*क्यों ना बस अच्छा ही सोचें *

**क्यों अपने संग बेवजह का बोझ
लेकर चलूं क्यों ना हल्का हो जाऊँ और
बिना पंखों के भी ऊंचा उड़ूं
क्योंकि जो जितना हल्का होगा
उतना ऊंचा उड़ेगा

क्यों ना कुछ अच्छा सोचें
अच्छा ही बोले अच्छा ही सुने
और अच्छा ही करें
और फिर अच्छा करते-करते
जब सब और अच्छा ही हो जाए

अच्छों की दुनिया अच्छी ही होती है
ऐसा नहीं की की बुराई नहीं आती
मुश्किलें नहीं आती
आती तो है कठिनाइयां बहुत आती हैं
परंतुअच्छा सोचने वालों के लिए हर मुश्किल भी अच्छाई की ओर ले जाने वाली सीढ़ियां बन जाती है

इल्जाम भी लगते हैं
स्वार्थी घमंडी अहंकारी
होने की तोहमतें भी लगती हैं
पर जो अच्छा सोचता है
उसे आदत पड़ जाती
वो बुराई के नरक में जाने से
कतराता है झूठ के जाल में
फंसने से डरता है
जो सच्चा होता है वो
आजाद हो जाता है
झूठ के नकाब के मायाजाल से
फ़िर क्यों ना मैं भी उडूं
मदमस्त ,बेफिक्र आसमां की ऊंचाइयों में
और अच्छा बनने की कोशिश करूं ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...