Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
* शुभ दिन *
बहुत घायल हुआ कश्मीर अभी तक कश्मीर की सत्ता प्यादों के हाथों में थी कश्मीर को दर्दनीय लहूलुहान स्थिति से छुटकारा...
जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा ....... आज कश्मीर राजनीति की बेड़ियों से आजाद हुआ .....यूं तो भारत एक लोकतंत्र देश है ....और अभी तक जम्मू कश्मीर को लोकतंत्र के चुने नेता ही चला रहे थे ,जम्मू कश्मीर की अभी तक की स्थिति से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है .....
बहुत घायल हुआ अभी तक कश्मीर तकलीफों से बचाने के लिए असंख्य सैनिकों ने कुर्बानियां देते आ रहे हैं आखिर कब तक होता ये सब शुक्र है देश के राजनीतिज्ञों का.... जिन्होंने समस्या को तह से ख़तम करने के लिए बेहतरीन कदम उठाया .....
अभी तक कश्मीर की सत्ता प्यादों के हाथों में थी
लेकिन कश्मीर को दर्द में करहाते देख .....प्रधानमंत्री ने बेहतरीन और कश्मीर के हित का फैसला लिया*तीज का त्यौहार लेकर आता खुशियों की सौगात*
पक्षियों के चहकने की आवाज
खनकती चूड़ियों का आगाज
सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र
मेहंदी की सौगात आओ सखियों
झूमे नाचें गाएं आया है हरियाली तीज का त्यौहार
**सावन का मौसम आया
संग अपने सुख-समृद्धि लाया
वर्षा की फुहारों से धरती का
जल अभिषेक जब होता है
प्रकृति प्रफुल्लित
हरी-भरी हो जाती है
वृक्षों की डालियां अपनी
बाहें फैलाती हैं
झूला झूलन को
सखियों को बुलाएं
प्रकृति संग सखियां भी
सोलह श्रृंगार करती हैं
वृक्षों की ओट में बैठ कोयल भी
मीठा राग सुनाती है
समस्त वातावरण संगीतमय हो जाता है
चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है
हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी
सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर
शिव को प्रसन्न किया था
उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर
सुहागनें उपवास नियम करती हैं
वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं
आसमान की ऊंचाइयों में सखियां
झूल-झूल कर हंसती है
धरती झूमती है
प्रकृति निखरती है
पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से
सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**
खनकती चूड़ियों का आगाज
सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र
मेहंदी की सौगात आओ सखियों
झूमे नाचें गाएं आया है हरियाली तीज का त्यौहार
**सावन का मौसम आया
संग अपने सुख-समृद्धि लाया
वर्षा की फुहारों से धरती का
जल अभिषेक जब होता है
प्रकृति प्रफुल्लित
हरी-भरी हो जाती है
वृक्षों की डालियां अपनी
बाहें फैलाती हैं
झूला झूलन को
सखियों को बुलाएं
प्रकृति संग सखियां भी
सोलह श्रृंगार करती हैं
वृक्षों की ओट में बैठ कोयल भी
मीठा राग सुनाती है
समस्त वातावरण संगीतमय हो जाता है
चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है
हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी
सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर
शिव को प्रसन्न किया था
उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर
सुहागनें उपवास नियम करती हैं
वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं
आसमान की ऊंचाइयों में सखियां
झूल-झूल कर हंसती है
धरती झूमती है
प्रकृति निखरती है
पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से
सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**
*अनुभव*
*मानव पहुंच गया आज चांद पर
तुम खटिया पर बैठे दिन -भर
क्या बड़बड़ाती रहती
इंटरनेट है ,हम सब का साथी
उसके बिना ना हम सब को जिंदगी भाती
तुम क्यों बेवजह अम्मा बड़बड़ाती
तेरी बात ना कोई समझना चाहता
सारा ज्ञान इंटरनेट से मिल जाता
अम्मा बोली हां मैं अनपढ़, ना अक्षर ज्ञानी
उम्र की इस देहलीज पर आज पहुंची हूं
क्या दे सकती हूं मैं तुम सबको
अपना काम भी ना ढंग से कर पाती
मैं तो बस अपने अनुभव बांटती
जीवन के उतार-चाढाव के कुछ
किस्से सुनाती कई बार गिरी ,गिर-गिर
के संभली यही तो मैं कहना चाहती
बेटा चलना थोड़ा संभलकर
तुम ना करना मेरे जैसी नादानी
मैं तो सिर्फ अपने अनुभव बांटती
जो आता है जीवन जीने से देखो
तुम नाराज़ ना होना मेरे बच्चों
आज जमाना इंटरनेट का
चन्द्रमा तक तुम पहुंच चुके हो
अंतरिक्ष में खोजें कर रहे हो
आशियाना बनाओ चन्द्रमा पर अपना
पूरा हो तुम सब के जीवन का सपना
मैं तो बस अपने अनुभव बांटती
ना मैं ज्ञानी ,ना अभिमानी।
मैं तो बस अपने अनुभव बांटती
ना मैं ज्ञानी ,ना अभिमानी।
कलम के सिपाही को कोटि-कोटि नमन
**कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी
को शत -शत नमन **
गबन, गोदान, नमक का दारोगा ,
कफ़न,ईदगाह ,आदि महान साहित्य
के राचियता की लेखनी
समाजिक विडंबनाओं और कुरीतियों
को देख तलवार की भांति चल पड़ती थी
जीवन का यथार्थ चित्रण कर
मानव जीवन का गहन दर्शन
उनकी गतिविधियों पर कठोर प्रहार
करती कलम के सिपाही जी की लेखनी
अपना इतिहास रच
युगों -युगांतर तक लोगों के दिलों
में राज कर रही हैं और करती रहेंगी
समाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती
कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी की
कहानियां आज भी एक सजीव चित्रण
के रूप में समाज को आईना
दिखाने में सक्षम हैं
और अमर है जीवन के
अनुभव परिवेश का सत्य
मुंशी प्रेमचन्द जी का लेखन
सत्य की मशाल लिए
समाज को आज भी प्रेरित
कर मार्गदर्शन कर रहा है
मुंशी जी कलम के सिपाही
को कोटि -कोटि प्रणाम
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