*******चिराग था फितरत से
जलना मेरी नियति
मैं जलता रहा पिघलता रहा
जग में उजाला करता रहा
मैं होले_होले पिघलता रहा
जग को रोशन करता रहा *****
जलना मेरी नियति
मैं जलता रहा पिघलता रहा
जग में उजाला करता रहा
मैं होले_होले पिघलता रहा
जग को रोशन करता रहा *****
"जब मैं पूजा गया तो ,
जग मुझसे ही जलने लगा ,
मैं तो चिराग था ,फितरत से
मैं जल रहा था ,जग रोशन हो रहा था
कोई मुझको देख कर जलने लगा
स्वयं को ही जलाने लगा
इसमें मेरा क्या कसूर"
**चल बन जा , तू भी चिराग बन
थोड़ा पिघल , उजाले की किरण
का सबब तू बन ,देख फिर तू भी पूजा
जाएगा ,तेरा जीना सफ़ल हो जाएगा **
मैं तो चिराग था ,फितरत से
मैं जल रहा था ,जग रोशन हो रहा था
कोई मुझको देख कर जलने लगा
स्वयं को ही जलाने लगा
इसमें मेरा क्या कसूर"
**चल बन जा , तू भी चिराग बन
थोड़ा पिघल , उजाले की किरण
का सबब तू बन ,देख फिर तू भी पूजा
जाएगा ,तेरा जीना सफ़ल हो जाएगा **
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 27 दिसम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1259 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
धन्यवाद रविन्द्र जी मेरे द्वारा सृजित रचना को पांच लिंकों के आनंद में प्रकाशित करने के लिए ....
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंबहुत बढ़िया रचना, रितू दी।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंतूं भी किसी शिवाले की रौनक बनेगा बस दीप बन जलना सीख तो सही
Thanks
हटाएंबहुत ही सुंदर..
जवाब देंहटाएंचल बन जा , तू भी चिराग बन
थोड़ा पिघल , उजाले की किरण
का सबब तू बन ,देख फिर तू भी पूजा
जाएगा ,तेरा जीना सफ़ल हो जाएगा ...बहुत खूब !
आभार
हटाएंबहुत सुंदर रचना रितु जी... चिराग तो यों भी बेहद प्रेरक प्रतीक है...।
जवाब देंहटाएंआभार स्वेता जी
हटाएंवाह! स्वयं जलकर दूसरों को आलोकित करने का अद्भुत सन्देश!
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना ऋतु जी
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंआपकी भावनायें एकदम नि:शब्द कर गयीं ...
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