आज कई वर्षों बाद दो बहनें
बिना किसी आतंक के डर से एक दूजे के घर जाकर मिली।
काल्पनिक नाम एक का जमुना दूसरी का *कश्मीरा* यूं तो यह सिर्फ दो ही बहने नहीं और भी कई भाई बहन हैं भरा-पूरा कुटुम्ब है ,परंतु आज कई वर्षों के बाद जमुना अपनी बहन कश्मीरा के लिए खुश थी ।
क्योंकि जमुना और कश्मीरा आस -पास ही रहती थीं ।
काफी समय बाद जमुना का कश्मीरा के घर जाना हुआ.....
कश्मीरा खुश थी कि आज उसे कोई बंदिश नहीं वो अपनी बहन जमुना का अच्छे से स्वागत करेगी ,उसकी आव भगत में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।
जमुना:- कश्मीरा मेरी बहन तू कैसी है कितनी सुन्दर कितनी प्यारी होती थी तुम किसी जमाने में, क्या हालत हो गई है तुम्हारी ,मुरझा गई हो ,चलो कोई बात नहीं *देर आए दुरुस्त आए* आज तक मैं तेरे घर एक बहन होकर भी ढंग से नहीं आ पाती थी कश्मीरा आज मैं बहुत खुश हूं तेरे लिए कश्मीरा अब हम संग-संग रहेंगे एक दूसरे के दुख-सुख बांट लेंगे , कश्मीरा मैं जानती हूं तूने बहुत दुख सहे हैं ,ना कहीं आना ना जाना बंदिशें ही बंदिशें अब सब ठीक हो जाएगा जमुना ने कश्मीरा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा...
कश्मीरा:- हां बहन जमुना आज कई वर्षों के बाद मैं खुली हवाओं में सांस ले पा रही हूं ,आज मेरे पास उड़ने को खुला आसमान है ,कल तक मैं अपने ही घर में कैद थी।
जमुना :- कश्मीरा अब तो तुम खुश हो ना.....
कश्मीरा :- हां बहन जमुना क्यों नहीं मैं बहुत और बहुत खुश हूं ,अब मैं अपनी मर्जी से कहीं भी घूमने का सकती हूं ,और पता है बहन जमुना जब मुझ पर बंदिशें थीं ,मेरा आना -जाना तो बंद था ही... और भी कोई मेरे घर आता था तो उसके साथ बुरा व्यवहार होता था, बहुत आतंक था अभी तक मेरे घर में .....
कश्मीरा-- लेकिन अब मुझ पर से सब बंदिशें हट चुकी हैं ,कोई भी मेरे घर आएगा तो हम सब मिलकर उसका बहुत स्वागत करेंगे ।
जमुना :- कश्मीरा बातें ही करती रहोगी ,या मुझे कुछ खिलाओगी -पिलाओगी भी...
कश्मीरा:- हां बहन जमुना मैं तुम्हारे लिए अभी केसर वाली बिरयानी बनाती हूं .. तब तक तुम ये कहवा पियो ये लो आज ठंड बहुत है ये कांगड़ी भी रख लो अपने पास जमुना कांगड़ी लेते हुए कश्मीरा ज़रा ध्यान से कोयला गरम है ,ध्यान रखना
कश्मीरा :- बिरयानी की तैयारी भी कर रही है ,और जमुना से बातें भी ,अच्छा जमुना ये बताओ हमारे और भाई बहन कैसे हैं ?
जमुना:- हां कश्मीरा सब ठीक हैं ,खूब तरक्की कर रहे हैं ,डोली ,मोली ,कोली सब आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं ,सब तुम्हारे बारे में बहुत चिंतित रहते थे ।
कश्मीरा :- हां बहन मैं समझ सकती हूं तुम मेरे इतने पास थी फिर भी हम मिल नहीं पाते थे ,तुम्हारी
मेरी तुम्हारी कहानी एक सी है जमुना , पर अब हम आजाद हैं, अब हम दोनों मिलकर बहुत अच्छे -अच्छे काम करेंगे।
कश्मीरा अपनी बहन जमुना से कह रही थी उन दोनों बहनों की आंखे नम थीं बहन हमारी *भारत माता* कैसी है आज वो बहुत खुश होंगी ना हां बहन बहुत खुश बहन कौन मां नहीं चाहती की उसके बच्चे आगे बड़ें ,खुश रहें ...... इतने में बहन ललिता का भी आना हो गया तीनों मिलकर बहुत खुश हुईं कहने लगीं ,कितने महान होंगे वो लोग जिन्होंने हमें आजाद किया हमें इतनी बड़ी खुशी दी .... पता है उन महान लोगों ने हमारी मां भारत मां के सम्मान में तिरंगा भी फहराया .......
बहन आओ हम सब मिलकर अपनी मां*भारत मां* के साथ अपनी खुशियां बांटे ,और खुशियां मनाएं ....
*भारत माता की जय* हमारी मात्रभूमि की जय जय के नारों से सारा माहौल गूंज उठा *****
अद्भुत ऋतु जी
जवाब देंहटाएंJi aabhar नमन
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंजी मीना जी आभार नमन
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/08/2019 की बुलेटिन, "काकोरी कांड के सभी जांबाज क्रांतिकारियों को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंजी आभार मेरे द्वारा सृजित रचना को ब्लॉग बूलिटन में सम्मलित करने के लिए
हटाएंसुन्दर समसामयिक रचना
जवाब देंहटाएंआभार अभिलाषा जी
हटाएंसामायिक विषय पर वार्ता के रूप में मन के सुंदर उद्गगार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रीतु जी।
नमन आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट |ब्लॉग पर आने हेतु हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंनमन
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