आदरणीय, पूजनीय ,
सर्वप्रथम , शिक्षक का स्थान समाज में सबसे ऊँचा
शिक्षक समाज का पथ प्रदर्शक ,रीढ़ की हड्डी
शिक्षक समाज सुधारक ,शिक्षक मानो समाज.की नीव
शिक्षक भेद भाव से उपर उठकर सबको सामान शिक्षा देता है ।
शिक्षक की प्रेरक कहानियाँ ,प्रसंग कहावते बन विद्यार्थियों के लिए
प्रेरणा स्रोत ,अज्ञान का अन्धकार दूर कर ,ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं,
तब समाज प्रगर्ति की सीढ़ियाँ चढ़ उन्नति के शिखर पर पहुंचता है,
जब प्रकाश की किरणे चहुँ और फैलती हैँ ,
तब समाज का उद्धार होता है ,
बिन शिक्षक सब कुछ निर्रथक, भरष्ट ,निर्जीव ,पशु सामान ।
शिक्षक की भूमिका सर्वश्रेष्ठ ,सर्वोत्तम ,
नव ,नूतन ,नवीन निर्माता सुव्यवस्तिथ, सुसंस्कृत ,समाज संस्थापक,
बाल्यकाल में मात ,पिता शिक्षक, शिक्षक बिना सब निरर्थक सब व्यर्थ
शिक्षक नए -नए अंकुरों में शुभ संस्कारों ,शिष्टाचार व् तकनीकी ज्ञान
की खाद डालकर सुसंस्कृत सभ्य समाज की स्थापना करता है ।
सर्वप्रथम , शिक्षक का स्थान समाज में सबसे ऊँचा
शिक्षक समाज का पथ प्रदर्शक ,रीढ़ की हड्डी
शिक्षक समाज सुधारक ,शिक्षक मानो समाज.की नीव
शिक्षक भेद भाव से उपर उठकर सबको सामान शिक्षा देता है ।
शिक्षक की प्रेरक कहानियाँ ,प्रसंग कहावते बन विद्यार्थियों के लिए
प्रेरणा स्रोत ,अज्ञान का अन्धकार दूर कर ,ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं,
तब समाज प्रगर्ति की सीढ़ियाँ चढ़ उन्नति के शिखर पर पहुंचता है,
जब प्रकाश की किरणे चहुँ और फैलती हैँ ,
तब समाज का उद्धार होता है ,
बिन शिक्षक सब कुछ निर्रथक, भरष्ट ,निर्जीव ,पशु सामान ।
शिक्षक की भूमिका सर्वश्रेष्ठ ,सर्वोत्तम ,
नव ,नूतन ,नवीन निर्माता सुव्यवस्तिथ, सुसंस्कृत ,समाज संस्थापक,
बाल्यकाल में मात ,पिता शिक्षक, शिक्षक बिना सब निरर्थक सब व्यर्थ
शिक्षक नए -नए अंकुरों में शुभ संस्कारों ,शिष्टाचार व् तकनीकी ज्ञान
की खाद डालकर सुसंस्कृत सभ्य समाज की स्थापना करता है ।