“हौसलों का दामन पकड़ “
“ तिमिर घोर तिमिर
वो झिर्रीयों से झांकती
प्रकाश की किरण
व्यथित , व्याकुल ,
पराजित मन को ढाढ़स बँधाती
हौंसला रख ए बंदे
उम्मीदों का बना तू बाँध
निराशा में मत अटक
भ्रम में ना भटक
वो देख उजाले की झलक
कर्मों में जगा कसक
नाउम्मीदी को ना जकड़
उजियारा दे रहा है तेरे द्वार
पर दस्तक
तेरा हौसला ही तेरे आगे बढ़ने का सबब
हौसलों ने उम्मीद के संग मिलकर
रचे हैं कई आश्रयजनक अचरज
तेरे हौसलों ने दिखाने हैं अभी कई बड़े- बड़े करतब ।
“ तिमिर घोर तिमिर
वो झिर्रीयों से झांकती
प्रकाश की किरण
व्यथित , व्याकुल ,
पराजित मन को ढाढ़स बँधाती
हौंसला रख ए बंदे
उम्मीदों का बना तू बाँध
निराशा में मत अटक
भ्रम में ना भटक
वो देख उजाले की झलक
कर्मों में जगा कसक
नाउम्मीदी को ना जकड़
उजियारा दे रहा है तेरे द्वार
पर दस्तक
तेरा हौसला ही तेरे आगे बढ़ने का सबब
हौसलों ने उम्मीद के संग मिलकर
रचे हैं कई आश्रयजनक अचरज
तेरे हौसलों ने दिखाने हैं अभी कई बड़े- बड़े करतब ।
वाह ! हौसले ज़िंदगी को सार्थक अर्थ प्रदान करते हैं। सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ८ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी sweta सिन्हा जी धन्यवाद मेरी लिखी रचना को पाँच लिंको के आनंद में सम्मिलित करने के लिये आभार
हटाएंवाह बहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंप्रेणादायी रचना।हौसला कभी नही हरण चाहिए।हिम्मत करने वालो की कभी हार नही होती।
आभार
*हारना
हटाएंबेहद लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंहौसले बुलंद हों तो क्या क्या नहीं होता इस जहाँ में.
Thanks
हटाएंहोंसला ... बहुत जरूरी है होना इसका ...
जवाब देंहटाएंइनकी बुलंदी दिवाली है कितने मुकाम ... सुन्दर रचना है ...
Thanks
हटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!!रितु जी ,बहुत सुंदर हौसला बढाती हुई रचना !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर कर्म पथ का आह्वान करती भाव प्रणव रचना ।
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंबहुत सुन्दर ...हौसला बढाती रचना...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
Thanks
हटाएंआभार
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