***** मैं जिधर जाती हूं
मुझे वो ही नज़र
आता है ।
उसकी बातें करना ,
उसके गीतों को गुनगुनाना
मुझे बहुत भाता है ।
जब _ जब मैंने दुनिया से दिल लगाया
दुनिया ने बहुत रुलाया ,बहकाया
स्वार्थ की दुनियां ,सौदागर है ।
मेरा श्याम जादूगर है ।
वो मुरली बजाता है
लगता है, जैसे मुझे बुलाता है
राधा,ललिता ,विशाखा ,सारी गोपियों
को वो भाता है ,वो मुरली बजाता है,
सबको बुलाता है ,
मुझे उसके सिवा कोई भी तो नज़र नहीं । आता है ।
जो उसको सच्चे भाव से बुलाता है
उसी का हो जाता है ।
कोई _ कोई तो उसे छलिया भी कह जाता है
वो भोले भक्तों का सदा साथ निभाता है
एक वो ही है, जो विश्वास दिलाता है,
जब भी कोई सच्चे भाव से ,श्रद्धा से
उसे बुलाता है ,उसके संग_संग वो उसका
साथ निभाता है ।
वो अन्तर्यामी दिल में ही उतर जाता है
श्रद्धावान का तो प्रिय ,पूजनीय हो जाता है ।
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार
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