई होगी स्वास्थ्य धन से बढ़ा कोई धन नहीं , स्वास्थ्य ठीक रहेगा तभी संसार के समस्त सुख अच्छे लगते है ।</p><p><br /></p><p>1,वाइरस रूपी राक्षस अन्य स्वस्थ लोगों के शरीरों में ना प्रवेश करें इस के लिए कवारनटाइन रूप वनवास को स्वीकार कर अलग रहना होगा ।</p><p>2.वाइरस रुपी राक्षस को मारने के लिए मास्क की ढाल सदैव धारण करें ।</p><p>3.हाथों को बार बार धोयें , सेनेटाइज करें अनावश्यक रूप से इधर उधर ना छुएं </p><p>4, अनावश्यक रूप से घर से बाहर ना निकले जरूरी सामान लाना है तो घर का एक ही सदस्य एक बार में सारा सामान ले आये।</p><p>राम जी के वनवास का उद्देश्य था राक्षसों का अंत रावण जैसे महाज्ञानी , किन्तु अहंकारी राक्षस को मारकर पृथ्वी में रामराज्य स्थापित करना ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-33167821011628440232021-05-09T10:02:00.005-07:002021-05-10T09:40:03.774-07:00हमसाया<p>हमसाया हम सब मां का </p><p>मां का प्यार कड़वी औषधि </p><p>का सार, खट्टा मीठा सा </p><p>प्यारा एहसास </p><p>मां की कृति हम सब </p><p>मां की आकृति हम सब </p><p>मां ने हमें आकार दिया </p><p>ज्ञान संस्कारों का वरदान दिया </p><p>मां ने हमें तराश -तराश कर सभ्य </p><p>सुसंस्कृत जीवन जीने का अधिकार दिया </p><p>मां ने ही हमें बनाया, मां ने हमें संवारा </p><p>मां ने हमें संसार में रहने को </p><p>बल, बुद्धिि, विवेक, धैर्य की संजीवनी के </p><p>अमृत का रस पान दिया , मां ने हमें बनाया </p><p>मां का ही हम सब हमसाया </p><p>पिता विशाल कल्पवृक्ष </p><p>जड़ों की मजबूती का साया ।।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p>मां की महिमा का क्या बखान करूं </p><p><br /></p><p><br /></p><p>एसी कोई जगह नहीं जहां नहीं होती </p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-84347959835348543282021-05-08T07:12:00.002-07:002021-05-10T09:40:19.749-07:00पसंद <p>कोई मुझे पसंद करें </p><p>यह मेरी चाह नहीं </p><p>मेरे द्वारा किए कर्म </p><p>मुझे मेरी पहचान दिलाने </p><p>मैं कामयाब होते हैं तो मेरा </p><p>जीवन सार्थक है ।।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-14166191211963593242021-05-06T23:34:00.001-07:002021-05-10T09:40:09.457-07:00परवाह <p><br /></p><p>काम बस इतना करना है </p><p>थोड़ा सम्भल कर चलना है </p><p>सतर्कता को अपनाना है </p><p>सुरक्षा अपनी और अपनों की </p><p>करनी है, जिम्मेदारी यह </p><p>हम सबको निभानी है </p><p>दिखावे की छुट्टी करनी है </p><p>परवाह जो अपनों की करते हो </p><p>सुरक्षा नियमों का पालन करो </p><p>कुछ समय दूर से ही सगे संबंधियों </p><p>और मित्रों से मिलों , महफिलें फिर से </p><p>जम जायेंगी , ज़िन्दगी रहेगी तो रिश्तों </p><p>की डोरियां फिर से तीज त्यौहारों में एक </p><p>हो जायेंगी रौनकें बहार लौट आयेंगी ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-53382178570589982322021-05-05T07:11:00.002-07:002021-05-08T07:12:36.848-07:00खुशहाली लौट आयेगी <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIX3kQMP6Ml4Hq2opthx3Ph-YrR2lu5z-uY3iai8jL8Y7Xt42Dmq_3S9PT6bWyoP69qNZ8IbFKZyxUupa0P66MI4RJSBncPJvDP80EJXLGGqWh9t9vMOs_hLLx73prNJbhWOj3tsQ8qqQ/s540/images+%25282%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="405" data-original-width="540" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIX3kQMP6Ml4Hq2opthx3Ph-YrR2lu5z-uY3iai8jL8Y7Xt42Dmq_3S9PT6bWyoP69qNZ8IbFKZyxUupa0P66MI4RJSBncPJvDP80EJXLGGqWh9t9vMOs_hLLx73prNJbhWOj3tsQ8qqQ/s320/images+%25282%2529.jpeg" width="320" /></a></div><br />व्यवस्था में सुधार चल रहा है <p></p><p>उथल-पुथल तो होगी ही </p><p>अस्त -व्यस्त हो रखा है सब कुछ</p><p>उसे सुव्यवस्थित करने की </p><p>प्रक्रिया चल रही है</p><p>स्वच्छता अभियान चल रहा है </p><p>धूल तो उड़ेगी ही ,एकत्रित हुआ </p><p>जहरीला वाईरस गंदगी के रूप में </p><p>फैल रहा है , जैसे ही गन्दगी का वाईरस </p><p>समाप्त हो जायेगा फिर से धरा मुस्करायेगी </p><p>धरती हरी -भरी समृद्ध हो जायेगी </p><p>प्राण वायु फिर से लौट आयेगी फिर ना</p><p>दम घुटने से ना किसी की जिंदगी जायेगी </p><p>धरती पर खुशहाली लौट आयेगी ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p>व्यवस्था में सुधार चल रहा है </p><p></p><p>उथल-पुथल तो होगी ही </p><p>अस्त -व्यस्त हो रखा है सब कुछ </p><p>उसे सुव्यवस्थित करने की </p><p>प्रक्रिया चल रही है</p><p> </p><p>सुधार का समय चल रहा है </p><p>बिगड़े हुए हालातों को काबू </p><p>में लाने की प्रक्रिया में त्रुटियों </p><p>के लेखा-जोखा का स दक्ष श श्र </p><p>गलतियों की होगीं जो सबने </p><p>उनके पश्चाताप का समय चल </p><p>रहा है </p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-73844938133844933822021-05-01T20:59:00.002-07:002021-05-02T11:50:38.923-07:00राम भजो आराम मिलेगा<p><br /></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi9idGij2ZK7HA8UhnUg2vdIwJ1UGXBQD-pIK0Hu4Ja9xVU17qBvdXcu5SCCxsS4Fb-bw-slzO3rPrvDwATpGa7heNmZuq9GlXpnsoskmQHYYNucF_G8LgNmTnV4usnkG69UPmHjMMumJU/s683/images+%25281%2529.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="449" data-original-width="683" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi9idGij2ZK7HA8UhnUg2vdIwJ1UGXBQD-pIK0Hu4Ja9xVU17qBvdXcu5SCCxsS4Fb-bw-slzO3rPrvDwATpGa7heNmZuq9GlXpnsoskmQHYYNucF_G8LgNmTnV4usnkG69UPmHjMMumJU/s320/images+%25281%2529.jpeg" width="320" /></a></div><br /><p></p><p>हे राम,एक बार फिर</p><p>कहो फिर हनुमान जी से </p><p>संजीवनी पर्वत ले आओ </p><p>राम भक्तों की व्याधियां दूर कर जाओ </p><p>राम भजो आराम मिलेगा </p><p>संतुष्टि का वरदान मिलेगा </p><p>भटके हुए प्राणियों को सही </p><p>राह मिलेगी, सोचने -समझने की</p><p>शक्ति मिलेगी,पापों से मुक्ति मिलेगी </p><p>पवनपुत्र परम भक्त सियाराम की </p><p>भक्ति में तल्लीन रहते राम काज </p><p>करने को आतुर विद्यावान गुणी </p><p>अति चातुर पवनपुत्र संकट हरते </p><p>जीवन में सब मंगल करते ।</p><p>हे पवनपुत्र ,जहरीले जीवाणुओं</p><p>का वायु मंडल में प्रवेश होकर</p><p>प्राणियों पर प्राण घातक हमला </p><p>हो रहा है , त्राहि-त्राहि कर जग </p><p>रो रहा है। हे संकटमोचन, </p><p>संजीवनी बूटी फिर से लानी </p><p>पड़ेगी मानवता की लाज </p><p>बचानी पड़ेगी ।</p><p>दिव्य शक्ति स्वरूपा के उपासक </p><p>आप ही धरा पर मानवता के रक्षक ।।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-43854189991246669252021-04-26T06:49:00.000-07:002021-04-26T06:49:05.279-07:00प्रार्थना दुखों का अब अंत करो <p>हे सृष्टिकर्ता शिव शक्ति परमात्मा </p><p>धरती पर तुमने हमें जीने का अधिकार दिया</p><p>धरती का हाल हमने बुरा किया </p><p>कर्मों का है खाता बढ़ा, धर्म के नाम पर </p><p>बहुत पाखंड किया इंसानियत को भूलकर </p><p>हैवानियत का संग किया, स्वार्थ में अंधे </p><p>हुए हम ,परमार्थ ना कोई कर्म किया </p><p>भक्ति दो,शक्ति दो, कष्टों से अब मुक्ति दो </p><p>हे नीलकंठ, प्राणियों को स्वस्थ जीवन </p><p>का वरदान दो प्राणी हैं हम तेरे,बालक नादान </p><p>बनकर अंजान कर बैठे हैं कर्म जैसे हों शैतान </p><p>क्षमा करो अपराध हम सब की पुकार सुनो </p><p>परमात्मा,हम सब हैं तुम्हारी ही आत्मा, </p><p>धरती पर फैला है कहर </p><p>सांसों में घुल रहा है जहर,मनुष्य मर रहा है </p><p>दम घुट-घुट कर, प्राण वायु को अब स्वच्छ करो </p><p>हवाओं में फैले विष का अब अंत करो </p><p>हे नीलकंठ, प्राणियों को दो स्वस्थ जीवन </p><p>का वरदान हम सब हैं आपकी संतान ।</p><p>भटके हुओं को सही राह दिखाओ </p><p>पाप कर्मों से हमें मुक्ति दिलाओ </p><p>राह सही चले भलाई के कर्म करें </p><p>एसी राह दिखाओ,शक्ति का वरदान दो भक्ति दो , </p><p>पापों से मुक्ति दो स्वास्थ्य धन के</p><p>जीवन को मंत्र दो, बुद्धि की शुद्धि </p><p>का महादान दो ,भला करे और सोचें सभी का भला</p><p>जन की शुभ भावना का प्रसाद दो पवित्रता के</p><p>महासागर का अमृत मनुष्यों की मन, बुद्धि, वाणी और </p><p>कर्मों में भरपूर भरो ,से सृष्टिकर्ता नीलकंठ परमात्मा </p><p>दुखों का अब करो खात्मा मनुष्य जाति सह रही है यातना </p><p>हम सब प्राणी हाथ जोड़ ह्रदय से करें यह प्रार्थना </p><p>स्वीकार करो हम सब की प्रार्थना ।।।।।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p>भक्ति दो</p><p>आत्मा में शुद्ध बुद्धि का वास हो </p><p> शान्ती का </p><p>वर</p><p>सन्नाटा भागती दौड़ती </p><p>सड़कों पर छायी है उदासी </p><p><br /></p><p>हौसलों के दीपक </p><p>सदा अपने संग रखो </p><p>मुश्किलों का तूफान कब </p><p>आंधियां बनकर आ जाये </p><p>उम्मीदों के आसमां संग रखो । </p><p>मुश्किलों की घड़ी है </p><p>हौसलों के दीप उजागर </p><p>करने की अवधि आन पड़ी है ।</p><p><br /></p><p>तूफानों की रफ्तार तेज है </p><p>सम्भल कर रहने की जरूरत </p><p>आन पड़ी है ।</p><p><br /></p><p>हवाओं में जिवाणुओ </p><p>के जहर का कहर </p><p>थोड़ा रुक जाने की </p><p>सतर्कता से रहने की </p><p>जरूरत आन पड़ी है ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p>मैं तो सदा से अपने संग </p><p>शुभ आशाओं का एक दीप </p><p>लेकर चलता हूं , उम्मीद की </p><p>नयी किरणों के प्रकाश से </p><p>अंधेरों को दूर करता हूं </p><p> </p><p>सकारात्मक सोच की </p><p>इंसानियत के चिराग </p><p>माना की अंधेरा बड़ा </p><p>अंधेरा है एक दिन तो </p><p>होना अवश्य सवेरा है </p><p>सवेरे में काली घटाऐं हैं </p><p>उजाले पर भी कुछ आशायें है</p><p>एक दीप आशा का एक दीप उम्मीद का </p><p>संग लेकर चलता हूं अंधेरे में हैं जो </p><p>उनके लिए आशा की किरण बनाता हूं </p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-63608594922425609382021-04-22T12:08:00.004-07:002021-04-23T00:05:38.495-07:00अंधेरा यानि विश्राम भी तो होता है <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh7qYsntW1vB94xLdIZmdxbFYgyfZjluWXj0NgbzzaDzOd6HMgJ8obt4BkMV67dwYDaF13FlTS2p5HGRjGT11wYXnXH1ABqS0T06DBzhJzMRvc7sEFJ_tRkXsqTHKEleiu5waQaAzxMPRM/s1650/photo-1527482797697-8795b05a13fe.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1650" data-original-width="1100" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh7qYsntW1vB94xLdIZmdxbFYgyfZjluWXj0NgbzzaDzOd6HMgJ8obt4BkMV67dwYDaF13FlTS2p5HGRjGT11wYXnXH1ABqS0T06DBzhJzMRvc7sEFJ_tRkXsqTHKEleiu5waQaAzxMPRM/w133-h200/photo-1527482797697-8795b05a13fe.jpeg" width="133" /></a></div><br /> <p></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p>क्यों रोता है मानव अंधेरे को क्यों कोसता है </p><p>अंधेरा यानि विश्राम की रात्रि आयी है </p><p>रात्रि में सतर्कता के गुणों की भरपाई है </p><p>रात्रि का अंधकार पश्चाताप की </p><p>पीड़ा को कम करने की गहराई है </p><p>हर रात के बाद सवेरे की घड़ी आयी है </p><p>आज तबाही का मंजर देख आंसुओं से </p><p>अपना दामन भीगोता है </p><p>भूल को सुधार यह तेरे ही</p><p> कर्मों का लेखा-जोखा है </p><p>सम्भल जा अभी भी ए मानव,</p><p> वही पायेगा जो तूने रौपा है</p><p>हारना नहीं हराना है </p><p>माना की मुश्किलें भी बड़ी हैं </p><p>किन्तु हमारे हौसलों के आगे </p><p>पर्वतों की चोटियां भी झुकी हैं </p><p>एक वाईरस ने तबाही मचाई है ।</p><p>लगता है राक्षस योनि फिर से </p><p>जीवंत हो आयी है ।्</p><p>सम्भल जा अभी भी ए मानव , </p><p>वहीं पायेगा जो तूने रौपाहै ।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1085422734189965562.post-39850385046422277752021-04-17T12:43:00.006-07:002021-04-17T20:39:40.728-07:00अमृत कुंभ <p>ध्यान-योग की पवित्र स्थली</p><p>शुभ कर्म जो, गंगा मैय्या की </p><p>शरण मिली, महाकुंभ में </p><p>आलौकिक स्वर्ग स्वरूपणी </p><p>ऋषिकेश त्रिवेणी संगम की गंगा घाट की </p><p>अद्वितीय छवि अन्नत,अथाह ,अविरल </p><p>अमृतमयी जल धारा का विहंगम दृश्य</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhrse1pE6VcGyZZlYqvz06ThddZygU9hx07M07QkyfOds7dFBJzO_wHbItTpI7Zb73u7IaZ80YcjdiRCTeZ_cPxzK1C29WEXe-ZSRLesHk_7pTLOIRZ5OpkiiNbQzw0g-JjvpzGksWOZhQ/s2048/IMG-20210417-WA0062.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1152" data-original-width="2048" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhrse1pE6VcGyZZlYqvz06ThddZygU9hx07M07QkyfOds7dFBJzO_wHbItTpI7Zb73u7IaZ80YcjdiRCTeZ_cPxzK1C29WEXe-ZSRLesHk_7pTLOIRZ5OpkiiNbQzw0g-JjvpzGksWOZhQ/s320/IMG-20210417-WA0062.jpeg" width="320" /></a></div><p>अमृत का कुम्भ पवित्र करो वाणी</p><p>गंगा मैय्या के जयकारों से तुम</p><p>तन-मन की पवित्रता का महान संयोग</p><p>मिटाने को पाप कर्मों के भोग ....</p><p>भाग्यवान हैं, उत्तम बना है संयोग </p><p>भक्ति रस से सरोबार ,गूंजते शंखनाद</p><p>ऋषिकेश त्रिवेणी हर-हर गंगे के जाप</p><p>अमृतमयी जलधारा का अमृत</p><p dir="ltr">
करने को तत्पर है तन मन को पवित्र <br />
अमृत कलश में भर लो गंगाजल<br />
सुलझ जायेगे जीवन के सभी प्रश्नों के हल ... हर - हर गंगे जय मां गंगे 🙏🙏🙏🙏<br /><br /><br /><br /></p>
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</p>Ritu asooja rishikesh http://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.com0