रक्षा बंधन का पर्व ,
भाई बहन का गर्व ,
निश्छल पवित्र प्रेम का अमर रिश्ता
बहन भाई की कलाई में राखी.बांधते हुए कहती है,
भाई ये जो राखी है ,ये कोई साधारण सूत्र नही ,
इस राखी में मैंने स्वच्छ पवित्र प्रेम के मोती पिरोये हैं ,
सुनहरी चमकीली इस रेशम की डोर में ,
भैया तुम्हारे उज्जवल भविष्य की मंगल कामनाएं पिरोयी है ।
रोली ,चावल ,मीठा ,लड़कपन की वो शरारतें ,
हँसते खेलते बीतती थी दिन और रातें
सबसे प्यारा सबसे मीठा तेरा मेरा रिश्ता
भाई बहन के प्रेम का अमर रिश्ता कुछ खट्टा कुछ मीठा ,
सबसे अनमोल मेरा भैय्या,
कभी तुम बन जाते हो मेरे सखा ,
और कभी बड़े भैय्या , भैय्या मै जानती हूँ ,तुम बनते हो अनजान
पर मेरे सुखी जीवन की हर पल करते हो प्रार्थना।
भैय्या मै न चाहूँ ,तुम तो मुझको दो सोना ,चांदी ,और रुपया
दिन रात तरक्की करे मेरा भैय्या ,
ऊँचाइयों के शिखर को छुए मेरा भैय्या
रक्षा बंधन की सुनहरी चमकीली राख़ियाँ
सूरज ,चाँद सितारे भी मानो उतारें है आरतियाँ
काश कभी हम भी किसी के भाई बने, और कोई बहन हमें भी बांधे राखी
थोड़ा इतरा कर हम भी दिखाएँ कलाई देखो इन हाथों में भी है राखी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें