दिव्य अर्क



मिलन समारोह का 
शुभारंभ धरा अम्बर 
मध्य दिवाकर भोर लालिमा मनभावन










सुप्रभात,नव प्रभात 
नव आगमन 
बाल मन,बन नाचे 
मयूर सम, हर्षित स्वप्न 
प्रतीत प्राप्त शुभ रत्न  
स्वर्ण सम कान्तिमय 
उदित सूर्य प्रभात बेला, 
कहे, अब तो जागो  
दस्तक दे रहा है नया 
सवेरा,स्वर्णिम किरणों 
का सजा है रेला
नये दौर का नया मोड़ है 
निराश दिलों में जगी 
है एक नव आशाऐं 
जीवन की रचने को 
नयी परिभाषाएं नया 
केनवास इच्छित रंगों से
आकार बनाओ जीवन को 
मन भावन रंगों से सजाओ 
मिलन समारोह में शामिल
कोमल कोंपलों की लताऐं 
संग अपने नयी शाखाएं 
सुख-समृद्धि की जागृत 
हो रही हैं नव नूतन अभिलाषाऐं ।।





आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...